छग में पहले मानसून ब्रेक ने खींची चिंता की लकीर, अब बिजली भी नहीं दे रहीं साथ, अघोषित बिजली कटौती ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें

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Shivam Dubey
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छग में पहले मानसून ब्रेक ने खींची चिंता की लकीर, अब बिजली भी नहीं दे रहीं साथ, अघोषित बिजली कटौती ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें






नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में किसानों के ऊपर मानसून ब्रेक पहाड़ की तरह टूट पड़ा है। बारिश नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। खेतों में दरारें पड़नी शुरू हो गई हैं। अब बिजली भी किसानों का साथ छोड़ रही है। कई इलाकों में अघोषित बिजली कटौती होने से किसानों के मुश्किलें बढ़ गई हैं। वहीं लबालब भरे डैम, बैराजों में पार्यपप्त मात्रा में पानी भी नहीं छोड़ा जा रहा है। 



अघोषित बिजली ने खड़ी की मुश्किलें 



कई इलाकों में किसान फसल को बचाने के लिए ट्यूबवेल, बोर और कुएं के पानी का इस्तेमाल कर रहें हैं। पंपों के माध्यम से पानी को खेत में पहुंचा रहें हैं, लेकिन पर्याप्त मात्रा ने पानी नहीं पहुंचने से खेतों की प्यास नहीं बुझ पा रही है। फलस्वरूप फसलों के खराब होने का खतरा मंडरा रहा है। बेमेतरा, मुंगेली जैसे इलाकों में 5 बजे के बाद या तो वोल्टेज की समस्या आ रही है या तो अघोषित बिजली कटौती की जा रही है। किसानों ने इस समस्या को लेकर प्रदर्शन भी किया है, लेकिन हालत अभी भी जस के तस हैं। 



औसत से कम हुई वर्षा 



छत्तीसगढ़ में कम बारिश होने के कारण तहसीलों में सूखा जैसी स्थिति बनने लगी है। तहसीलों में औसत से कम बारिश दर्ज की गई है। इसका सीधा प्रभाव किसानों पर पद रहा है। कम बारिश होने से धान और खरीफ की अन्य फसलें प्रभावित हो रहीं हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में अब तक 634 मिमी वर्षा दर्ज की है है। जो औसत वर्षा का 80 प्रतिशत ही है। प्रदेश की 174 तहसीलों में औसत से कम वर्षा हुई है। 13 तहसीलें ऐसी हैं जहां 50 प्रतिशत से कम वर्षा हुई है। 55 तहसीलों में 51 से 75 प्रतिशत वर्षा और 104 तहसीलों में 76 से 100 प्रतिशत वर्षा दर्ज की गई है। इसमें सरगुजा जिले में सबसे कम वर्षा हुई है। राजस्व पुस्तक परिपत्र 6–4 के तहत प्रभावितों को अनुदान सहायता राशि देने के लिए सभी जिलों को 142 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। 



लबालब भरें हैं बांध



इन दिनों प्रदेश के बांधो में 80 फीसदी से ज्यादा पानी लबालब भरा हुआ है। अब इन्ही जलाशयों की मदद से किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाया जाएगा। जलाशयों में 5096 क्यूबिक मीटर पानी भरा है। 78, तांदुला में 77, दुधावा में 81, सिकासार में 79, खारंग में 92, सोनूर में 59, मुरुमसिल्ली में 25, कोडार में 80, मनियारी में 97, केलों में 42 व अरपा भैंसाझार बैराज में 31 फीसदी पानी भरा है। इसी तरह मध्यम श्रेणी के बांधों में खरखरा में 97, गोंदली में 89, कोसारटेड़ा में 66, परालकोट में 25, श्याम में 89, चिरपानी में 96, पिपरियानाला में 94, बल्लार में 83, सुतियापार में 92, मोगरा मैं 82, मरोदा में 61, सरोदा में 89, घाँधा में 75, मटियामोती में 98, झुमका में 98, गेज टैंक 46 व खमारपाकुट में 69 प्रतिशत पानी बांधो में मौजूद है।


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