नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में जुलाई महीने में भारी बारिश होने के बाद अगस्त मानसून का ब्रेक लग गया है। जिसके कारण धान के लहलहाते खेतों में दरार पड़ने लग गई है। राजनांदगांव में किसानों की मांग पर डैम से पानी छोड़ा गया है। वहीं रायपुर से सटे इलाकों में भी ऐसी ही समस्या का सामना किसानों को करना पड़ रहा है। किसानों ने जलाशय से पानी छोड़ने की मांग की है।
धान के खेतों में पड़ रही दरार
छत्तीसगढ़ में जुलाई के महीने में झमाझम बारिश देखने को मिली। इस वक्त तक सभी नाले, नदियां और जलाशय पानी से भरपूर लबालब थे। खेतों में भी पानी भर गया था। जिससे किसानों के माथे की चिंता की लकीर मिट गई थी। लेकिन अगस्त महीने में बारिश ना होने से किसानों की चिंता एक बार फिर बढ़ गई है। रायपुर, राजनांदगांव समेत प्रदेश के कई जिलों में धान के खेत सूख गए हैं। जिसके कारण खेतों में दरार पड़नी शुरू हो गई है। जिले के कई खेत ऊपरी हिस्से में मौजूद हैं जहां पानी नहीं रुक पा रहा है। वहीं नीचे के हिस्से में मौजूद खेतों की मिट्टी में हल्की नमी बरकरार है। लेकिन फसल के लिए यह पर्याप्त नहीं हैं। अभी धान उत्पादन का शुरुआती दौर चल रहा है। जिसके लिए खेतों में पानी भरपूर मात्रा में चाहिए होता है। खेतों में पानी ना होने से खरपतवार की समस्या भी शुरू हो गई है। जिससे फसलों को नुकसान पहुंचेगा।
राजनांदगांव में छोड़ा गया डैम का पानी
राजनांदगांव में खेतों में दरार आने और पेड़ पौधों के मुरझाने से किसान चिंता में आ गए। खेतों में पर्याप्त पानी भरने के लिए किसानों ने डैम का पानी छोड़ने की मांग की। जिसके बाद मडियान जलाशय का पानी छोड़ा गया है। इससे किसानों को कुछ राहत मिली है। जलाशय का पानी छोड़े जाने से 14 गांवों के 2 हजार से ज्यादा किसानों की चिंता कम हुई है। वहीं प्रदेश के अन्य जिलों में भी कुछ ऐसे ही हालात हैं। राजधानी रायपुर से सटे इलाकों में भी खेतों के हाल कुछ अच्छे नहीं हैं। यहां भी किसान बारिश ना होने को लेकर चिंतित हैं। किसान कृषि विभाग से डैम का पानी छोड़ने की गुहार लगा रहें है