छत्तीसगढ़ में जूनियर डॉक्टर की हड़ताल से इमरजेंसी सेवाएं ठप, मरीजों को हो रही परेशानी, जूडा ने चाय बेचकर किया विरोध

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Shivam Dubey
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छत्तीसगढ़ में जूनियर डॉक्टर की हड़ताल से इमरजेंसी सेवाएं ठप, मरीजों को हो रही परेशानी, जूडा ने चाय बेचकर किया विरोध


नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में जूनियर डॉक्टर 1 अगस्त से हड़ताल पर हैं। पहले दिन जूडा ने ओपीडी में अपनी सेवाएं दी थी लेकिन 2 अगस्त से जूनियर डॉक्टर ने यह सेवाएं भी बंद कर दी थी। हालांकि मरीजों की समस्या को देखते हुए, जूडा ने टेंट में ही ओपीडी संचालित की। लेकिन आज 3 अगस्त को अस्पताल की इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह से ठप नजर आई। जूनियर डॉक्टर्स के काम पर नहीं होने से मरीजों को समय से इलाज नहीं मिल पाया। अस्पताल में लंबी लाइनें लगी रही। जूडा ने अनोखा विरोध प्रदर्शन किया है। जूडा 5 रुपए की चाय 2 रुपए में बेचकर अपना विरोध दर्ज किया है। 




मरीजों को समय से नहीं मिल पा रहा इलाज



जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल में जाने से मरीजों को काफी ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ओपीडी में जूनियर डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। मरीजों को छोटे-छोटे इलाज के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।रायपुर के अलावा राजनांदगांव, बिलासपुर, कांकेर के सा अन्य जिलों में भी जूडा हड़ताल कर रहें हैं। 



जूडो ने एमबीबीएस चाय सेंटर से बेची चाय



जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल का आज गुरुवार को चौथा दिन था। आज जूडा ने प्रदर्शन के टेंट में चाय बेचकर विरोध दर्ज कराया है। जूनियर डॉक्टर्स ने यहां तीन प्रकार की चाय बेची हैं। पहली  एमबीबीएस चाय 5 रुपए की उसे 2 रुपए में बेचा गया। दूसरी चाय एमडीएमएस चाय जिसकी कीमत 10 रुपए है उसे 5 रुपए में बेचा गया। इसी तरह स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स वाली चाय 20 रुपए की जगह पर 5 रुपए में बेची गई है। 



बोला जूडो - आज तो प्रतीक है पर हाल चाय बेचने के हैं 



जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष मनु प्रताप सिंह ने कहा 

“हमने अपनी आजीविका चलाने के लिए आज चाय बेच कर विरोध किया है,क्योंकि सरकार हमारा स्टाइपेंड नही बढ़ा रही है,तो आजीविका चलाने के लिए कोई दूसरा रास्ता चुनना पड़ा।सरकार को एक संकेत देने के लिए चाय बेची गई है।”



इसलिए हड़ताल पर है जूडो 




इंटर्न डॉक्टर, पीजी डॉक्टर एवं पोस्ट पीजी सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर के स्टाइपंड बढ़ाने की मांग काफी लंबे समय से कर रहे हैं।  जूनियर डॉक्टर्स के मुताबिक छत्तीसगढ़ एकमात्र राज्य है जहाँ कुल 4 साल का स्ट्रिक्ट रूरल बांड करवाया जाता है। MBBS के बाद 2 साल (bond Breakage amount 25 lac) और पीजी MD/MS के बाद 2 साल (बांड ब्रेकेज अमाउंट- 50 lac)। रूरल बांड 4 साल तो है ही। साथ ही जो स्टाइपंड मिलता है वो एक टीचर से भी कम है। MBBS के बाद बॉन्ड में- 45 हजार रुपए प्रति माह, MD/ MS के बाद बांड में 55 हजार रुपए प्रति माह। जबकि जब वही डॉक्टर पीजी कर रहा होता है मतलब MD/MS करते समय उसको 60 हजार रुपए स्टाइपंड मिलता है। जब वो MD/MS कम्पलीट कर लेता है और वो सीनियर रेजिडेंट हो जाता है।तो उसका पेमेंट अपने जूनियर से कम होकर सिर्फ 55 हजार रुपए प्रति माह हो जाता है। यह स्टाइपेंड आसपास के राज्यों से 40 से 45 प्रतिशत तक कम है


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