नितिन मिश्रा, RAIPUR. राजधानी में 17 साल पहले हुए बैंक घोटाले में खाताधारकों के पैसे अब वापस आने शुरू हो गए हैं। एक कंपनी जिसने बैंक के पैसों का गबन करके शेयर खरीदे थे। उसने 50 लाख रुपए वापस किए हैं। इससे पहले एक कारोबारी ने 28 लाख रुपए वापस किए थे। लेकिन अब भी 525 खाताधारकों के 15 करोड़ रुपए फंसे हुए हैं। बैंक घोटाले की फाइल दोबारा खुलने से लोगों ने पैसे वापस मिलने की उम्मीद जगी है। एक हफ्ते में पुलिस ने 78 लाख रुपए वसूले हैं।
घोटाले के पैसे को शेयर ने किया इन्वेस्ट
21 जून को इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की फाइल राज्य सरकार की मांग पर दोबारा खोली गई। जिसके बाद मैनेजर उमेश सिन्हा को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया। आरोपियों द्वारा पैसे को शेयर खरीदने में उपयोग किया गया था। मैनेजरउमेश सिन्हा से पूछताछ के बाद पुलिस ने 44 उद्योगपतियों को पुलिस ने नोटिस भेजा है। तफ्तीश में पता चला की आरोपियों ने घोटाले के पैसे को अलग– अलग कंपनियों में इन्वेस्ट किया है। आरोपियों द्वारा छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के 42 उद्योगपतियों की कंपनी के शेयर खरीदे थे। घोटाले की जानकारी लगते ही आरोपियों ने शेयर बेच दिया था। जिस कंपनी ने पैसे लौटाए हैं उसके डायरेक्टर का कहना है कि उन्हें जानकारी नहीं थी कि घोटालों के पैसे से शेयर खरीदे गए हैं। जिसके बाद संबंधित कंपनी ने 50 लाख रुपए वापस किए हैं। अब भी 525 खाताधारकों का करीब 15 करोड़ रुपए घोटाले के कारण फसा हुआ है। अब तक 12 करोड़ रुपए पीड़ितों को लौटा दिए गए हैं।
अभियुक्तों को कोर्ट में पेश होने का था आदेश
जानकारी के अनुसार जिला कोर्ट के प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी भूपेश कुमार बसंत की अदालत में शनिवार को मामले की सुनवाई हुई है। कोर्ट ने इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड घोटाले के सभी अभियुक्तों को 11 अगस्त को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए थे। अभियोजक संदीप दुबे ने कोर्ट के ध्यान में लाया कि लंबे समय से अभियोक्तों की कोर्ट में पेशी नहीं हो रही है। अभियुक्त कोई ना कोई बहाना बनाकर नहीं आ रहें हैं। जिसके बाद कोर्ट ने आदेश जारी किया था। लेकिन इनमें से कुछ आरोपियों की मौत हो चुकी है तो कई जमानत पर हैं।
राज्य शासन ने की थी नए सिरे से जांच की मांग
21 जून 2023 को राज्य शासन द्वारा इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड घोटाले के नए सिरे से जांच की मांग की गई। जिस पर रायपुर के प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी भूपेश कुमार बसंत ने जांच की अनुमति दे दी। साल 2006 में इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड में 28 करोड़ रुपए का बैंक घोटाला सामने आया था। इस दौरान बैंक मैनेजर का नार्कोटेस्ट कराया गया था। किसकी सीडी 17 सालों बाद कोर्ट में पेश की गई। उसके बाद 25 जून के सीडी को पुलिस को सुपुर्द कर दिया गया। पुलिस ने आरोपी मैनेजर के साथ–साथ घोटाले से जुड़े आरोपियों से एक महीने तक चली पूछताछ के बाद बड़ा कदम उठाया है।