नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में राजस्व के लाखों मामले पेंडिंग है। प्रदेश में 1 लाख 40 हजार के करीब राजस्व के मामले लंबित हैं। जिसमें सबसे पहले स्थान पर राजधानी रायपुर है। यहां राजस्व के 8 हजार 203 मामले लंबित हैं वही दूसरे नंबर पर दुर्ग जिला है और तीसरे नंबर पर सरगुजा है। लगभग 1 महीने से इन मामलों की यही स्थिति है। राजस्व के प्रकरणों का निराकरण नहीं हो पाया है।
टॉप पर राजधानी
प्रदेश के राजस्व न्यायलयों में राजस्व के करीब1 लाख 40 हजार मामले लंबित हैं। इनमे सबसे ज्यादा मामले छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पेंडिंग पड़े हुए हैं खेती किसानी संबंधित लोग आरंग और अभनपुर विकासखंड में रहते हैं रायपुर में लंबित राजस्व प्रकरणों की संख्या 8 हजार 203 है इसके बाद दूसरे नंबर पर दुर्ग जिला है यहां 7हजार 796 और सरगुजा में 7 हजार 401 बलौदा बाजार भाटापारा जिले में 6 हजार 432 बिलासपुर जिले में 6 हजार 396 राजस्व के मामले लंबित पड़े हुए हैं। प्रदेश में खाता बंटवारा, नामांतरण, गलत प्रविष्टि सुधार, भूमि पर कब्जा, भूस्वामी पुनर्स्थापना, मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता के मामले, विविध राजस्व मामले, बंदोबस्त त्रुटि सुधार के मामले, भूमि के नक्शा सुधार संबंधी प्रकरण शामिल है।
ये मामले हैं लंबित
राजस्व विभाग की वेबसाइट के मुताबिक प्रदेश के राजस्व न्यायालयों में 25 हजार से ज्यादा सामान्य राजस्व मामले ही लॉबित हैं। इनमें ज्यादातर ऐसे मामले हैं जिनका निराकरण काफी पहले हो जाना था। इसी तरह सीमांकन के 2863 मामले, 3 हजार से ज्यादा व्यपवर्तन बंदोबस्त अभिलेखों में सुधार के 3012, खसरे या धारा 114 के अधीन तैयार किसी अन्य भू अभिलेख संबंधी कागज में गलत प्रविष्टि का सुधार के 16698, आबादी स्थलों के निपटारे के 23 सौ, भू राजस्व संहिता 1959 के अधीन अन्य मामले 3553 और इसी तरह के अन्य कई धाराओं के हजारों अन्य मामले अलग-अलग जिलों में महीनों से लंबित हैं। इनमें बहुत सारे मामलों के लिए गारंटी कानून के तहत समय सीमा तय है पर उसका पालन नहीं होता।
सीएम ने दिए हैं निर्देश
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने हर कार्यक्रम में कई अवसरों पर राजस्व के प्रकरणों के जल्द निपटारे के आदेश दिए हैं। ऐसे प्रकरण राज्य के किसान और भू स्वामियों के लिए बड़ी परेशानी की वजह बने हैं। प्रकरणों का निपटारा समय पर ना हो पाने से जमीन विवादित ही रहती है। किसान चाह कर भी जमीन की खरीदी–बिक्री नहीं कर सकते। इसके साथ राजस्व अदालतों में पेशी के लिए चक्कर लगाने से समय और धन की भी हानि होती है लोगों को बचाने के लिए प्रकरणों के निपटारे के लिए कहा जा रहा है।