Jaipur. पिछले चुनाव में राजस्थान में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था और कई जिलों में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। यही कारण है कि इस बार भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने ना सिर्फ चुनाव प्रचार अभियान समय से पहले शुरू किया, बल्कि पार्टी के सबसे बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उन जिलों में जा रहे हैं जहां पिछले चुनाव में पार्टी की हालत खराब थी। ऐसे ही एक जिले सीकर में पीएम मोदी गुरूवार को आएंगे और पांच मेडिकल कॉलेजों के लोकार्पण सहित किसानों को किसान सम्मान निधि का पैसा ट्रांसफर करेंगे। इसके लिए एक किसान सम्मेलन यहां आयेाजित किया गया है।
पिछले चुनाव में भाजपा 200 में 73 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी और कुछ जिले ऐसे भी थे जहां भाजपा का खाता भी नहीं खुल पाया था। इनमें भरतपुर, दौसा, जैसलमेर, करौली, प्रतापगढ़, सवाई माधोपुर और सीकर जिले शामिल थे। सचिन पायलट के चलते पूर्वी राजस्थान तो लगभग पूरा ही कांग्रेस के खाते में चला गया था। यही कारण है कि भाजपा अपने चुनाव अभियान में पहले इन कमजोर जिलों की सीटों पर फोकस कर रही है। पूर्वी राजस्थान के भरतपुर, करौली, सवाई माधोपुर, धौलपुर और दौसा के लिए पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह अब तक तीन-चार दौरे कर चुके हैं। वहीं पीएम मोदी के भी जो दौरे अब तक हुए हैं, उनमें भी ज्यादातर कमजोर जिले ही शामिल हैं।
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पीएम के दौरे और पिछले चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन
पिछले वर्ष सितम्बर से अब तक पीएम मोदी का यह सातवां बड़ा दौरा है। वे अब तक छह बडी सभाएं राजस्थान में कर चुके हैं और गुरूवार को सातवीं सभा को सम्बोधित करेंगे। उनके यहां के दौरों उन जिलों में पार्टी के प्रदर्शन का लेखा जोखा कुछ इस तरह है
मानगढ़ - पीएम मोदी का पहला बड़ा दौरा मानगढ़ धाम में हुआ था जो आदिवासी बहुल बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों को साधता है। इन जिलों में पिछले चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं था। बांसवाड़ा की 5 में से 2 सीटें पार्टी जीत पाई थी, वहीं डूंगरपुर की 4 में से 1 सीट पर पार्टी जीत पाई थी, वहीं प्रतापगढ की दो में से एक भी सीट पार्टी नहीं जीत पाई थी। यानी इस आदिवासी बहुल क्षेत्र की 11 सीटों में से पार्टी सिर्फ तीन सीट जीत पाई थी।
भीलवाड़ा - पीएम का दूसरा दौरा गुर्जरों के आराध्य देवनारायण भगवान के मंदिर के एक बड़े कार्यक्रम से जुड़ा था। इसके लिए वे भीलवाड़ा आए थे। इस दौरे से भीलवाड़ा और चित्तौडगढ़ जिलों को साधा गया था। इन दोनों जिलों में वैसे तो पार्टी की स्थिति मजबूत थी। चित्तौड की 5 में से तीन और भीलवाड़ा की 7 में से 5 सीटें पार्टी ने जीती थी, लेकिन यह दौरा मुख्य तौर पर गुर्जर समुदाय को साधने के लिए था, जो पिछले चुनाव में सचिन पायलट के कारण पूरी तरह से कांग्रेस के पक्ष में चला गया था।
दौसा - यहां पीएम मोदी ने राजस्थान को एक्सप्रेस वे की बड़ी सौगात दी थी। दौसा पूर्वी राजस्थान का प्रवेश द्वार माना जााता है और पिछले चुनाव की बात करें तो पूर्वी राजस्थान के चार बडे जिलों दौसा, करौली, सवाई माधोपुर और भरतपुर में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।
सिरोही, नाथद्वारा - इस दौरे के जरिए पीएम मोदी ने सिरोही, जालौर, राजसमंद और उदयपुर जिलो को साधने का प्रयास किया था। पिछले चुनाव में इन चार जिलों में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा ही था। सिरोही की 3 में से 2 सीट, उदयपुर की 8 में से 6 सीट, राजसमंद की 4 में से 2 सीट और जालौर की 5 में से 4 सीट पार्टी ने जीती थी। यानी इन चार जिलों की 20 में से 14 सीटें पार्टी ने जीती थी।
अजमेर - अजमेर राजस्था के मध्य मेें पड़ता है और इस जिले के दौरे के जरिए पीएम मोदी ने अजमेर, नागौर, टोंक और भीलवाड़ा जिलों को साधा था। पिछले चुनाव में यहां पार्टी के प्रदर्शन की बात करें तो अजमेर की 8 में से 5, नागौर की 10 में से 2, भीलवाड़ा की 7 में से 5 और टोंक की 4 में से 1 सीट पर जीत दर्ज की थी। यानी इन चार जिलों की 29 मे से 13 सीटों पर ही पार्टी जीत हासिल कर पाई थी। अजमेर और भीलवाड़ा में पार्टी की स्थिति ठीक थी, वहीं नागौर और टोंक में हाल खराब थे।
बीकानेर - बीकानेर जिलें में मोदी ने राजस्थान को करीब 24 हजार करोड़ के विकास कार्यो की सौगात दी थी। इस जिले के जरिए उन्होंने बीकानेर, चूरू, गंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों को साधने का प्रयास किया था। इन जिलों में पिछले चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन की बात की जाए तो बीकानेर की 7 में से 3, चूरू की 6 में से 2, गंगानगर की 6 में से 3 और हनुमानगढ़ की 5 में से 2 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। यानी इन चार जिलों की 24 में से 10 सीटों पर ही पार्टी जीत हासिल कर पाई थी।
सीकर- अब गुरूवार को पीएम सीकर आ रहे है। सीकर उत्तरी राजस्थान का प्रवेश द्वार माना जाता है और इस जिले के दौरे से पीएम सीकर, झुंझुनूं और चूरू जिलों को साधेंगे। यह किसान बैल्ट है और दिल्ली में चले किसान आंदोलन का कुछ असर यहां भी नजर आया था। ऐसे में यहां का दौरा पार्टी के प्रति किसानों की नाराजगी दूर करने की दृष्टि से अहम होगा। पिछले चुनाव की बात करें तो सीकर की 8 में से एक भी सीट भाजपा नही जीत पाई थी। वहीं झुंझुनूं मे भी 7 में से सिर्फ एक सीट पर पार्टी को जीत मिली थी। चूरू की बात करें 6 में से 2 सीटों पर ही पार्टी जीत पाई थी। यानी इन तीन जिलो की 21 सीटों में से पार्टी सिर्फ 3 सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी