किसान न्याय योजना में बस्तर के 23 हज़ार किसान को नहीं मिला भुगतान,बैंक खाता गलत एंट्री,राज्य के अन्य इलाक़ों से भी आ रही शिकायतें

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Shivam Dubey
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किसान न्याय योजना में बस्तर के 23 हज़ार किसान को नहीं मिला भुगतान,बैंक खाता गलत एंट्री,राज्य के अन्य इलाक़ों से भी आ रही शिकायतें

नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में किसान राजीव गांधी न्याय योजना के तहत बोनस के तौर पर राशि मिलनी थी। सरकार ने किसानों के खातों ने पैसे जमा भी किए। लेकिन बस्तर के 23 हजार से ज्यादा किसानों को इसका फायदा नहीं मिल सका है। जिसका कारण बैंक खातों की गलत एंट्री बताई जा रही है। ऐसी ही शिकायते प्रदेश के अन्य इलाकों से सामने आ रहीं हैं। 



क्या है राजीव गांधी किसान न्याय योजना



राजीव गांधी किसान न्याय योजना में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न राजीव गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना की घोषणा की गई। जिसके अंतर्गत सरकार प्रति एकड़ 9 से 10 हजार रुपये तक की सब्सिडी किसानों को देती है।योजना के तहत सभी फसलों के लिए 9,000 रुपये प्रति एकड़ और धान के बदले वैकल्पिक फसलों के लिए 10,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। 



हजारों किसानों को नहीं मिली राशि



जानकारी के मुताबिक 21 मई को इस योजना की पहली किश्त किसानों के खाते में डाली गई। प्रदेश के कई किसानों को राशि प्राप्त भी हुई। लेकिन बस्तर के 23 हजार 254 किसानों के खाते में राशि नहीं आई। इस बात की जानकारी तब लगी जब किसान पैसे निकालने एटीएम पहुंचे। एटीएम से पैसे नहीं निकलने पर योजना से आए पैसों के बारे में पता किया गया तो पता चला कि पैसे तो खाते में आए ही नहीं। पैसे ना आने की वजह से किसानों की आर्थिक स्थिति में बहुत फर्क पड़ रहा है। इस बार योजना की राशि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा जमा की जा रही है। जिससे समय लग रहा है। 



ये वजह है पैसे जमा ना होने की



ज़िम्मेदारों ने खाते में पैसा ना आने की वजह यह बताई है कई सरकार ज़मीनों का पट्टा किसानों को दे दिया गया है। लेकिन सरकार शायद अभी भी इसे सरकारी ही समझ रही है। जिससे पैसे आने में किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही एक ही किसान के कई खाते होने की वजह से भी पैसे खाते में नहीं आ रहे हैं। इस समस्या का सामना करीब 80 हजार किसानों को करना पड़ रहा है। पटवारी और सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल के चलते पैसे आने में और समय लगने का अंदेशा है। किसानों को अपना डेटा सही करवाने के लिए लैंपस कि चक्कर काटना पड़ेगा। तभी खाते में पैसे आ सकेंगे।


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