नितिन मिश्रा, RAIPUR. पीडीएस पर कैग ने अपनी रिपोर्ट जारी की है। जिसके अनुसार कोरोना काल में 167 लाख से ज्यादा लोगों को अतिरिक्त खाद्यान्न नहीं दिया गया था। मार्च 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना शुरू की गई थी। जिसके तहत लोगों को अतिरिक्त खाद्यान्न देना था।
क्या कहा गया है रिपोर्ट में
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार उचित मूल्य की दुकानों के कामकाज में भारी अनियमितता देखी गई राष्ट्रीय लेखा परीक्षक सीएजी ने कहा है कि कांग्रेसी छत्तीसगढ़ में कोविड-19 महामारी के दौरान प्राथमिकता वाले घरेलू राशन कार्ड रखने वाले 1 करोड़ 67 लाख 32 हजार केंद्रीय योजना के तहत खाद्यान्न योजना का लाभ नहीं दिया गया था। इसी प्रकार मार्च 2021 की समाप्ति वर्ष में जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार ने कोविड-19 महामारी की वजह से आर्थिक परेशानियों को लेकर गरीबों को खाद्यान्न मारने का फैसला किया था। मार्च 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की शुरुआत की गई थी। योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कवर किए गए सभी लाभार्थियों को वितरण के लिए प्रति व्यक्ति हर महीने अतिरिक्त 5 किलो चावल दिया जाना था। एनएफएसए के तहत कवरेज दो श्रेणियों के तहत किया जाना था। जिसमें अंत्योदय योजना भी शामिल थी।
उचित मूल्य की दुकानों का सोशल ऑडिट नहीं हुआ
क्या कि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 177 उचित मूल्य की दुकानों का निरीक्षण किया गया। साथ ही 1177 बीपीएल कार्ड धारकों से बातचीत भी की गई। जिसके अनुसार विभाग द्वारा 80% दुकानों का मासिक निरीक्षण नहीं किया गया।निरीक्षण रजिस्टर बनाकर नहीं रखा गया था। 98 फीसदी उचित मूल्य की दुकानों का सोशल ऑडिट नहीं किया गया। ऑडिट में पाया गया कि एनएफएसए–पीएचएच राशन कार्ड धारक परिवार के 103 सदस्यों को अतिरिक्त चावल का लाभ नहीं मिल पाया था 3 सदस्यों वाले पीएचएच कार्ड धारकों को 5 किलो की हो जाए 3 किलो फ्री चावल मिला था राज्य में कुल 31 लाख 5000 लाभार्थी हैं। उन्हें उतना ही चावल मिला जितना योजना शुरू होने के पहले मिलता था।
आत्मनिर्भर भारत योजना के भी यही हालात
कैग की रिपोर्ट के अनुसार मां सरकार ने फैसला लिया था कि प्रवासियों या फंसे हुए लोगों के प्रत्येक परिवार को 1 किलो मुफ्त चना दिया जाएगा। जिसके लिए आत्मनिर्भर भारत की योजना शुरू की गई थी। जो कि एनएफएसए या पीडीएस राशन कार्ड योजना के तहत कवर नहीं किए गए थे। राज्य सरकार 30.218 प्रवासी व्यक्तियों को मुफ्त चावल और एनबीएस के तहत पहचाने गए 20.395 प्रवासी परिवारों को मुफ्त वितरित नहीं किया गया था।