नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करने वालों के विरोध में एनएसयूआई ने ज्ञापन सौंपा है। छात्र नेताओं ने पं. रविशंकर शुक्ल विश्विद्यालय में फर्जी जाति प्रमाणपत्र से नौकरी करने वाले प्रोफ़ेसरों और कर्मचारियों की बर्ख़ास्तगी की मांग की है।
पं. रविशंकर शुक्ल विश्विद्यालय में एनएसयूआई का ज्ञापन
छत्तीसगढ़ में फर्जी सार्टिफिकेट के दम पर नौकरी करने का मामला सियासी हो चुका है। जानकारी के मुताबिक भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने पं. रविशंकर शुक्ल विश्विद्यालय में काम कर रहे प्रोफेसर और कर्मचारियों पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के बूते नौकरी करने का आरोप लगाया है।नेताओं का कहना है कि विश्वविद्यालय में कई ऐसे प्रोफेसर और कर्मचारी हैं। जो फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी कर रहें हैं। इस मामले को लेकर प्रदेश सचिव महताब हुसैन , ज़िला उपाध्यक्ष वैभव मुजेवार, विश्विद्यालय उपाध्यक्ष आलोक सिंह ने कुलसचिव शैलेंद्र पटेल को ज्ञापन सौंपा है।
विश्वविद्यालय में कई ऐसे कर्मचारी हैं मौजूद
एनएसयूआई के विश्वविद्यालय अध्यक्ष हरिओम तिवारी ने बताया कि विश्विद्यालय के अंदर कई ऐसे प्रोफ़ेसर और कर्मचारी मौजूद हैं जिनकी संख्या बहुत जायदा है जो की फर्जी जाति प्रमाणपत्र के दम पर आज नौकरी कर रहे हैं । सन् 2007 -2008 से ऐसे प्रोफ़ेसरों और कर्मचारियों पर जाँच के आदेश भी हैं परंतु आज 15 वर्ष बीत जाने के बाद भी इन पर किसी तरह की कोई भी कार्यवाही नहीं हो पायी है । जिसके चलते उन कर्मचारियों का पदोन्नति हो गया है या तो वो अधिकारी बन गये हैं। जिससे यह साफ है कि प्रशासन और इनके बीच सांठ –गांठ है।
दोषियों पर नहीं हो रही कार्रवाई
NSUI ने आरोप लगाते हुए कहा है कि इन 15 वर्षों में कई हज़ारों पन्नो की फ़ाइले भी तैयार हूई हैं। लेकिन विश्विद्यालय के लाचार व्यवस्था और कार्यवाही के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग ना करने के चलते दोषियों पर किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं हो पायी है।विश्विद्यालय में कई ऐसे मामले हैं।जिन पर कर्मचारीयों द्वारा सक्षम अधिकारी से जारी प्रमाण पत्र दिखाने और जमा करने के बजाय सरपंच या फिर उनके छेत्र के प्रतिनिधियों द्वारा जारी की गई पत्र को मान्यता देते हुए भी भर्ती कर ली गई है। NSUI ने विश्विद्यालय प्रसाशन को चेतावनी दी है की आज से ठीक 05 दिन के भीतर ऐसे दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।