Raipur. स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने सिविल लाईंस बंगले में द सूत्र से कहा है कि, डिप्टी सीएम से कुछ बदल नहीं जाएगा, उप मुख्यमंत्री के रुप में अलग से कोई काम नहीं होता।काम तो हमें वही करना है। मुख्यमंत्री लीड करते हैं कैबिनेट को,और कैबिनेट के सदस्य के रुप में एक उप मुख्यमंत्री बना दिया। स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने यह तब कहा जबकि उनसे सवाल हुआ कि, साढ़े चार साल का वक्त क्या बहुत देर नहीं हो गई।28 जून को देर शाम नाटकीय अंदाज में 24 अकबर रोड से एक आदेश निकला और स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव को केंद्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ का उप मुख्यमंत्री बना दिया। यह उस बैठक के ठीक बाद का फ़ैसला था जिसमें शीर्षस्थ नेता राहुल गांधी के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और महासचिव वेणुगोपाल मौजूद थे। यह बैठक छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सत्ता और संगठन से जुड़े सभी दिग्गज चेहरों के साथ थी।
पहले आया बयान सामूहिक नेतृत्व और फिर जारी हुआ पत्र
कांग्रेस के राष्ट्रीय कार्यालय में आयोजित यह बैठक छत्तीसगढ़ को लेकर केंद्रित थी। छत्तीसगढ़ में कुछ ही महीनों में चुनाव हैं और इस चुनाव में वापसी गारंडेट हो यह इस बैठक का मूल एजेंडा था। बैठक के दौरान राहुल गांधी ने प्रदेश के एत शीर्षस्थ नेता से यह कह दिया कि आत्मविश्वास अच्छा है लेकिन ओवर कॉंफिडेंस का मतलब तय नुक़सान है। राहुल गांधी इस बैठक में छत्तीसगढ़ से मौजूद दो वरिष्ठ नेताओं से लगातार संवाद करते रहे। दोनों में से एक मंत्री थे, जबकि एक अन्य केंद्रीय राजनीति में लंबे अरसे तक सक्रिय रहे हैं लेकिन मौजूदा समय में छत्तीसगढ़ विधानसभा में अहम भूमिका अदा करते हैं।बैठक ख़त्म होने के बाद एक पीसी हुई जिसमें किसी भी सवाल को पूछने का वक्त नहीं दिया गया।यह पीसी छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन प्रभारी कुमारी सैलजा ने ली। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मंत्री टी एस सिंहदेव की मौजूदगी में 9 मिनट के आसपास कुमारी सैलजा ने प्रेस को संबोधित किया। उन्होंने तीनों शीर्षस्थ नेताओं से मिले मार्गदर्शन की जानकारी दी और कहा 2023 का चुनाव 2018 की तर्ज़ पर सामूहिक नेतृत्व में लड़ा जाएगा। इस पीसी के कुछ घंटे के भीतर वेणुगोपाल का पत्र सामने आया जिसमें लिखा गया था कि, मंत्री टी एस सिंहदेव को छत्तीसगढ़ प्रदेश का उप मुख्यमंत्री बनाया जाता है।
आलाकमान का रुख़ क्यों बदला, डिप्टी सीएम पद क्यों स्वीकार किया मंत्री सिंहदेव ने
कांग्रेस आलाकमान को यह मुकम्मल तौर पर पता है कि, छत्तीसगढ़ कांग्रेस के हालात कैसे हैं। राहुल गांधी ने जो ट्विट 15 दिसंबर 2018 को किया था वह हाफमेन का वह विचार था, जिसमें कहा गया था कि आप कितने ही शानदार और रणनीतिकार हों लेकिन अकेले खेलेंगे तो टीम से हाथ धो बैठेंगे। याने राहुल गांधी ने तब भी टीम को महत्वपूर्ण बताया था। लेकिन छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बीते साढ़े चार साल में से विशुद्ध चार साल एकला चलो या कि मैं ही मैं हूँ दूसरा कोई नहीं की नीति साफ़ दिखी। कोई भी क्षत्रप अपमानित होने से नहीं बचा। कोई चुनौती बनने की सोचे उसके पहले ही उसका स्वाभिमान ही झकझोर दिया गया। उत्तर से लेकर दक्षिण छत्तीसगढ़ तक यह सिलसिला कई जगहों पर कई लोगों के साथ हुआ। यह बात छुपी हुई नहीं रह गई थी कि आख़िरकार संगठन के निचले स्तर तक के कार्यकर्ता सीधे प्रदेश संगठन प्रभारी कुमारी सैलजा तक जो आवाज़ पहुँचा रहे थे, उनमें क्या शब्द और दर्द थे। नतीजतन आलाकमान ने जो पहले भारत जोड़ो यात्रा और फिर कर्नाटक चुनाव के बाद आत्मविश्वास से लबरेज़ है उसने निर्देशित किया कि, चुनाव सामूहिक नेतृत्व पर लड़े जाएँगे, और ढाई साल के वादे पर भरोसा कर ठगे गए लेकिन फिर भी चुप रहने वाले मंत्री सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने का फ़ैसला ले लिया। मंत्री सिंहदेव अनुशासित रहे हैं, विनम्र सहज और अनुरोध वाले शब्दों के साथ बात करने वाले सिंहदेव ने इसे उसी अनुशासन की वजह से स्वीकारा।
