RAIPUR. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। छत्तीसगढ़ की अनुसूचित क्षेत्र के हीरा और सोना के खदानों का ठेका विदेशी और बाहरी कंपनी को दिए जाने के संबंध में अमित जोगी ने धावा बोला है। रायपुर में अमित जोगी ने कहा है कि पहले राज्य बनाने के लिए लड़े थे, अब बचाने की लड़ाई की जाएगी। अमित जोगी ने टेंडर को निरस्त करने के लिए सरकार को 3 दिन का अल्टीमेटम दिया है।
'सरकार ने एड़ी चोटी का जोर लगाकर ये टेंडर निकाला'
अमित जोगी ने छत्तीसगढ़ सरकार के 3000 हेक्टेयर में फैले बसना हीरा खदान, महासमुंद और कांकेर में दो सोना खदानों के लिए 6 जुलाई को निकाले गए ई-टेंडर के गलत फैसले के विरोध में सरकार को चेतावनी एवं जन आंदोलन की घोषणा की है। अमित जोगी का कहना है कि पूर्व में अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने छत्तीसगढ़ प्रदेश की धन संपदा (हीरा और सोना खदानों) को बाहरी हाथों में देने का फैसला लिया था, जिसका उस समय हमारे आदर्श और पार्टी के संस्थापक स्व. अजीत जोगी जी ने कांग्रेस पार्टी में रहते हुए भी पुरजोर विरोध किया। छत्तीसगढ़ के पृथक राज्य बनने के बाद वर्ष 2001 में छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में स्व. अजीत जोगी ने इस पूरे करार को रद्द कर दिया था।
जोगी बोले- आख़िर इतनी हड़बड़ाहट और जल्दबाजी क्यों?
अमित जोगी का कहना है कि कुछ दिनों पहले तक यह विषय न्यायालय में विचाराधीन था, लेकिन राज्य को लूटने की जल्दबाजी में वर्तमान राज्य सरकार ने एड़ी चोटी का जोर लगाकर ये टेंडर निकाला है। पिछले साढ़े 4 सालों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार ने छत्तीसगढ़ को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और अब अपने कार्यकाल के अंतिम 3 महीनों में भी यह सरकार छत्तीसगढ़ का हीरा और सोना भी लूट कर ले जाना चाहती है। आख़िर इतनी हड़बड़ाहट और जल्दबाजी क्यों?
जोगी ने कहा CAG रिपोर्ट खनन विभाग की नाकामी
अमित जोगी ने कहा है कि विधानसभा में अवैध खनन पर CAG की आई रिपोर्ट में ये साफ़ हो चुका है कि किस प्रकार प्रदेश के संसाधन लुटाए जा रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में अवैध खनन गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए निर्धारित उपायों का पालन नहीं किया गया है। खदान पट्टों के व्यापक डेटाबेस का अभाव होने के साथ खदान पट्टा क्षेत्र के सीमांकन को इंगित करने के लिए सीमा स्तंभ/ सीमा चिह्न भी गायब हैं। इस वजह से स्वीकृत पट्टा क्षेत्रों से इतर की खनन गतिविधियों की पहचान नहीं हो पाई। खनिजों के अवैध परिवहन को रोकने के लिए स्थापित चेक पोस्टों की संख्या अपर्याप्त पाई गई है और स्थापित चेक पोस्ट भी वेटब्रिज (तौल कांटे) की सुविधा से लैस नहीं हैं।