New Delhi. राजस्थाना के विधानसभा चुनावों की बागडोर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने हाथों में ले रखी है। जिसके लिए 8 अगस्त को उन्होंने राजस्थान के सांसदों की एक बैठक दिल्ली में ली। इस बैठक में दो चेहरे ऐसे थे जिनकी मौजूदगी राजस्थान में बीजेपी की रणनीति के बारे में काफी कुछ बयां कर रही है। ये दो चेहरे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव के थे।
क्या मिल सकती है नई जिम्मेदारी?
इस बैठक के बाद सवाल उठने लगे हैं कि राजस्थान में वसुंधरा राजे और अश्वनी वैष्णव को कोई नई जिम्मेदारी दी जाएगी। वसुंधरा राजे सांसद नहीं हैं फिर भी उन्हें मीटिंग में बुलाया गया, हो सकता है कि उनके अनुभव का लाभ उठाने मीटिंग में बुलाया गया हो। वैसे भी वे बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। उधर अश्वनी वैष्णव ओडिशा से सांसद हैं। मीटिंग में पीएम मोदी ने सांसदों के साथ-साथ वसुंधरा और अश्वनी वैष्णव को भी कुछ टास्क दिए हैं।
केंद्र के कामकाज और गहलोत की कमजोरियों को उठाएं
बीजेपी सूत्रों की मानें तो बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों को केंद्र सरकार के बीते 9 सालों के कामकाज का प्रचार करने के साथ-साथ राजस्थान सरकार की कमजोरियों और भ्रष्टाचार को उजागर करने का टास्क दिया है। साथ ही जनधन, उज्जवला योजना, पीएम आवास, आयुष्मान कार्ड जैसी योजना में जितने भी हितग्राही बचे हों उन्हें योजनाओं से जोड़ने के निर्देश दिए गए हैं।
बड़ी सफलताओं को भूलने न दिया जाए
बीजेपी की यह रणनीति भी है कि सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर 370 और राममंदिर का मुद्दा, कोरोना के दौरान सभी को वैक्सीन का मामामला हो या फिर वंदे भारत ट्रेन किसी भी उपलब्धि को जनता भूल न पाए इसके प्रयास करने सांसदों से कहा गया है।
सांसदों को दिया जाएगा विशेष महत्व
राजस्थान में चुनाव जीतने पार्टी सांसदों को विशेष महत्व देने जा रही है, इससे उसे लोकसभा चुनावों में भी फायदा होगा। राजस्थान से 4 सांसद केंद्र में मंत्री हैं। लोकसभा अध्यक्ष भी राजस्थान से हैं और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का भार भी सांसद सीपी जोशी के कंधों पर है। इसके अलावा सांसद भगीरथ चौधरी को किसान मोर्चा, सांसद घनश्याम तिवाड़ी को उपसभापति पैनल में शामिल किया गया है। सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को प्रवक्त बनाया गया है।