राजस्थान में आज से DGP-IGP की बैठक, डीजीपी कॉन्फ्रेंस के जरिए देश की आंतरिक सुरक्षा का फर्स्ट हैंड फीडबैक लेंगे PM और अमित शाह

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Pratibha Rana
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राजस्थान में आज से DGP-IGP की बैठक, डीजीपी कॉन्फ्रेंस के जरिए देश की आंतरिक सुरक्षा का फर्स्ट हैंड फीडबैक लेंगे PM और अमित शाह

मनीष गोधा, JAIPUR. हर साल देश के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित होने वाली पुलिस के शीर्ष अधिकारियों की डीजीपी कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह देश की आंतरिक सुरक्षा का फर्स्ट हैंड फीडबैक लेते हैं। इसी के जरिए अगले एक साल के लिए देश की आंतरिक सुरक्षा का एजेंडा तय होता है। आज (5 जनवरी) से जयपुर में होने जा रही डीजीपी कॉन्फ्रेंस में संसद में हाल में पारित किए गए नए क्रिमिनल कानूनों को लागू करने का रोडमैप तैयार किया जाएगा।

सेंट्रल आईबी तैयार करती है एजेंडा

इस कॉन्फ्रेंस की मेजबानी देश का गृह विभाग और सेंट्रल आईबी करते हैं। देश के सभी राज्यों से हर साल का एजेंडा और राज्यों के प्रमुख मुद्दों की जानकारी मांगी जाती है। राज्यों से आए एजेंडा और अन्य जानकारी के आधार पर ही सेंट्रल आईबी इसका एजेंडा तैयार करती है। राजस्थान के पूर्व पुलिस महानिदेशक भूपेंद्र यादव ने बताया कि सभी राज्य अपनी ओर से अपने मुद्दे बताते हैं। उन राज्यों में इन मुद्दों को लेकर जो काम किया गया। इसके अलावा जो नवाचार किए गए या जो अच्छे काम किया उनको भी भेजा जाता है।

राज्यों का होता है प्रस्तुतिकरण

कॉन्फ्रेंस के लिए जो एजेंडा तैयार किया जाता है। उसपर जिन राज्यों में कुछ अलग ढंग का काम हुआ है, उन राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को संबंधित सत्रों बोलने का मौका दिया जाता है। इसके अलावा सभी राज्य अपना प्रस्तुतीकरण भी देते हैं। इसमें वे अपने राज्यों के मुद्दे और जो अच्छा काम किया गया है, उसके बारे में बताते हैं।

पहले पीएम एक दिन ही आते थे

राजस्थान के पूर्व पुलिस महानिदेशक भूपेंद्र यादव ने बताया कि पहले प्रधानमंत्री सम्मेलन में एक ही दिन के लिए आते थे। गृह मंत्री तीनों दिन रहते थे, लेकिन मौजूदा प्रधानमंत्री तीनों दिन सम्मेलन में मौजूद रहते हैं। हर सत्र में अधिकारियों की बात सुनने के बाद अपने विचार भी रखते हैं और सुझाव भी देते हैं। इसके जरिए उन्हें देश में आंतरिक सुरक्षा के बारे में सीधा फीडबैक मिल जाता है।

हमेशा रहते है कुछ मुद्दे

सम्मेलन में नक्सलवाद, आतंकवाद, पुलिस बेड़े की समस्याएं जैसे कुछ मुद्दे हमेशा रहते हैं। इन मुद्दों पर यह जानने की कोशिश की जाती है कि पिछली बार जो कुछ तय किया गया था, उसपर अब तक क्या हुआ और इस दौरान क्या नए ट्रेंड या प्रवृत्तियां देखने को मिली हैं। यादव ने कहा कि जब तक यह समस्याएं है। ये मुद्दे सम्मेलन में रहेंगे, लेकिन चर्चा के जरिए यह पता चल जाता है कि समस्या किस ओर जा रही है और इससे निपटने के लिए क्या किया जाना है।

इस बार इनपर होगी चर्चा

इस बार के सम्मेलन में साइबर अपराध, पुलिस व्यवस्था में प्रौद्योगिकी, आतंकवाद विरोधी चुनौतियां, वामपंथी उग्रवाद, जेल सुधार और आंतरिक सुरक्षा मुद्दों पर विस्‍तार से विचार-विमर्श किया जाएगा। सम्मेलन का एक अन्य प्रमुख एजेंडा नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन के लिए रोड मैप पर विचार-विमर्श है। इसके अतिरिक्‍त, पुलिस व्यवस्था और सुरक्षा में भविष्य के विषयों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डीपफेक जैसी नई प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों और उनसे निपटने के तरीकों पर भी चर्चा होगी।

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