Raipur. राजधानी के इंदिरा प्रियदर्शिनी सहकारी बैंक घोटाले की कोर्ट के आदेश के बाद अग्रिम जाँच कर रही रायपुर पुलिस ने इस मामले में पूछताछ के लिए व्यवसायी नीरज जैन के जगदलपुर स्थित निवास और आवास पर दबिश दी है। व्यवसायी नीरज जैन को सपरिवार नदारद और मोबाइल भी बंद पाए जाने की स्थिति में पुलिस उनके निवास और कार्यालय में नोटिस चस्पा कर के लौट रही है। इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले में करीब 18 करोड़ से उपर की रक़म की गड़बड़ी की आशंका है।
क्या है मसला
वर्ष 2006 में इंदिरा प्रियदर्शिनी सहकारी बैंक डिफ़ॉल्ट हो गया था। बैंक में करीब 22 हजार खाताधारकों के करोड़ों रुपए फँस गए। इस मामले में पुलिस की डायरी ने कोर्ट को बताया कि, बैंक से बग़ैर रक़म के एफ़डी बनाए गए और इसी आधार पर ऋण स्वीकृत कर दिए गए। यह ऋण भी जिन कंपनियों के नाम स्वीकृत किए गए वे कंपनियाँ वास्तविकता में थी ही नहीं। लेकिन काग़ज़ों में वे कंपनियाँ संचालित थीं। कोतवाली पुलिस ने इस मामले में प्रकरण क्रमांक 7/2007 के तहत एफ़आइआर करते हुए धारा 467,468,406,409,201,108,114 और 120 बी के तहत बैंक मैनेजर सहित ऑडिटरों और बैंक संचालकों को आरोपी बनाया था।बीते दिनों राज्य सरकार की ओर से इस मामले में विशेष लोक अभियोजक नियुक्त कर कोर्ट से आग्रह किया गया कि, मामले की अग्रिम विवेचना किए जाने हेतु कुछ बिंदु हैं। अदालत ने अग्रिम जाँच की अनुमति दे दी। जिसके बाद यह मामला केस डायरी के साथ वापस कोतवाली थाना आ गया है।
सीडी की वजह से सुर्ख़ियों में आया था मसला
इस मामले में एक सीडी खासी चर्चा में रही थी। इस प्रकरण में बतौर मुख्य आरोपी गिरफ़्तार बैंक मैनेजर का नार्को परीक्षण कराया गया था। इसकी सीडी अदालत में पेश होने के पहले ही राजनीतिक मंच पर आ गई थी। जानकारों का दावा है कि, इस मसले को तब कांग्रेस ने ही सीडी के आधार पर पुरज़ोर तरीक़े से उठाते हुए तत्कालीन बीजेपी सरकार में सीएम डॉ रमन सिंह, मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, मंत्री रामविचार नेताम पर आरोप लगाए थे। जानकारों का यह भी दावा है कि, नार्को टेस्ट के बाद आई सीडी में घोटाले से संबंधित कोई तथ्य नहीं थे इसलिए उस सीडी पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। लेकिन यह सवाल आज भी कौंधता है कि, जब सीडी अदालत में ही जमा नहीं हुई थी तो राजनीतिक दल के पास कैसे आ गई थी ?
कोतवाली पुलिस अभी क्या कर रही है
कोतवाली पुलिस इस मामले में उन सूत्रों को खंगाल रही है, जिसे लेकर यह माना जाता है कि बैंक को करारी चपत लगी। रायपुर पुलिस ने हालाँकि अधिकृत रुप से जाँच की दिशा और उसके बिंदुओं को लेकर जानकारी नहीं दी है, लेकिन कार्रवाई से यह संकेत मिलते हैं कि, पुलिस उन काग़ज़ी कंपनियों और उसके मूलतः संचालकों तक पहुँचने की क़वायद कर रही है।