DAMOH. गांव में चारों ओर अंधेरा था, लोग गहरी नींद में थे, अचानक आवाज गुंजती है, सुनो-सुनो गांववालों...! डैम फूट रहा है। घरों के बाहर निकलो, वरना आफत में फंस जाओगे! ऐसा अनाउंसमेंट कई बार होने के बाद लोगों की नींद टूटती है। समझ में आता है पुलिस आई है। थोड़ी देर में पूरा गांव जाग जाता है, लोग अपना-अपना बेहद जरुरी सामान और जो हाथ में आया पैसा-रूपया लेकर पुलिस की बताई दिशा में भागने लगते हैं। जैसे-तैसे रोड तक पहुंचे हैं कि अल सुबह डैम फूट जाता है। पौड़ी डैम के सैलाब में गांववालों की गृहस्थी बर्बाद हो जाती है। यह मंजर था सोमवार- मंगलवार (24-25 जुलाई) की रात से सुबह तक का। इस हादसे से पौड़ी और जैतगड़ गांव के करीब 1600 ग्रामीणों की गृहस्थी बर्बाद हो जाती है। अब डैम का पानी तो बह चुका है, लेकिन अपने पीछे गांववालों को खाने-पीने से लेकर तमाम समस्याएं छोड़ गया है।
यह तबाही दमोह जिला मुख्यालय से 75 किलोमीटर दूर तेंदूखेड़ा ब्लॉक में आने वाले पौड़ी और जैतगड़ गांव में मंगलवार सुबह करीब 5 बजे डैम का हिस्सा फूट जाने के बाद हुई।
लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई
पौड़ी जैतगढ़ डैम फूटने के मामले में लापरवाही बरतने पर जल संसाधन विभाग के एसडीओ एलके द्विवेदी और सब इंजीनियर डीके असाटी को सस्पेंड कर दिया गया है। ये कार्रवाई सागर कमिश्नर वीरेंद्र सिंह रावत ने की है।
जान बच गई, गृहस्थी उजड़ गई
एक दिन पहले गांवों में चहल-पहल थी। बच्चे आंगन में खेल रहे थे। बुजुर्ग चबूतरों पर बैठकर ठहाके लगा रहे थे। महिलाएं अपनी गृहस्थी को व्यवस्थित कर रही थीं, 24 घंटे के भीतर ही वहां की तस्वीर बदल चुकी थी। जिस आंगन की लिपाई गोबर से हुई थी, वहां अब कीचड़ पसरा था। घर में रखा राशन पानी में बह चुका था। जो बचा था, वह मिट्टी में सन चुका था। कुछ कपड़े, बिस्तर बाउंड्री वॉल में उलझे हुए थे। उनमें से पानी टपक रहा था।
लोग रातभर जागने के बाद घर तो लौटे, लेकिन उनकी आंखों से नींद गायब थी। चेहरे पर उदासी और माथे पर चिंता की लकीरें थीं। पानी में सब कुछ बर्बाद होने के बाद इनकी आंखों में आंसू थे। परिवार वाले एक-दूसरे को दिलासा देते रहे।
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फसल भी बर्बाद, अब सिर्फ कीचड़
गांव में तबाही की तस्वीर गांव की सीमा से 2 किलोमीटर पहले ही समझ आने लगती है। लोग बेचैन थे। खेतों की फसलें अब कीचड़ में समा चुकी थीं। सड़कें मिट्टी से सनी हुई थी। पूरा राशन मिट्टी में मिल चुका था। पहनने के साथ ही ओढ़ने-बिछाने वाले कपड़े मिट्टी में सने हुए थे।