BHOPAL. मप्र में शराबबंदी की मांग लगातार उठ रही है। ऐसे में सरकार ने शराबबंदी की मांग को नहीं माना, लेकिन इस वर्ष (2023-24 ) में शराब के अहाते जरूर बंद करवा दिए गए और अब प्रदेश में शराब की मांग बढ़ाने और शराब प्रेमियों को लालच देने के लिए सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। बता दें कि पूरे प्रदेश में महुआ से बनी शराब के ठेके खोले जाने की तैयारी चल रही है। इसे हेरिटेज शराब नीति में महिला स्व सहायता समूह की मदद का नाम दिया जा रहा है।
वर्तमान शराब दुकानों से अलग खोले जाएंगे ठेके
जानकारी के मुताबिक ये ठेके वर्तमान शराब दुकानों से अलग खोले जाएंगे। इनके लिए टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं। मप्र के आलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा ब्लॉक के कोछा गांव में हनुमान आजीविका स्व सहायता समूह और डिंडोरी जिले के अमरपुर ब्लॉक के भाखामाल गांव में मां नर्मदा आजीविका स्व सहायता समूह महुआ के फूल से हेरिटेज शराब बना रहे हैं और बेच भी रहे हैं। वर्तमान में इनसे किसी प्रकार का टैक्स नहीं लिया जा रहा है। गौरतलब है कि फुटकर लाइसेंसी दुकानों से हेरिटेज शराब बिक्री पर 10 प्रतिशत और होटल बार से बिकने वाली हेरिटेज शराब पर 18 प्रतिशत की दर से टैक्स वसूला जाता है। वहीं सरकार का मानना है कि इन स्व सहायता समूहों द्वारा उत्पादित महुआ की शराब की बिक्री अभी कम है। ऐसे में बिक्री में बढ़ोतरी के लिए सरकार मार्केटिंग एजेंसी की नियुक्ती करने पर भी विचार-विमर्श कर रही है। जानकारी के मुताबिक ये नियुक्ति मप्र महिला वित्त एवंविकास निगम के जरिए तीन साल के लिए की जाएगी। इसके लिए विभाग ने टेंडर भी जारी कर दिए हैं, लेकिन प्रदेश में चुनावी आचार संहिता लगने के कारण ये अभी तक खुल नही सका।
शराब बनाने वाले समूह में 50 फीसदी शामिल होंगी महिलाएं
बता दे कि वर्तमान में भोपाल में 87 शराब की दुकानें हैं। 798 करोड़ रुपए में कॉन्ट्रैक्ट दिया इनका आबकारी विभाग ही तय करेगा। हेरिटेज शराब उत्पाद की कीमत उत्पादन की लागत, बाजार स्थितियों, प्रतिस्पर्धी दबाव और उत्पाद की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए तय की जाएगी। इसमें मप्र महिला वित्त एवं विकास निगम और राज्य उत्पाद शुल्क विभाग से भी राय ली जाएगी। हालांकि मैन्यूफैक्चरिंग कीमत आबकारी विभाग तय करेगा। न्यूनतम बिक्री मूल्य स्व सहायता समूह से तय होगी, लेकिन अधिकतम खुदरा मूल्य भी आबकारी विभाग ही तय करेगा। चुनिंदा काउंटर, रेस्त्रां बार, होटल में मिल रही है केवल आदिवासी इलाके में गठित स्व सहायता समूह को हेरिटेज मदिरा बनाने का लाइसेंस सरकार से मिल रहा है। सरकार के मुताबिक समूह में 50 फीसदी महिलाएं होना चाहिए। सदस्यों को 10वीं पास होना भी आवश्यक है। शराब बनाने के लिए भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI ) का सर्टिफिकेट लेना जरूरी है।
महुआ शराब की कीमत 200 से 800 रुपए
वर्तमान समय में आलीराजपुर की शराब को मोंड और डिंडोरी की शराब को मोहुलो के नाम से बेचा जा रहा है। इनकी कीमत 200 से 800 रुपए तक रखी गई है। शराब की बिक्री हेतू प्रचार-प्रसार मार्केटिंग एजेंसी करेगी। ये एजेंसी लोगों के घरों में जाकर महुआ शराब के फायदे बताएगी इसके लिए नए ग्राहक समूह तय करेगी और ग्राहक बनाएगी। इसके अलावा महिला स्व सहायता समूहों को उत्पादन बढ़ाने के लिए कच्चे माल की खरीद, उत्पादन, मशीनरी, क्वालिटी सुधारने, इन्वेंट्री और स्टोरेज मैनेजमेंट में मदद करते हुए विभिन्न योजनाओं के जरिए लोन दिलवाने की दिशा में भी मदद करेगी। एजेंसी दूसरे राज्यों में भी रिटेल आउटलेट काउंटर खुलवाने के लिए काम करेगी, ताकि महुआ शराब का ज्यादा से ज्यादा मार्केट खड़ा हो सके।