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याज्ञवल्क्य, Raipur. छत्तीसगढ़ में महिला यात्रियों और स्कूल स्कूली की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बसों में पैनिक बटन लगाने की तैयारी है। छत्तीसगढ़ परिवहन विभाग ने प्रदेश की 18 हजार बसों में जीपीएस सिस्टम और पैनिक बटन लगाने का निर्णय लिया है। पैनिक बटन लगने से बस में किसी प्रकार की दुर्घटना, छेड़छाड़ होने पर पैनिक बटन दबाने से तुरंत कंट्रोल रूम को सूचना मिल जाएगी। इसके साथ ही बसों का लोकेशन, स्पीड आदि का भी पता चलता रहेगा। इससे चालकों की मनमानी पर रोक लगने के साथ हादसे की आशंका भी कम हो जाएगी। जीपीएस सिस्टम का कंट्रोल रूम डायल 112 के कार्यालय में बनाया गया है।
18 हजार बसों में लगेगा पैनिक बटन और जीपीएस
वर्तमान में प्रदेश में कुल 12 हजार बसें संचालित हो रही हैं, जो अलग-अलग रूट से प्रदेश के कोने-कोने तक जा रही हैं। इसी तरह राज्य में लगभग 6 हजार स्कूल बस भी संचालित है। बसों में पैनिक बटन और जीपीएस के लगने से बसों की पल-पल की जानकारी मिलेगी। परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नवीन व्यवस्था के तहत स्कूल बस के रूट में भी मैप रहेगा ताकि स्कूल बस यदि बच्चों को लेकर निर्धारित रूट के अलावा कहीं जाए तो ऑटोमैटिक अलर्ट आ जाए। इसके लिए कंट्रोल रूम में शिफ्ट के हिसाब से चार कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी जो लगातार सभी बस को मॉनिटर करते रहेंगे और इमरजेंसी की स्थिति में पुलिस विभाग को सूचित करेंगे।
क्या है पैनिक बटन
पैनिक बटन लगने से दुर्घटना या कोई समस्या होने पर बस में सवार यात्री पैनिक बटन को दबाएंगे। बटन के दबते ही पुलिस कंट्रोल रूम व परिवहन कंट्रोल रूम को जानकारी मिलेगी और नजदीकी पुलिस थाने के कर्मचारी तुरंत बस तक पहुंचकर यात्रियों की मदद करेंगे।
जानिए क्या है जीपीएस
ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी जीपीएस एक ऐसा उपकरण है, जिसे अगर गाड़ी में फिट कर दिया जाए तो एक निर्धारित सर्वर पर गाड़ी का लोकेशन पता लगाया जा सकता है। जीपीएस सिस्टम लगने से आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगेगा। बसों के सही रूट की जानकारी मिल सकेगी। महिला और बच्चों के सुरक्षा के लिए राज्य के सभी स्कूल बस और यात्री बस को पैनिक बटन सुसज्जित जीपीएस के माध्यम से मॉनिटर किया जायेगा। इसके लिए निर्भया कमांड सेंटर बन कर तैयार हो चुका है। निर्भया फंड के अंतर्गत सभी यात्री वाहनों को ट्रैक करने के लिए यात्री वाहनों में जीपीएस लगा कर व्हीकल ट्रैकिंग प्लेटफार्म के माध्यम से ट्रैकिंग करने का निर्णय लिया गया। व्हीकल ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर को चिप्स के माध्यम से बनाया गया है, और समस्त गाड़ी के लाइव ट्रैकिंग देखने और त्वरित कार्यवाही करने के लिए सिविल लाइंस रायपुर में स्थित डायल 112 भवन में ही कमांड और कंट्रोल सेंटर भी बनाया गया है।
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प्रोजेक्ट पर परिवहन आयुक्त दीपांशु काबरा ने दी जानकारी
इस पूरे प्रोजेक्ट पर जानकारी देते हुए राज्य के परिवहन आयुक्त दीपांशु काबरा ने द सूत्र से कहा “इस प्रोजेक्ट से नागरिकों सुरक्षा बेहतर और बेहद तेज गति से मिले यही लक्ष्य है। प्रदेश में चलने वाली निजी बसों में जीपीएस सिस्टम और पैनिक बटन लगाने का निर्णय लिया गया है। इससे बस की पल-पल की जानकारी मिल सकेगी। अब बसों में हादसा हो या दुर्व्यवहार किसी भी सूरत में हमारा कंट्रोल रूम तुरंत मदद करेगा।