नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में केंद्रीय एजेंसियों की नियमों का पालन हो तो दिखाई नहीं दे रहा है। बिना एनओसी के सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों द्वारा जल दोहन का कार्य किया जा रहा है। बोर खनन के लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड की परमिशन लेना जरूरी है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। केंद्रीय जन सीने दो हजार संस्थानों को नोटिस भेजा है। संस्थानों से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उन पर जुर्माना लगाया जाएगा।
केंद्रीय एजेंसी के नियमों का नहीं हों रहा पालन
जानकारी के मुताबिक सरकारी संस्थानों या गैर सरकारी संस्थानों को बोर खनन के लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड की परमिशन लेना जरूरी है। लेकिन पूरे प्रदेश में कहीं भी इसका पालन होता दिखाई नहीं दे रहा है। बिना किसी एनओसी के औद्योगिक घरानों के साथ सरकारी एजेंसियां बोर खनन करके जल दोहन कार्य में जुटी हुई है। केंद्रीय भूजल बोर्ड ने पिछले 3 सालों में दो हजार से ज्यादा संस्थानों को नोटिस भेजा है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर संस्थानों और औद्योगिक घरानों पर जुर्माना की कार्रवाई होगी। 2020 से केंद्रीय भूजल बोर्ड ने एनओसी लेने के लिए प्रावधान तय किए हैं। केन्द्रीय भूजल सर्वेक्षण विभाग ने तीन श्रेणियों में संस्थान उद्योगों में सरकारी संस्थानों को शामिल किया है। इन श्रेणियों में इंफ्रास्ट्रक्चर जिसमें स्कूल सरकारी, प्राइवेट दोनों। मॉल, व्यवसायिक कॉन्प्लेक्स, अस्पताल निजी व सरकारी दोनों. सरकारी कॉम्प्लेक्स, कॉलोनिया दोनों शामिल है। इंडस्ट्रियल श्रेणी में सभी फैक्ट्रियों व औद्योगिक क्षेत्र शामिल हैं। जबकि माइनिंग में सभी खनन वाले स्थान शामिल हैं।
अवैध बोर के चलते कई इलाके ड्राय जोन घोषित
राजपत्र में प्रकाशित नए नियम की माने तो शासकीय व गैर शासकीय संस्थानों में बोर खनन या फिर किसी भी तरह की खनन कार्य के लिए अनुमति प्रक्रिया तय की गई है। भूजल विभाग की सर्वे रिपोर्ट में इन नियमों की अनदेखी के चलते रायपुर जिले में ही कई जगहों को ड्राई जोन घोषित कर दिया गया है। सरकारी एजेंसियों में नगर निगम हाउसिंग बोर्ड से लेकर आगे तक को भूजल बोर्ड के नियमों का पालन किया जा रहा है। लेकिन जितनी भी आवासी कालोनियां बनाई जाती है।वहां के लिए जल दोहन के लिए नियमों की अनदेखी की गई है। अब केंद्रीय भूजल बोर्ड भारत सरकार द्वारा बारी-बारी से नोटिस भेज कर जुर्माना की कार्रवाई की जा रही है। जवाब नहीं देने पर जल्द कार्य के लिए तय किए गए भोजन निकासी प्रभार दर के हिसाब से जुर्माना कार्रवाई की जाएगी।
ये नियम बनाए गए हैं
भूजल बोर्ड ने जल दोहन को रोकने के लिए कुछ नियम तय किए हैं। जिसके मुताबिक निर्माण स्थलों पर पीजो मीटर, यलो मीटर और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना आवश्यक है। सिस्टम बनने के बाद जल दोहन के बारे में पता चल सकेगा। इसके अलावा भूजल के सैंपल के टेस्टिंग कराने का भी प्रावधान है। इस सिस्टम को लगाने 30 से 35 हजार रुपए का खर्च आता है। इसी खर्च से बचने के लिए निर्माण एजेंसियां नियमों की अनदेखी करने में लगी रहती है।