नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ गठन के 23 सालों में हाथियों की संख्या में बड़ा इजाफा देखने को मिला है। हाथियों की संख्या प्रदेश में 50 से बढ़कर 387 से ज्यादा हो गई है। इसमें ज्यादातर हाथी छत्तीसगढ़ के हैं। हाथियों की तादाद बढ़ने से हाथी मानव संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ गई हैं। कागजों की माने तो करीब 150 सालों से हाथी छत्तीसगढ़ में निवास कर रहें हैं। हाथियों की संख्या में बढ़ोत्तरी होने से सरकार की चिंता भी बढ़ गई है।
हाथियों की संख्या में बड़ा इजाफा
छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 23 वर्षों बाद हाथियों की संख्या में 7 गुना ज्यादा इजाफा हुआ है हाथियों की संख्या गठन के समय 50 के करीब रही लेकिन अभी यह संख्या 387 से ज्यादा हो चुकी है इसमें सरगुजा वन रेंज में 125 हाथी, बिलासपुर वन रेंज में 225,हाथी रायपुर रेंज में 37 हाथी मौजूद हैं इस प्रकार कुल 387 हाथी इस वक्त छत्तीसगढ़ में मौजूद हैं। छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा हाथी रिजर्व लेमरू हाथी रिजर्व है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार आने के बाद हाथियों के संरक्षण के लिए कई कोयले की खदानों को बंद किया गया है।हाथियों की बढ़ती संख्या सरकार के लिए भी चिंता का विषय बन गया है। छत्तीसगढ़ से हाथियों का नाता लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुराना है हाथी ब्रिटिश काल से ही छत्तीसगढ़ में आ जा रहे हैं। सन 1860 से छत्तीसगढ़ में हाथी मौजूद हैं। जिनका जिक्र ब्रिटिश दस्तावेजों में देखने को मिलता है।
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इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान बन सकता है स्थाई निवास
कुछ दिनों पहले हाथियों का एक दल धमतरी होते हुए केशकाल की ओर बढ़ा है। अगर वहां थी इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान तक पहुंच गए तो वहां इनका स्थाई ठिकाना बन सकता है इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान में चारा पानी भरपूर मात्रा में है यह राष्ट्रीय उद्यान तीन ओर से इंद्रावती नदी से घिरा हुआ है इस पूरे उद्यान में पानी के साथ चार की भी भरपूर व्यवस्था है। हालांकि बाना वन विभाग उदंती में हाथियों के स्थाई निवास के लिए अनुकूल जंगलों की तलाश कर रहा है। उसमें से उदंती एक अच्छा निवास हो सकता है। इस समय लगभग 34 हाथी उदंती रिजर्व में मौजूद हैं।
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