छतरपुर में लोगों ने खोला शिवरंजनी के पिता का राज, बताया कि तेल बेचने आए थे, सेवा की आड़ में कमाई के चलते कमेटी ने किया था बाहर

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Chandresh Sharma
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छतरपुर में लोगों ने खोला शिवरंजनी के पिता का राज, बताया कि तेल बेचने आए थे, सेवा की आड़ में कमाई के चलते कमेटी ने किया था बाहर

Chhatarpur. बीते कुछ दिनों से बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं धीरेंद्र शास्त्री से शादी करने का संकल्प लेने वाली शिवरंजनी धाम से हताश होकर लौटी ही थीं कि बागेश्वर धाम के लोगों ने उनके पिता की करतूत पर से पर्दा उठा दिया है। बागेश्वर धाम कमेटी के लोगों ने बताया कि कुछ महीने पहले शिवरंजनी तिवारी के पिता बैजनाथ बागेश्वर धाम में तेल बेचने आए थे। पहले तो तेल फ्री में बांटने की बात कही, लेकिन फिर तेल बेचकर कमाई में जुट गए थे। उन्होंने अपने तेल की शीशी पर पं धीरेंद्र शास्त्री के दादा गुरू की फोटो लगा दी थी, जिसके बाद बागेश्वर धाम कमेटी ने उन्हें धाम से चले जाने कह दिया था। उनसे दादा गुरू की फोटो वाली शीशियां भी ले ली गई थीं। दरअसल धीरेंद्र शास्त्री धाम में आने वाले श्रद्धालुओं से रुपए लिए जाने से खफा हो गए थे। 



कार में लगे विज्ञापन से पहचाना



दरअसल कल जब शिवरंजनी बागेश्वर धाम पहुंची तो उनके साथ पहुंची कार में उसी मार्कण्डेय तेल का विज्ञापन चिपका हुआ था। जिसके बाद लोगों को यह समझते देर नहीं लगी कि शिवरंजनी का संबंध किस व्यक्ति से है। जिसके बाद लोग उनके प्रेम, संकल्प और पदयात्रा को भी शक की नजरों से देखने लगे। 




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    शिवरंजनी तिवारी के पिता बैजनाध तिवारी ने बागेश्वर धाम कमेटी की ओर से लगाए जा रहे इस आरोप पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि नवंबर के महीने में मैं अपने बेटे के साथ धाम आया था। इस दौरान मैंने दर्दनिवारक तेल का निशुल्क वितरण भी किया। इस दौरान लोगों ने चढ़ावे के तौर पर पैसे भी दिए, जिन्हें मैनें बागेश्वर धाम सरकार को अर्पित कर दिया था, लेकिन उन्होंने ही करीब 30 से 35 हजार रुपए की वह राशि मुझे अपने पास ही रखने कह दिया था। 



    बैजनाथ का दावा धीरेंद्र शास्त्री ने ही दी थी अनुमति




    बैजनाथ ने दावा किया कि वे पहले नारियल केंद्र के पास तेल वितरित कर रहे थे, उसके बाद गुरू जी ने अपने दिव्य दरबार के मंच से ही कहा था कि धाम में तेल वितरित करवाया जा रहा है। जिसके बाद उन्हें धाम के अंदर तेल वितरण करने की अनुमति मिल गई। तिवारी ने यह भी कहा कि तेल पर ऋषि मार्कण्डेय की फोटो थी, न कि धीरेंद्र शास्त्री के दादा गुरू की। हम वृद्धाश्रम, अनाथ आश्रम और गौशाला में मार्कण्डेय तेल वितरित करते हुए चलते हैं। कोई यह नहीं कह सकता है कि तेल के बदले हमने किसी से रुपए लिए। हमने न तो किसी को तेल बेचा, न ही यह कहा कि हमारी बोतल रख लो और तेल का प्रचार करो।


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