हासिल क्या होना है ? क्या चार साल पर भारी हो जाएँगे चार महीने
चार साल उत्तर से दक्षिण तक किसी भी चुनौती या संभावित चुनौती को सीधे ध्वस्त कर देने की स्वाभाविक रणनीति चली गई। एक राजनेता के रुप में खुद को निर्द्वंद रखने की मंशा ग़लत भी थोड़ी है, लेकिन इस फेर में जबकि चुनाव सामने है, सारे विरोधी या अपमान झेल चुकें क्षत्रपों को सिलसिलेवार मिले तिरस्कारों ने एकजुट कर दिया। इसमें क्षत्रपों के साथ साथ उन को नेता मानने वाले कार्यकर्ता भी थे। यह दंश इतना भीतर बैठा पैठा है कि, यह मानना दिन के सपना जैसा है कि टी एस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने से सब कुछ महीनों में बदल जाएगा, बगीचा फिर संवर जाएगा। बिलाशक मंत्री सिंहदेव की स्वीकार्यता बेहद ज़्यादा है, लेकिन अपमान और सम्मान अंततः निजी होता है।यह भी बेहद दूर की कौड़ी है कि, ईडी की कार्रवाई के बीच कुछ गंभीर हो जाए तो कांग्रेस आलाकमान मंत्री सिंहदेव का नाम बताकर यह कहें कि, विकल्प हमारे पास है।यह सोचना भी आज की तारीख़ में धरातल से बेहद दूर महसूस कराता है कि, डिप्टी सीएम बनने के बाद अब जब ‘संयोग’ से सरकार फिर बन जाए तो मंत्री सिंहदेव का मुख्यमंत्री बनना पक्का ही है।
तमाम क़यासों संभावनाओं आशंकाओं के बीच यह तथ्य तो स्थापित है कि, सीएम भूपेश ने कुर्मी कुल गौरव, किसान हितैषी व्यक्ति के साथ-साथ सनातन धर्म संस्कृति पर अगाध आस्था रखने वाले शख़्स के साथ साथ छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बेहद मान देने वाले व्यक्ति के रुप में वह छवि स्थापित कर ली है जिसे प्रचारित करने में सीएम भूपेश के समर्थकों सलाहकारों ने तंत्र का भरपूर उपयोग किया। कांग्रेस के भीतरखाने उनका व्यवहार भले सामान्य वैचारिक विरोधी को कट्टर विरोधी बना देने का का रहा और वे बहुत जगह राहुल गांधी के 15 दिसंबर 2018 के ट्विट के संदेश के मूल भाव को भूल गए। लेकिन एक छवि जो जनता के बीच गढ़ी जानी थी वह जरुर सफलता से गढ़ ली गई, और ज़ाहिर है वोट के लिए वह छवि भी जरुरी है। पर चुनाव तो संगठन लड़ता है, और यही सवाल है कि क्या 90 की 90 विधानसभा में कांग्रेस के भीतर वह टीम तैयार है जो केवल सीएम भूपेश के चेहरे पर 2018 का जादू दोहरा देने को तैयार हो जाए। ज़ाहिर है इसका जवाब “ना और नहीं” ही है।
सिंहदेव की ये बात ग़ौरतलब है
छत्तीसगढ़ के पहले डिप्टी सीएम कौन के रुप में पीएससी के पर्चे के संभावित सवाल का सही जवाब सिंहदेव बन गए हैं। लेकिन इस डिप्टी सीएम पद की अधिकारिता और प्रभाव क्या कोई अहमियत रखती है और साढ़े चार साल बाद इस पद को देने से हासिल क्या है। मंत्री सिंहदेव से बेहतर इसका जवाब कोई नहीं दे सकता था और उन्होंने इसे दिया भी।
डिप्टी सीएम के रूप में कोई अलग काम तो नहीं होता- सिंहदेव
“काम तो हमें वही करना है, उप मुख्यमंत्री के रुप में अलग से कोई काम तो होता नहीं है। मुख्यमंत्री लीड करते हैं कैबिनेट को और कैबिनेट के सदस्य के रुप में एक उप मुख्यमंत्री बना दिया। वाइस कैप्टन बना दिया।”
मंत्री सिंहदेव ने ठीक इसके बाद कहा- “बॉलिंग और बैटिंग तो वैसी ही करनी है, फील्डिंग वैसी ही करनी है।”
धर्मपरायण सीएम भूपेश का ट्वीट
ठीक उस वक्त जबकि मंत्री टी एस सिंहदेव बंगले में समर्थकों से घिरे हुए थे। प्रशंसकों की भीड़ उन्हें गुलदस्ता और फूलों की माला दे रही थी। मीडियाकर्मी इंटरव्यू के लिए बारी का इंतज़ार कर रहे थे, कुछ खबरनवीस यह समझना चाह रहे थे कि, आख़िरी चार महीनों में क्या ही हो जाएगा। ठीक उसी वक्त धर्मपरायण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट किया।आस्थावान सीएम भूपेश ने देवशयनी एकादशी की बधाई दी, सीएम भूपेश ने याद दिलाया कि अगले चार महीने मंगल कार्य बंद रहेंगे, क्योंकि देवता सोते हैं। सीएम भूपेश बघेल ने लिखा- “आप सभी को पवित्र देवशयनी एकादशी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। भगवान विष्णु जी की कृपा समस्त जगत पर बनी रहे। आज से हमारे देव शयन करेंगे, अगले चार महीने मंगल कार्य बंद रहेंगे।”