RAIPUR. छत्तीसगढ़ में बीजेपी की बहुमत से जीत के बाद मुख्यमंत्री के नाम पर 3 दिसंबर से जारी सस्पेंस रविवार को खत्म हो गया। बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने रविवार की शाम नए सीएम के नाम की घोषणा कर दी है। कुनकुरी के विधायक और आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को बीजेपी विधायक दल का नेता चुन लिया है। छत्तीसगढ़ के चौथे मुख्यमंत्री बने साय बीजेपी के पहले आदिवासी सीएम भी होंगे। चार बार के सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे साय का परिवार लंबे समय से राजनीति से जुड़ा रहा है। आइए जानते हैं साय के सरपंच से सीएम तक का राजनीतिक सफर ...
कौन हैं विष्णुदेव साय
विष्णुदेव साय साफ-सुथरी और ईमानदार वाली छवि से पहचाने जाते हैं। साय को रमन सिंह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का करीबी माना जाता है। बीजेपी ने आदिवासी नेता को सूबे का सीएम बनाकर बड़ा दांव खेला है। विष्णुदेव साय साल 1980 में बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद राजनीति में कदम रखा, राजनीतिक जीवन की शुरुआत पंच और सरपंच से की थी। साल 1989 में वे अपने गांव बगिया से पंच निर्वाचित हुए थे, फिर सर्वसम्मिति से वह सरपंच चुने गए थे। इसके बाद वह सियासत में तेजी से आगे बढ़े।
तीन बार सांसद, चार बार विधायक
उन्होंने साल 1990 में पहली बार प्रॉपर्टी का कुछ हिस्सा बेचकर विधायक का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। ऐसा माना जाता है कि बीजेपी के दिवंगत नेता दिलीप सिंह जूदेव ने उन्हें 1990 में चुनावी राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित किया था, उसी साल साय अविभाजित मध्य प्रदेश में जशपुर जिले के तपकरा से बीजेपी के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद उन्होने 1993 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से दूसकी बार जीत दर्ज की थी। साल 1998 में उन्होंने पत्थलगांव सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं पाए। इसके बाद उन्होने लोकसभा का चुनाव लड़ा। वे लगातार चार बार 1999, 2004, 2009 और 2014 में रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। इस बीच बीजेपी ने उन्हें 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में पत्थलगांव सीट से प्रत्याशी बनाया था लेकिन वह दोनों बार उन्हे हार का सामना करना पड़ा।
मोदी सरकार में रह चुके हैं मंत्री
2014 में केंद्र में बीजेपी की पूर्ण बहुमत सरकार बनने के बाद विष्णुदेव साय पीएम मोदी की पहली मंत्रिपरिषद के सदस्य बनाए गए। 2014 में साय रायगढ़ लोकसभा सीट से चुनकर आए थे। मोदी सरकार में साय को इस्पात और खनन राज्य मंत्री बनाया गया था। वह छत्तीसगढ़ के उन 10 बीजेपी सांसदों में से थे, जिन्हें 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए टिकट देने से इनकार कर दिया गया था।
2 बार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं साय
विष्णुदेव साय बीजेपी अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने 2006 से 2010 तक और फिर जनवरी-अगस्त 2014 तक बीजेपी के छत्तीसगढ़ प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी निभाई। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में 2018 में बीजेपी की करारी हार के बाद उन्हें 2020 में फिर पार्टी नेतृत्व जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 2022 में उनकी जगह अरुण साव को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। वह बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य भी हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाकों में एक बड़े आदिवासी नेता के रूप में देखा जाता है।
विष्णुदेव साय का परिवार
छत्तीसगढ़ के मनोनीत मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जन्म 21 फरवरी 1964 को जन्म आदिवासी बहुल जशपुर जिले के एक छोटे से गांव बगिया के एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रसाद साय और मां का नाम जशमनी देवी है। वह मूलतः किसान हैं। विष्णुदेव ने कुनकुरी के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की और स्नातक की पढ़ाई के लिए अंबिकापुर चले गए, लेकिन बीच में ही पढ़ाई छोड़कर 1988 में अपने गांव लौट आए। इसके बाद गांव में पंच बनने के साथ राजनीति में कदम रखा। साल 1991 में विष्णुदेव की कौशल्या देवी से शादी हुई थी। उनके परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटियां और एक बेटी है।
दादा और बड़े पिता रह चुके हैं विधायक
विष्णुदेव साय के खून में सियासत है। उनके दादा स्वर्गीय बुधनाथ साय 1947 से 1952 तक विधायक थे। उनके बड़े पिता भी नरहरि प्रसाद साय जनसंघ के सदस्य थे और दो बार (1962-67 और 1972-77) विधायक रहे। इसके बाद सांसद (1977-79) बने और जनता पार्टी की सरकार में राज्य मंत्री बने। उनके पिता के दूसरे बड़े भाई स्वर्गीय केदारनाथ साय भी जनसंघ के सदस्य थे और तपकारा से विधायक (1967-72) थे।
इसलिए बने पहली पसंद
छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री बने विष्णुदेव साय आदिवासी समाज के बड़े नेता माने जाते हैं। वे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष, सांसद, विधायक और केंद्रीय मंत्री रह चुके है। साय संघ से जुड़े बीजेपी के बड़े आदिवासी नेताओं में शुमार हैं। आदिवासी समाज में उनका बड़ा कद माना जाता है। राज्य में पार्टी की जड़े मजबूत करने में उनका काफी योगदान रहा है। साथ ही व्यवहार में विनम्र और कार्यकर्ताओं के साथ बढ़िया तालमेल है। जिसके चलते पार्टी नेतृत्व ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। विष्णुदेव की गिनती पूर्व सीएम रमन सिंह के करीबी लोगों में होती है। 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कुनकुरी (एसटी) सीट से विष्णुदेव साय को मैदान में उतारा था। विष्णुदेव साय ने कांग्रेस के यूडी मिंज को 25 हजार 541 वोटों से शिकस्त दी थी। 3 दिसंबर को आए नतीजों में बीजेपी की बंपर जीत हुई। बीजेपी ने 54 सीटों पर जीत करते हुए बहुमत हासिल किया।
बीजेपी का आदिवासी कार्ड
बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में फिर आदिवासी कार्ड खेला है और आदिवासी समुदाय के एक व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना है। लोकसभा चुनाव में आदिवासी वोटरों को साधने की यह बीजेपी की कोशिश है। बीजेपी ने अपनी सोची-समझती राणनीति के तहत विष्णुदेव साय के नाम का चयन किया है। वह आदिवासी नेता हैं और आदिवासी समुदाय में उनकी बड़ी पकड़ है। राज्य में आदिवासी वोटर काफी अहम माना जाता है। पूरे राज्य की 32 फीसदी जनसंख्या आदिवासी समुदाय की है। छत्तीसगढ़ की 29 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।