नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ के 8 ऑटोनोमस कॉलेजों में ग्रेजुएशन में चार वर्षीय कोर्स पिछले साल लागू किया गया। लेकिन अब ये कोर्स पासिंग मार्क्स और एटीकेटी को लेकर विवादो में है। जिसके कारण पासिंग मार्क्स में बदलाव करने की तैयारी है। 8 कॉलेजों के अलावा यह कोर्स इस साल अन्य कॉलेजों में भी लागू किया जाना था, लेकिन विवादों के कारण नहीं हो पाया।
विवादों में चार वर्षीय ग्रेजुएशन कोर्स
पिछले साल राज्य के 8 ऑटोनोमस कॉलेजों में ग्रेजुएशन का 4 साल का ग्रेजुएशन कोर्स लागू किया गया था। यह कोर्स अब विवादों में हैं। इस सिस्टम के तहत चार वर्षीय ग्रेजुएशन के अनुसार फर्स्ट सेमेस्टर के पांच पेपर में से तीन में पास होना जरूरी है। इसमें बीए के 100 नंबर के पर्चे में 80 नंबर थ्योरी और 20 नंबर इंटर्नल व असाइनमेंट के हैं। इसमें पास होने के लिए 40% नंबर जरूरी है। कामर्स और साइंस के लिए भी यही फार्मूला है। वहीं दूसरी ओर राज्य के अन्य कॉलेजों में चल रहे यूजी में पासिंग मार्क्स 33% है। इसलिए ऑर्डिनेंस में संशोधन कर नए प्रावधान जोड़े जाने की तैयारी है।
मार्क्स में किए जाएंगे बदलाव
चार वर्षीय ग्रेजुएशन कोर्स के तहत पासिंग मार्क्स 40 प्रतिशत से घटाकर 36 किया जा सकता है। इसी तरह फर्स्ट सेमेस्टर में दो से ज्यादा विषय में फेल होने वाले छात्र भी सेकंड सेमेस्टर में जा सकेंगे। एटीकेटी के प्रावधानों में भी बदलाव होंगे। इसी तरह नए कोर्स में अभी सिर्फ रिकाउंटिंग की सुविधा है। इसमें भी बदलाव की तैयारी की जा रही है। इस संबंध में जल्द ही निर्देश जारी हो सकते हैं। इस कोर्स में फर्स्ट सेमेस्टर के पांच पेपर में से तीन में पास होना जरूरी है। दो विषय में एटीकेटी आने वाले छात्र भी सेकंड सेमेस्टर में गए। लेकिन ऑटोनोमस कॉलेजों में कई छात्र ऐसे थे जो तीन विषय फेल हुए और वे सेकंड सेमेस्टर में नहीं जा पाए। इसका भी छात्रों ने विरोध किया था। इसमें भी बदलाव को लेकर चर्चा हो रही है।