नितिन मिश्रा, RAIPUR. राजधानी में शहर के सफाई कर्मियों को डायरेक्ट पैसे देने की योजना अधर में लटकी हुई है। इसके चलते सफाई कर्मियों को 4 महीने से पेमेंट नहीं मिल पाई है। दरअसल सफाई कर्मियों को डायरेक्ट पैसे देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। लेकिन विशेषज्ञ इसे जोखिम भरा बता रहें हैं। यह योजना अभी निगम के 2 वार्डों में ही संचालित हो रही है।
पायलेट प्रोजेक्ट फेल साबित हो रहा
जानकारी के अनुसार रायपुर नगर निगम ने सफाई कर्मियों को डायरेक्ट पैसा देने के लिए एक पायलेट प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। इसमें पैसा ठेका एजेंसी के पास ना जाकर सीधे सफाई कर्मी के खाते में जाएगा। लेकिन यह प्रोजक्ट फेल साबित हों रहा है। यह योजना महापौर एजाज ढेबर के मौलाना अब्दुल रऊफ वार्ड और एमआईसी सदस्य आकाश तिवारी के पं. रवि शंकर शुक्ल वार्ड में शुरू की गई थी। इन वार्डों में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों को पिछले 4 महीने से पेमेंट नहीं की गई है। साथ ही योजना के तहत सफाई कर्मचारियों के एटीएम को भी ब्लॉक कर दिए गए हैं।
निगम के लिए जोखिम भरी योजना
विशेषज्ञों का का मानना है कि एस्क्रो अकाउंट फार्मूले के जरिए पेमेंट करना नगर निगम के लिए जोखिम भरा हो सकता है। डायरेक्ट पैसे देने से सफाई कर्मियों के पास पुख्ता सबूत होंगे। जिसके जरिए वो नियमितीकरण करने का दावा कर सकते हैं। साथ ही सफाई कर्मियों ने भी इस योजना को सभी 70 वार्डों ने लागू करने का विरोध किया है। इस समय निगम में 3 हजार 3 सौ सफाई कर्मी काम कर रहें हैं। जिन्हे हर महीने 4 करोड़ 25 लाख रुपए का भुगतान किया जाता है।