JABALPUR. मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में प्रदेश को हिलाकर रख देने वाले सीधी पेशाबकांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला ने एनएसए की कार्रवाई को चुनौती दी है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच ने इस पर सुनवाई की। अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। याचिका में दलील दी गई है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान के आदेश पर प्रशासन ने मनमाने ढंग से एनएसए की कार्रवाई कर दी, जबकि मामले में ठोस वैधानिक आधार मौजूद ही नहीं था। दलीलें सुनने के बाद अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 1 सितंबर तक जवाब पेश करने कहा है।
आरोपी का नहीं पुराना आपराधिक रिकॉर्ड
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता प्रवेश शुक्ला की पत्नी कंचन शुक्ला की ओर से अधिवक्ता अनिरुद्ध मिश्रा ने पक्ष रखा। दलील दी गई कि याचिकाकर्ता के पति को एनएसए के तहत जेल में डाल दिया गया है। जबकि उसका आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था, इस वजह से एनएसए की कार्रवाई की वैधानिकता चुनौती देने योग्य है। कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 21 के भी विपरीत है। यह भी दलील दी गई कि आरोपी पर वीडियो के वायरल होने के आधार पर एनएसए लगाया गया, जबकि वीडियो 3 साल पुरान है। साल 2020 के उक्त वीडियो के कारण किसी प्रकार का दंगा या विवाद के हालात भी नहीं बने।
यह है मामला
जुलाई महीने में सीधी में आदिवासी दशमत पर शराब के नशे में आरोपी प्रवेश शुक्ला द्वारा पेशाब करने का वीडिया वायरल हुआ था। इस वीडियो की पूरे देश में काफी चर्चा हुई थी। राजनीति में जमकर उथल-पुथल मची। घटना की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने आरोपी पर एनएसए के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए। आनन-फानन में आरोपी का घर भी तोड़ दिया गया। इस सब के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दशमत को सीएम आवास बुलवाकर उसके पैर धोए और जमकर सत्कार भी किया।
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रंजिश के चलते वायरल हुआ था वीडियो
बाद में यह बात सामने आई थी कि उक्त वीडियो 3 साल पुराना था। प्रवेश शुक्ला से रंजिश के चलते किसी ने साजिशन वीडियो को वायरल किया था। अब इस मामले में सरकार को अदालत में जवाब पेश करना है। यह देखने योग्य होगा कि मामले में सरकार क्या जवाब पेश करती है।