नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में हुए इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला के कर्जदार अब धीरे– धीरे सामने आने लगे हैं। बिलासपुर के कीम्स अस्पताल के संचालक ने 1 करोड़ 4 लाख रुपए जमा कराए हैं। अब तक घोटाले की रकम में से 2 करोड़ 43 लाख रुपए तक की रिकवरी हो चुकी है। वहीं लोगों को भी पैसे मिलने शुरू हो गए हैं।
कर्जदार वापस जमा करा रहे पैसे
इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला की फाइल 16 साल बाद दोबारा खोली गई। इसमें मैनेजर सिन्हा समेत अन्य आरोपियों से लगातार पूछताछ की जा रही है। सीएम भूपेश बघेल ने न्यायालय से दोबारा फाइल ओपन करने का आग्रह किया था। जिसके बाद इस मामले में कर्जदार लगातार सामने आ रहें हैं। शुक्रवार 1 सितंबर को बिलासपुर के कीम्स अस्पताल के संचालक ने 1 करोड़ 4 लाख रुपए वापस किए हैं। किम्स अस्पताल ने जिन अलग–अलग फर्मों के नाम से बैंक से लोन लिया था। इन फर्मों के नाम की बकाया राशि अस्पताल संचालक ने वापस की है। वहीं इस रकम के साथ अब तक 2 करोड़ 43 लाख रुपए की रिकवरी की जा चुकी है।
घोटाले के पैसे को शेयर ने किया गया है इन्वेस्ट
आरोपियों द्वारा बैंक से लिए गए पैसे को शेयर खरीदने में उपयोग किया गया था। मैनेजर उमेश सिन्हा से पूछताछ के बाद पुलिस ने 44 उद्योगपतियों को पुलिस ने नोटिस भेजा था। तफ्तीश में पता चला की आरोपियों ने घोटाले के पैसे को अलग– अलग कंपनियों में इन्वेस्ट किया है। आरोपियों द्वारा छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के 42 उद्योगपतियों की कंपनी के शेयर खरीदे थे। अब भी 525 खाताधारकों का करीब 13 करोड़ रुपए घोटाले के कारण फसा हुआ है। अब तक 12 करोड़ रुपए पीड़ितों को लौटा दिए गए हैं।
राज्य शासन ने की थी नए सिरे से जांच की मांग
21 जून 2023 को राज्य शासन द्वारा इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड घोटाले के नए सिरे से जांच की मांग की गई। जिस पर रायपुर के प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी भूपेश कुमार बसंत ने जांच की अनुमति दे दी। साल 2006 में इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड में 28 करोड़ रुपए का बैंक घोटाला सामने आया था। इस दौरान बैंक मैनेजर का नार्कोटेस्ट कराया गया था। किसकी सीडी 17 सालों बाद कोर्ट में पेश की गई। उसके बाद 25 जून के सीडी को पुलिस को सुपुर्द कर दिया गया। पुलिस ने आरोपी मैनेजर के साथ–साथ घोटाले से जुड़े आरोपियों से एक महीने तक चली पूछताछ के बाद बड़ा कदम उठाया है।