धरमजयगढ़ में हाथियों की लड़ाई में बच्चे की मौत, छाल वन क्षेत्र में 26 हाथियों की जान गई, 36 में 22 वनमंडल में हाथियों का असर

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Shivam Dubey
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धरमजयगढ़ में हाथियों की लड़ाई में बच्चे की मौत, छाल वन क्षेत्र में 26 हाथियों की जान गई, 36 में 22 वनमंडल में हाथियों का असर

नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ के धरमजयगढ़ वन मंडल में हाथी के बच्चे का शव मिला है। अधिकारियों द्वारा बताया गया है कि शावक की मौत हाथियों के बीच हुए आपसी द्वंद्व में हुई होगी। छाल वन परिक्षेत्र में अब तक 26 हाथियों की मौत हो चुकी है। बच्चे की मौत के बाद वन विभाग जांच कर रहा है। 



आपसी द्वंद्व में शावक की मौत



जानकारी के अनुसार, धरमजयगढ़ वन मंडल के पुरुंगा बीट में एक हाथी के शावक का शव मिला मिला है। अधिकारियों द्वारा यह बताया है कि जंगल में इन दिनों 16 हाथियों का एक समूह विचरण कर रहा हैं। इसमें कुछ बच्चे भी मौजूद हैं। उन्हीं में से एक बच्चे की मौत हाथियों के बीच हुए आपसी संघर्ष की वजह से हुई। यह बच्चा बड़े हाथियों के बीच आ गया होगा, जिससे उसके सिर पर चोट लग गई और वहीं बैठे-बैठे उसकी प्राकृतिक रूप से मौत हो गई। हाथी के बच्चे की लाश दो-तीन दिन बाद बरामद कर पोस्टमॉर्टम कर उसका विधिवत अंतिम संस्कार कर दिया गया है। शावक की उम्र करीब एक से डेढ़ साल की थी। वन मंडल अधिकारियों को घटना स्थल पर शिकार संबंधी उपकरण नहीं मिले हैं।  इसलिए मौत को प्राकृतिक माना जा रहा है।



अब तक 26 की मौत



छाल वन परिक्षेत्र में अब तक अलग-अलग कारणों की वजह से 26 हाथियों की मौत हो गई है। धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र धीरे-धीरे हाथियों कि कब्रगाह बनता जा रहा है। एक ओर राष्ट्रपति ने हाथियों की सुरक्षा के लिए जनजागरुकता और हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन दूसरी ओर लगातार हाथियों की मौत की खबरें सामने आती हैं। छत्तीसगढ़ में देश के केवल एक प्रतिशत हाथी ही यहां विचरण करते हैं। लेकिन हाथी मानव संघर्ष के सबसे ज्यादा मामले यहीं से आते हैं। 36 वन मंडलों में 22 वन मंडल हाथी प्रभावित हैं। हाथी पहले तीन-चार जिलों तक सीमित थे, लेकिन अब इनका दायरा बढ़ता जा रहा है।


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