छग में कांग्रेस बोली–इंदिरा बैंक घोटाले में रमन और उनके मंत्रियों लिया था पैसा, पुलिस को पता था इसलिए कोर्ट में नहीं पेश की सीडी

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Shivam Dubey
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छग में कांग्रेस बोली–इंदिरा बैंक घोटाले में रमन और उनके मंत्रियों लिया था पैसा, पुलिस को पता था इसलिए कोर्ट में नहीं पेश की  सीडी

नितिन मिश्रा, RAIPUR. इंदिरा प्रियदर्शिनी घोटाले को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है।  कांग्रेस ने तत्कालीन  मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके मंत्रियों पर घोटाले का पैसा लेने का आरोप लगाया हैं। कांग्रेस बकायदा आंकड़ों के साथ सामने आई है। उन्होंने बताया है कि कितने पैसे किस मंत्री को दिए गए हैं।संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि इंदिरा बैंक घोटाले में रमन और उनके मंत्रियों बृजमोहन, राजेश मूणत, अमर अग्रवाल और रामविचार नेताम ने पैसे लिए हैं। उस समय पुलिस को जानकारी थी लेकिन पुलिस कार्रवाई नहीं कर सकी थी। आज ही पुलिस ने मामले की जांच करते हुए 44 उद्योगपतियों को नोटिस जारी किया है। 




कांग्रेस का यह है आरोप 



छत्तीसगढ़ में इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की लेकर कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए हैं। बैंक घोटाले में 44 उद्योगपतियों को नोटिस भेजा गया है। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी तीखे बयानो के साथ सामने आई है।  कांग्रेस ने तत्कालीन बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री और मंत्रियों को नामजद कर पैसे लेने के आरोप लगाए हैं। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि इंदिरा बैंक घोटाले में जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा तत्कालीन सरकार के ऊपर से नीचे तक गया था। नार्को टेस्ट में बैंक मैनेजर उमेश सिन्हा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह को 1 करोड़, तत्कालीन गृह मंत्री रामविचार नेताम को 1 करोड़, तत्कालीन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को 2 करोड़, मंत्री राजेश मूणत को 1 करोड़, अमर अग्रवाल को 1 करोड़ तथा तत्कालीन डीजीपी को 1 करोड़ रू. घूस देने का खुलासा किया था। 



अलग–अलग बैगों में पहुंचाए गए पैसे 



सुशील आनंद शुक्ला ने आगे कहा कि मैनेजर ने  नार्को टेस्ट में बताया है कि बैंक की अध्यक्ष रीता तिवारी के कहने पर उसने लाल, नीले और काले रंग के एडीडास कंपनी के बैग में रकम इन नेताओं के यहां पहुंचाया था। इसलिये रमन सरकार के समय पुलिस ने लेब से नार्को टेस्ट की अधिकृत सीडी लेकर साक्ष्य के रूप में अदालत में जमा ही नहीं किया था ताकि रसूखदार नेताओं को बचाया जा सके।



मुख्यमंत्री और मंत्रियों को बचाने सीबीआई को नहीं सौंपा गया केस 



प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि परिसमापक इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक द्वारा प्रकरण सी.बी.आई.को सौपने हेतु पंजीयक सहकारी संस्था के द्वारा शासन को पत्र क्रमांक/परि./स्था./2009-10 दिनांक 24/12/2009 लिखा गया था। पंजीयक सहकारी संस्थाएं ने भी छत्तीसगढ़ पत्र क्रमांक/साख-3/नाग0 बैंक/2010/483 रायपुर दिनांक 04.02.2010 के द्वारा सचिव छत्तीसगढ़ शासन सहकारिता विभाग मंत्रालय रायपुर को इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्या0 रायपुर में हुये 54 करोड़ के गबन/घोटाले से संबंधित प्रकरण सी.बी.आई. को सौंपने की अनुशंसा की गयी थी, लेकिन मुख्यमंत्री रमन सिंह एवं मंत्रियों को बचाने के लिये सीबीआई जांच की यह अनुशंसा नहीं मानी गयी। 



पुलिस को थी जानकारी 



सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मैनेजर उमेश सिन्हा के नार्को टेस्ट में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह सहित मंत्रियों के द्वारा पैसा लिये जाने की जानकारी पुलिस को शुरू से थी। इसीलिये नार्को टेस्ट की सीडी अदालत में प्रस्तुत नही की गयी। जबकि नार्को टेस्ट अदालत के ही आदेश से करवाया गया था। अदालत ने प्रकरण क्रमांक 614/07 की पेशी दिनांक 4/6/2007 को माननीय मुख्य न्या.मजि.रायपुर के आदेश दिनांक 25/01/2007 के अनुसार ही उमेश सिन्हा का नार्को टेस्ट बैंगलोर में कराया गया। नार्को टेस्ट की रिपोर्ट पर छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा सरकार के मुखिया और इतने प्रभावशाली मंत्रियों के विषय में स्वतंत्र और निष्पक्ष विवेचना संभव ही नहीं है।  ऐसी स्थिति में राज्य पुलिस द्वारा  जांच की नहीं की गयी।


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