छत्तीसगढ़ के निलंबित आईपीएस जी पी सिंह को कंपलसरी रिटायरमेंट किया गया, राज्य सरकार ने की थी सिफारिश 

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Yagyawalkya Mishra
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छत्तीसगढ़ के निलंबित आईपीएस जी पी सिंह को कंपलसरी रिटायरमेंट किया गया, राज्य सरकार ने की थी सिफारिश 

RAIPUR. निलंबित आईपीएस अधिकारी जी पी सिंह को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है। जी पी सिंह के खिलाफ भूपेश बघेल सरकार में आय से अधिक संपत्ति समेत राजद्रोह के मामले दर्ज हैं। वे इन्हीं मामलों की वजह से लंबे समय तक जेल में रहे हैं। राज्य सरकार ने गुरजिंदर पाल सिंह को सेवा से बर्खास्त करने की सिफ़ारिश की थी। लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी है।



बहुत अंतर है कंपलसरी रिटायरमेंट और डिसमिसल में



कंपलसरी रिटायरमेंट और डिसमिसल में बहुत अंतर होता है। अक्सर व्यक्ति उसे एक ही समझ लेता है। बर्ख़ास्तगी किसी भी कर्मचारी के लिए सबसे बड़ी सजा है। बर्ख़ास्तगी ( डिसमिस )में किसी प्रकार का जीवन निर्वाह भत्ता ( पेंशन ) संचयी निधि इत्यादि नहीं मिलता है। जबकि अनिवार्य सेवानिवृत्ति ( कंपलसरी रिटायरमेंट )में ऐसा नहीं है। कंपलसरी रिटायरमेंट में व्यक्ति को पेंशन तथा अन्य भत्ते प्राप्त होंगे। 



कैट से नौकरी पर वापस आने के अनगिनत उदाहरण



कैट याने सेंट्रल ऐडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्युनल में ऐसे  मामले की संख्या बेहद ज़्यादा है,जो कि कफलसरी रिटायर किए गए और वापस उन्होंने नौकरी हासिल की। कैट में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता एस श्रीधर ने द सूत्र से कहा 



“कंपलसरी रिटायरमेंट और डिसमिसल दो अलग अलग शब्द हैं और दोनों के अलग अर्थ हैं। केंद्र सरकार को राज्य सरकार अभिमत देती है कि, किसी अधिकारी की सेवा कैसी है। उस अभिमत पर केंद्र सरकार फ़ैसला लेती है। कैट से केंद्र सरकार के कर्मचारी अधिकारी केस जीत कर नौकरी में वापस आते रहे हैं, छत्तीसगढ़ में ही बल्कि छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस इसके पहले भी कंपलसरी रिटायरमेंट किए गए हैं और वापस नौकरी पर आए हैं। यह भी सही है कि, हर केस की अपनी प्रकृति होती है, और उस हिसाब से उस केस की जीत हार की संभावनाएँ तय होती हैं।”



कौन हैं जीपी सिंह



जी पी सिंह छत्तीसगढ़ कैडर के 1994 बैच के आईपीएस हैं। वे भूपेश सरकार की आँखों के तारे थे और उन्हें भूपेश बघेल सरकार में शामिल उन चुनिंदा लोगों में गिना जाता था, जिनकी राय सलाह सरकार के फ़ैसलों में अहम होती थी। लेकिन यही जीपी सिंह उसी भूपेश बघेल सरकार की आँखों के किरकिरी बने और सिलसिलेवार तरीक़े से उनके खिलाफ मुक़दमे दायर होते चले गए। जीपी सिंह जब दूर्दिनो में आए तब वे एडीजी पद पर थे। डॉ रमन सिंह कार्यकाल में भी जी पी सिंह लगातार विवादों में रहे थे। बस्तर में एसपी रहते हुए फ़र्ज़ी मुठभेड़ और फ़र्ज़ी आत्मसमर्पण के आरोपों के बाद राजनांदगाँव में भी जीपी सिंह विवादों में आए। जी पी सिंह तब भी बेहद गंभीर मुश्किलों में फँसे थे जबकि जी पी बिलासपुर आईजी थे, और तब बेहद लोकप्रिय मृदुभाषी राहुल शर्मा ने कथित रुप से ख़ुदकुशी की थी। आईपीएस राहुल शर्मा की ख़ुदकुशी को लेकर आज भी गाहे-बगाहे सवाल उठते हैं।


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