नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में भू-नक्शों की जियो रेफरेंसिंग योजना की स्थिति डामा-डोल है। अभी तक इस योजना की शुरुआत ही नहीं हो पाई है। किसी भी एजेंसी और फर्म ने इसमें अपनी रुचि नहीं दिखाई है। जिसकी वजह से अब विभाग द्वारा दोबारा टेंडर जारी किया जाएगा। केंद्र सरकार की यह योजना छत्तीसगढ़ में लटकी हुई है।
योजना नहीं हो पाई शुरू
जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के सभी राजस्व शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के भू- नक्शों का जियो रेफरेंसिंग किया जाना है। इसके लिए संबंधित विभाग छत्तीसगढ़ इंफ़ोटेक प्रमोशन सोसायटी ( चिप्स) ने टेंडर जारी किया था। लेकिन इस निविदा में किसी कंपनी और फर्म ने रुचि नहीं दिखाई। जिसकी वजह से योजना शुरू नहीं हो सकी। अब चिप्स दोबारा निविदा जारी करने की तैयारी कर रहा है। जियो रेफ़्रेंसिंग का काम एजेंसी तय होने के बाद ही शुरू हो पाएगा। तब तक के लिए इस योजना ने कोई प्रोग्रेस नहीं हो सकेगी।
केंद्र सरकार की है योजना
केंद्र सरकार ने सभी शहरी और ग्रामीण कैडेस्ट्रेल नक़्शे को जियो रेफरेंसिंग किए जाने के निर्देश जारी किए हैं। इस योजना के तहत सभी गांवों को यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफ़िकेशन नंबर आवंटित किया जाना है। जिसके लिए राज्य के सभी नक्शों की जियो रेफरेंसिंग का काम होना है। कैडेस्ट्रेल नक़्शे को सैटेलाइट इमेज पर इंपोज करने पर जगह और नक़्शे में कम अंतर समझ आए।
जियो रेफरेंसिंग से क्या फायदा?
जानकारी के अनुसार जियो रेफरेंसिंग होने से प्रदेश में सभी राजस्व शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के डिजिटल नक्शों की जियो रेफरेंसिंग के लिए बजट राशि का प्रावधान है। यह होने के बाद दावा आपत्ति मंगाई जाएगी। उसके निराकरण के बाद नक्शों का प्रकाशन किया जाएगा। जियो रेफरेंसिंग से जमीनों के सीमांकन और बटांकन काम आसान हो जाएगा। जमीनों के विवाद भी आसानी से सुलझ सकेंगे। अपनी ज़मीन संबंधी जानकारी मोबाइल में एक क्लिक करने पर ही मिल जाएगी। इससे गांव की सीमाएं भी तय हो जाएगी।