नितिन मिश्रा, RAIPUR. बाघों की संख्या के मामले में छत्तीसगढ़ निचले क्रम में दूसरे स्थान पर रहा है। बाघों की संख्या में हर साल कमी आ रही है। अब बाघों को बचाने के लिए रिजर्व और बफर जोन से 200 गांव शिफ्ट करने होंगे। बाघों के संरक्षण के लिए मौजूदा सरकार ने 183 करोड रुपए खर्च किए थे। लेकिन फिर भी छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या 17 रह गई है।
शिफ्ट करने होंगे 200 गांव
बाघ संरक्षण को लेकर छत्तीसगढ़ एक बार फिर से पिछड़ गया सबसे कम बाघ वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ को निचले क्रम में दूसरे स्थान पर टॉप फाइव में रखा गया है। ओडिशा के बाद छत्तीसगढ़ इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, गोवा और झारखंड हैं। छत्तीसगढ़ में वर्तमान में 3 टाइगर रिजर्व हैं। अचानकमार, इंद्रावती और उदंती–सीतानदी टाइगर रिजर्व। तीनों टाइगर रिजर्व के कोर और बफर जोन में 100 से ज्यादा गांव हैं।टाइगर रिजर्व में मानव आबादी बढ़ने की वजह से यहां दूसरे राज्य के टाइगर रिजर्व से जाने वाले बाघों की आवाजाही का क्रम टूट गया है। जिसकी वजह से यहां बाघों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। अचानकमार टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में 19 गांव, उदंती सीतानदी के कोर तथा बफर जोन में 99 गांव और इंद्रावती टाइगर रिजर्व के बफर और कोर जोन में 91 गांव स्थित हैं।
वन्य भूमि में कब्जा होने से घट रही वन्य जीवों की संख्या
वन्यजीवों के जानकारों का कहना है कि छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत हिस्सा कागजों में 44% जरूर है। लेकिन राज्य बनने के 30 साल बाद भी बेतहाशा वनाधिकार पट्टा बांटा गया। जिसके फलस्वरूप जंगलों की बेतहाशा कटाई शुरू हो गई। जिससे राज्य में बाघों के अलावा अन्य दूसरे वन्यजीवों की संख्या में भी गिरावट आ रही है। इसके कारण ही हाथी मानव द्वंद की घटनाएं भी बढ़ी हैं। जंगल की रक्षा करने के लिए वहां बाघों की उपस्थिति आवश्यक है। वन्य भूमि पर ग्रामीणों के द्वारा बड़े पैमाने पर वनों की कटाई कर उसे कृषि भूमि बना दी गई है। गांव बस जाने की वजह से भी बाघों के कदम छत्तीसगढ़ की तरफ आने से रुक गए हैं।