झांसी में पबजी एडिक्ट ने की माता-पिता की हत्या, गेम खेलने से रोकने पर पिता से अक्सर लड़ता था आरोपी, जो किया उसका अफसोस भी नहीं

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Rahul Garhwal
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झांसी में पबजी एडिक्ट ने की माता-पिता की हत्या, गेम खेलने से रोकने पर पिता से अक्सर लड़ता था आरोपी, जो किया उसका अफसोस भी नहीं

JHANSI. पबजी की लत किसी के लिए कितनी खतरनाक हो सकती है ये आप सोच भी नहीं सकते। झांसी में पबजी एडिक्ट ने अपने माता-पिता को ही मार डाला। पिता उसे गेम नहीं खेलने से मना करते थे। इस बात को लेकर अक्सर उसकी पिता से लड़ाई होती थी। आरोपी ने तवा मारकर माता-पिता को मौत के घाट उतार दिया।



पुलिस से हंसते हुए बोला- मैंने मारा



माता-पिता को मारने के बाद आरोपी अंकित ने नहा लिया। कपड़े बदलकर वो अपने कमरे में बैठ गया। पुलिस जब घर पहुंची तो वो चारपाई पर बैठा था। पुलिस से उसने हंसते हुए कहा कि- हां, मैंने ही मारा है। आरोपी को माता-पिता को मारने का थोड़ा-सा भी अफसोस नहीं है।



'अंकित की मानसिक हालत ठीक नहीं'



अंकित 3 बहनों में अकेला भाई है। 2 बेटियों की शादी हो चुकी है और एक उरई में पढ़ाई कर रही है। अंकित की बड़ी बहन नीलम ने बताया कि अंकित की मानसिक हालत ठीक नहीं थी। पापा उसे गेम नहीं खेलते देते थे। अक्सर वो उनसे लड़ता था। शायद विवाद में ही उसने उनकी हत्या कर दी। अंकित के पिता सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल थे।



कोरोना काल में अंकित की जॉब छूटी, तब से घर में ही था



अंकित की बहन नीलम ने बताया अंकित रेलवे हॉस्पिटल में कंपाउंडर था। कोरोना काल में उसकी जॉब छूट गई। लॉकडाउन के दौरान अंकित घर में ही रहा। घर पर वो घंटों तक मोबाइल और लैपटॉप पर गेम खेलता रहता था। पापा उसे दोबारा जॉब करने को कहते थे। अंकित घर पर ही मोबाइल रिपेयर का काम करने लगा था। उसका व्यवहार भी बदल गया था। उससे परिवार के सभी लोग परेशान थे।



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बहन ने पड़ोसी को फोन किया, तब हुआ खुलासा



नीलम ने बताया कि वो शनिवार सुबह से अपने पिता को फोन कर रही थी, लेकिन वो फोन नहीं उठा रहे थे। इसके बाद उसने पड़ोसी को फोन किया और घर जाकर देखने को कहा। पड़ोसी के घर पहुंचने पर मेन गेट खुला था। दरवाजा खोला तो देखा जमीन पर खून फैला था। पिता की सांसें थम गई थीं। मां दर्द से तड़प रही थी। पड़ोसी ने पुलिस को बुलाया। मां को मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।



हत्या के बाद अंकित भागा नहीं



इंस्पेक्टर सुधाकर मिश्रा ने बताया कि अंकित को इस हत्या का कोई अफसोस नहीं था। मानसिक तौर पर वह ठीक नहीं लग रहा था। हत्या के बाद उसने भागने की कोशिश नहीं की।


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