छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामला, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को कहा -नो कोर्सिव एक्शन,लेकिन जांच से रोक नहीं 

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Yagyawalkya Mishra
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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामला, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को कहा -नो कोर्सिव एक्शन,लेकिन जांच से रोक नहीं 


Raipur। छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ईडी की ओर से नोएडा में दर्ज कराई गई एफ़आइआर को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यश टूटेजा तथा अन्य याचिकाकर्ताओं को तात्कालिक राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आगामी पेशी 21 अगस्त तक यूपी पुलिस को नो कोर्सिव एक्शन का आदेश दिया है लेकिन स्पष्ट किया है कि जाँच जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए ईडी से यह भी कहा है कि, हम मानते हैं आपका केस अच्छा है लेकिन समयावधि को लेकर हम आपका पक्ष जानना चाहते हैं। 



क्या है मामला



छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में ईडी ने नोएडा में रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा, सीएसएमसीएल के एमडी रहे अरुणपति त्रिपाठी, आबकारी विभाग के आयुक्त रहे निरंजन दास और कारोबारी अनवर ढेबर समेत पाँच के खिलाफ एफ़आइआर दर्ज कराई।ईडी की ओर से दर्ज एफ़आइआर में वे प्रेडिकेट अफेंस हैं जिनसे ईडी को कार्यवाही का आधार मिलता है।



इस एफ़आइआर के पहले ईडी को कार्यवाही से रोका था सुप्रीम कोर्ट ने



ईडी की ओर से दर्ज एफ़आइआर के पहले सुप्रीम कोर्ट ने शराब घोटाला मामले में ईडी को किसी भी कार्यवाही से रोक दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, आपके पास इस मामले में कार्यवाही करने के लिए प्रेडिकेट अफेंस नहीं है। यदि आप प्रेडिकेट अफेंस ले आते हैं तो आप कार्यवाही करने की अनुमति हमसे ले लीजिएगा।



याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट से



याचिकाकर्ता जिनमें यश टुटेजा और करिश्मा ढेबर शामिल हैं उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट को यह बताया गया कि, ईडी की यह कार्यवाही द्वेषपूर्ण है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को कार्यवाही रोकने के स्पष्ट आदेश दिए थे तो फिर ईडी ने यह एफ़आइआर कैसे कराई। 



सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ



सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर सुनवाई हुई। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली डबल बेंच ने इसकी सुनवाई की। जब शीर्ष अदालत ने पूछा कि आपने एफ़आइआर कैसे की तो ईडी की ओर से जवाब दिया गया 



“धारा 66(2) में हमें संवैधानिक बाध्यता है कि, हम यदि कोई अपराध पाएँ तो संबंधित एजेंसी को सूचना दें।हमने वही किया है।”



शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा 



“यह जिस संवैधानिक बाध्यता की बात कह रहे हैं, हम इसके समय की ओर कोर्ट का ध्यान दिलाना चाहते हैं।दरअसल यह कोर्ट की अवमानना का मसला है।”



बचाव पक्ष के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को तारीख़ों का क्रम बताते हुए आगे कहा 



“पहला छापा आयकर का पड़ा,मई 2022 में तीस हज़ारी कोर्ट में परिवाद पेश हुआ। नवंबर 2023 को ईसीआईआर दर्ज की गई। 2 अप्रैल को ईडी ने विधु गुप्ता का कथन दर्ज किया। अब ये जो संवैधानिक बाध्यता बता रहे हैं ये इन्हें कब याद आई ? इन्होंने 18 जुलाई तक शेयर नहीं किया।जब कोर्ट ने रोका तो इन्हे शेयर करना याद आया।”



सुप्रीम कोर्ट ने कहा



सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्क सुने। जस्टिस संजय किशन कौल ने ईडी के वकील एस वी राजू से कहा 



“हम मान भी लें कि केस आपका अच्छा है। लेकिन याचिकाकर्ताओं की आपत्ति जो समय को लेकर है हम उसमें आपका जवाब जानना चाहते हैं। आप हमें बताईए कि यह पहले क्यों नहीं किया गया ? यह अभी ही क्यों ?”

 ईडी की ओर से इस मसले पर कोर्ट से कहा गया कि, वे विस्तृत अभिलेख के साथ इसका जवाब दे देंगे। तब याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने यह कहा कि इस एफ़आइआर पर हमें नो कोर्सिव एक्शन का संरक्षण दिया जाए। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा



“हम यूपी पुलिस को नो कोर्सिव एक्शन का आदेश देते हैं। यह 21 अगस्त याने अगली पेशी तक प्रभावी रहेगा।”



 ईडी की आपत्ति के बाद कोर्ट ने यह कहा 



“नो कोर्सिव एक्शन का आदेश है लेकिन जाँच जारी रहेगी।"


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