JAIPUR. राजस्थान में इस बार चुनाव से पहले एक से दूसरे दल में नेताओं की आवाजाही और नए शामिल होने वाले लोगो के मामले में वन-वे ट्रेफिक जैसी स्थिति दिख रही है। विपक्ष में बैठी बीजेपी लोगों को पार्टी में शामिल करने के तीन-चार कार्यक्रम कर चुकी है। वहीं कांग्रेस में अभी तक प्रदेश स्तर का एक भी ऐसा कार्यक्रम नहीं हुआ है। हालांकि पार्टी कह रही है कि अभी तो शुरूआत है और पार्टी अभी टिकट वितरण की प्रक्रिया पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। चुनाव से पहले दल-बदल कराना और नए लोगों के शामिल होना सामान्य प्रक्रिया है और हर बार ऐसा होता है। इसके जरिए पार्टियां कहीं ना कहीं यह संदेश देने की कोशिश करती हैं कि चुनाव में कितना समर्थन हो और कितने लोग पार्टी से जुड़ना चाहते हैं।
बीजेपी, कांग्रेस से आगे
राजस्थान में इस मामले में अभी तक बीजेपी कांग्रेस से आगे दिख रही है। पार्टी में अभी तक 50 से ज्यादा लोग अलग-अलग कार्यक्रमों में शामिल हो चुके हैं। गुरूवार (24 अगस्त) को ही 16 लोागें ने पार्टी की सदस्यता ली है। कुछ ऐसे हैं जो पिछले चुनाव में बागी हो गए थे और अब घर वापसी की है। वहीं कुछ ऐसे हैं जो दूसरे दलों में थे और बीजेपी में आए हैं और कुछ ऐसे हैं जो अब तक अधिकारी थे और अब राजनीति की पारी खेलना चाहते हैं।
बीजेपी ने पार्टी में शामिल होने वालों के बारे में निर्णय करने के लिए एक समिति भी बनाई हुई है। इस समिति के सदस्य पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी ने “द सूत्र“ से बातचीत में कहा कि प्रदेश के हर वर्ग के लोग केन्द्र की मोदी सरकार के कामकाज और बीजेपी की नीतियों के कारण पार्टी से जुड़ना चाहते हैं। अब तक 50 से ज्यादा लोग जुड़ चुके है और अभी करीब इतने ही आवेदन लम्बित है, जिन पर पार्टी के शीर्ष नेताओं से विचार-विमर्श चल रहा है।
नए लोगों के आने से टिकट की दावेदारों में बढ़ती है चिंता
चुनाव से पहले नए लोगों के आने को सीधे तौर पर टिकट की दावेदारी से जोड़ा जाता है। ऐसे में पार्टी में पहले से काम कर रहे या टिकट मांग रहे लोगों में चिंता भी बढ़ती है। ऐसे ही एक दावेदार ने आपसी बातचीत में कहा कि नए लोग चुनाव से पहले आते है और आते ही टिकट मांगने लगते हैं और कई बार कामयाब भी हो जाते हैं, लेकिन इससे पहले से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है। पार्टी को इस बारे में कोई नीति जरूर बनानी चाहिए। वहीं इस बारे में जब हमने देवनानी से पूछा तो उन्होंने कहा कि हम किसी भी नए सदस्य से टिकट का कोई वादा नहीं कर रहे हैं, जो भी आ रहा है, बिना शर्त आ रहा है। पार्टी ने उनसे यही कहा है कि जैसे दूसरे कार्यकर्ता काम कर रहे हैं, वैसे ही आपको भी काम करना है।
नेता, अधिकारी, समाजों के प्रतिनिधि सब आ रहे हैं
बीजेपी में अब तक शामिल हुए लोगों में दूसरे दलों के नेता, पूर्व अधिकारी और समाजों के प्रतिनिधि सहित विभिन्न वर्गो के लोग हैं। पार्टी ने पूर्व मंत्री और फिर कांग्रेस में चले गए नेता सुभाष महरिया की वापसी कराई है। वहीं कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ पहाड़िया के ओमप्रकाश पहाड़िया और पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के परिवार के सदस्य और पीसीसी मेंबर रहे विजेंद्र सिंह शेखावत को बीजेपी में शामिल किया है। इसके अलावा वामपंथी दल सीपीएम के विधायक रहे पवन दुग्गल अपनी पत्नी के साथ पार्टी में आए हैं। वहीं कई बागियों की भी वापसी हुई है। जैसे पूर्व युवा मोर्चा अध्यक्ष डीडी कुमावत, विधायक गीता वर्मा, सांसद धन सिंह रावत आदि।
इनके अलावा पूर्व अधिकारी बड़ी संख्या में बीजेपी से जुड़े हैं। प्रमुख नामों की बात करें तो सूचना आयुक्त रह चुके आईएएस अधिकारी सीएम मीणा, आईएएस रह चुके मनोज शर्मा, जयपुर के सम्भागीय आयुक्त रह चुके हनुमान सिंह भाटी, पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त नरेन्द्र गौड़, मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक रह चुके पवन जैन आदि शामिल हैं। पूर्व आईपीएस जसवंत सम्पतराम इनके अलावा गुर्जर, रैगर सहित विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए हैं।
कांग्रेस में अभी है शांति
कांग्रेस प्रदेश में सत्ता में है, लेकिन कांग्रेस में नए शामिल होने वाले लोगों के मामले में शांति बनी हुई है। इसे इस रूप में भी देखा जा रहा है कि क्योंकि राजस्थान में हर बार सत्ता परिवर्तन का चक्र चलता है, इसलिए सम्भवतः लोग इस बार बीजेपी की ओर ज्यादा भाग रहे हैं। हालांकि पार्टी कहना है कि कई लोग सम्पर्क तो कर रहे हैं, लेकिन अभी इस मामले में विचार-विमर्श चल रहा है। जल्द ही यहां भी पार्टी से लोगो को जोड़ने वाले कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे। पार्टी के प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता आरसी चैधरी का कहना है कि पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी में पार्टी में शामिल होने वाले लोगों के बारे में विचार-विमर्श चल रहा है। ब्लॉक से लेकर जिला और प्रदेश स्तर तक विभिन्न स्तरों पर पार्टी में शामिल होने वालों के नाम आ रहे हैं। इस बात का अध्ययन किया जा रह है कि जो लोग शामिल होना चाहते है, वे पार्टी के प्रति किस हद तक समर्पित हैं। पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी जल्द ही इस बारे में निर्णय करेगी।