जितेंद्र सिंह, GWALIOR. मध्यप्रदेश में पटवारी परीक्षा को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। रोज नए खुलासे हो रहे हैं, जिसके बाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ग्वालियर में सीबीआई जांच कराने को लेकर जनहित याचिका लगाई गई है। जनहित याचिका लगाने वाले अधिवक्ता ने शिवराज सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए याचिका में लिखा है कि 15-15 लाख रुपए देकर अयोग्य अभ्यर्थी पटवरी परीक्षा में पास हुए हैं। मुरैना से 3-3 लाख रुपए में दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए गए हैं। उन्होंने मुरैना मुख्य स्वास्थ्य और चिकित्सा अधिकारी की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। याचिका पर 18 जुलाई मंगलवार को सुनवाई होगी।
मध्य प्रदेश में पटवारी परीक्षा में घोटाले की सीबीआई जांच की मांग के लिए हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में पीआईएल दाखिल, कोर्ट में मंगलवार,18 जुलाई को होगी सुनवाई।
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— TheSootr (@TheSootr) July 17, 2023
15-15 लाख में पास कराने का आरोप
अधिवक्ता उमेश बोहरे ने आरोप लगाया कि पटवरी परीक्षा में अभ्यर्थियों से 15-15 लाख रुपए लेकर पास कराया गया है। पटवारी परीक्षा घोटाला व्यापम से भी बड़ा घोटाला है। उन्होंने उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर में जनहित याचिका प्रस्तुत कर पूरे मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की है। याचिका पर मंगलवार यानी 18 जुलाई को सुनवाई होगी।
मुरैना में 3 लाख में दिव्यांग प्रमाण पत्र
पटवारी परीक्षा में दिव्यांग कैटेगरी में शामिल होने वाले 16 लोग जौरा से हैं। सभी का सरनेम त्यागी है। इनमें से 2 तो सगे भाई हैं। इनमें से 12 अभ्यर्थियों को कान से कम सुनाई देता है। अधिवक्ता उमेश बोहरे ने आरोप लगाया कि मुरैना जिला चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी की मिलीभगत से 3-3 लाख रुपए लेकर दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं। इससे पहले शिक्षक भर्ती में भी मुरैना से फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र का मामला सामने आया था।
शिक्षक भर्ती में 'द सूत्र' ने किया था खुलासा
पटवारी परीक्षा में भी फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर परीक्षा पास करने का मामला सामने आया है। एक बार फिर से फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के तार जिला मुरैना से जुड़े हैं। इससे पहले प्राथमिक शिक्षक वर्ग-3 में भी दिव्यांग प्रमाण पत्र फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है। तब 'द सूत्र' ने खुलासा किया था कि किस तरह फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाकर अभ्यर्थियों ने परीक्षा पास की है। मुरैना में गिरोह किस तरह फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के काम को अंजाम दे रहा है। 'द सूत्र' ने अपनी पड़ताल में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने का खुलासा किया था।
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अधिकारियों ने जांच के नाम पर की औपचारिकता
मुरैना में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्रों की अधिकारियों ने जांच के नाम पर औपचारिकता कर मामला रफा-दफा कर दिया। यदि मामले में ठीक से जांच होती तो फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने और बनवाने में शामिल बड़े गिरोह का पर्दाफाश होता। वहीं, वो अधिकारी भी बेनकाब होते जिनकी मदद से फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने के खेल को अंजाम दिया गया, क्योंकि बिना विभागीय मदद के इतना बड़ा खेल संभव नहीं है।