राजस्थान में दीया-प्रेमचंद की नियुक्ति रद्द करने हाईकोर्ट में याचिका, तर्क-संविधान में डिप्टी सीएम पद का प्रावधान नहीं

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BP Shrivastava
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राजस्थान में दीया-प्रेमचंद की नियुक्ति रद्द करने हाईकोर्ट में याचिका, तर्क-संविधान में डिप्टी सीएम पद का प्रावधान नहीं

JAIPUR. राजस्थान में बीजेपी की अड़चनें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सीएम पद को लेकर शुरुआती खिंचतान जैसे-तैसे कम हुई, लेकिन अब डिप्टी सीएम पद दीया कुमारी और डॉ. प्रेमचंद बैरवा की शपथ को लेकर शनिवार, 16 दिसंबर को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि डिप्टी सीएम पद का संविधान में प्रावधान नहीं है, इसलिए यह नियुक्ति रद्द की जाए।

 संविधान में डिप्टी सीएम पद का प्रावधान नहीं

 जयपुर हाईकोर्ट अब इस मामले में सुनवाई की तारीख तय करेगा। याचिका दायर करने वाले एडवोकेट ओम प्रकाश सोलंकी ने कहा कि संविधान में डिप्टी सीएम पद का कोई प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद दीया कुमारी और डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने डिप्टी सीएम के नाम शपथ ली है। यह कानूनी तौर पर गलत है।

वकील ने यह भी तर्क दिया

याचिकाकर्ता वकील ने तर्क दिया कि डिप्टी सीएम मंत्री ही होता है, केवल राजनीतिक पोस्ट है। दोनों ने मंत्री की जगह डिप्टी सीएम की शपथ ली है, जब डिप्टी सीएम का पद संविधान में है ही नहीं तो आप शपथ कैसे ले सकते हैं। दोनों की नियुक्ति को रद्द किया जाना चाहिए।

अब तक डिप्टी सीएम बने नेता कैबिनेट मंत्री की शपथ लेते रहे हैं

राजस्थान समेत देश के कई राज्यों में पहले भी डिप्टी सीएम बनते रहे हैं। राजस्थान में भैरोंसिंह शेखावत सरकार में हरिशंकर भाभड़ा डिप्टी सीएम बने थे। अशोक गहलोत की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार में 2002 में कमला बेनीवाल और बनवारीलाल बैरवा डिप्टी सीएम रह चुके हैं। गहलोत सरकार में ही 2018 में सचिन पायलट डिप्टी सीएम बनाए गए थे। इन सब नेताओं ने डिप्टी सीएम की जगह कैबिनेट मंत्री की ही शपथ ली थी।

एमपी और छत्तीसगढ़ में भी बनाए गए डिप्टी सीएम 

इस बार राजस्थान के साथ ही छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में डिप्टी सीएम बने नेताओं ने कैबिनेट मंत्री की जगह डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। एमपी में जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल को डिप्टी सीएम बनाया गया है तो छत्तीसगढ़ में अरुण साव और विजय शर्मा को।

सुप्रीम कोर्ट पूर्व में खारिज कर चुका इस पद की याचिकाएं

डिप्टी सीएम के पद की शपथ को लेकर पहले भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर हुई हैं। डिप्टी सीएम की शपथ पर आपत्ति को सुप्रीम कोर्ट 1990 में खारिज कर चुका है। कर्नाटक, पंजाब-हरियाणा, बॉम्बे हाईकोर्ट में भी डिप्टी सीएम की शपथ पर आपत्ति जताते हुए नियुक्ति अवैध घोषित करने की याचिकाएं दायर हुईं, सब जगह याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज करते हुए साफ कर दिया था कि डिप्टी सीएम को भी संविधान के आर्टिकल 164(3) के तहत शपथ दिलाई जाती है, डिप्टी सीएम की शपथ लेना संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं है।

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