नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ का भोरमदेव अभयारण्य में टाइगर रिजर्व नहीं बनाया जाएगा। भोरमदेव अभयारण्य मामले से जुड़ी जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने बीजेपी शासनकाल में इस निर्णय का विरोध किया था। अब कांग्रेस सरकार के पक्ष में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है।
भोरमदेव अभ्यारण्य में नहीं बनेगा टाइगर रिजर्व
छत्तीसगढ़ के भोरमदेव वन्य जीव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। यह याचिका वन्य जीव बोर्ड द्वारा टाइगर रिजर्व घोषित नहीं करने के निर्णय को चुनौती देते हुए दायर की गई थी। 24 नवंबर को टाइगर रिजर्व घोषित नहीं करने का निर्णय लिया गया था। न्यायालय में प्रकरण की सुनवाई के दौरान सरकार द्वारा अपना पक्ष रखा गया। जिसमें कहा गया कि
"भोरमदेव अभयारण्य में टाइगर रिजर्व घोषित करने से स्थानीय आदिवासियों के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। साथ ही उन्हें विस्थापित कर दूसरे स्थान पर बसाना होगा।" इस पर हाईकोर्ट ने अभ्यारण्य में टाइगर रिजर्व नहीं बनाने के पक्ष में फैसला सुनाया है।
39 गांवों को करना पड़ता विस्थापित
भोरमदेव अभयारण्य की घोषणा करने से 39 गांव को खाली कराना पड़ता। इन गांवों में 17 हजार 600 के करीब आदिवासी निवास करते हैं। इनमे बैगा जनजाति के लोग सबसे ज्यादा हैं। इन आदिवासियों को विस्थापित करने से प्राचीन संस्कृति और वनों के साथ उनसे जुड़ी आस्था को ठेस पहुंचती। कांग्रेस ने तत्कालीन बीजेपी सरकार के इस निर्णय का विरोध उस वक्त भी किया था।अब कांग्रेस सरकार के निर्णय पर हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी है।
बीजेपी ने लिया था निर्णय
छत्तीसगढ़ में तत्कालीन बीजेपी सरकार ने 23 मई 2017 को राज्य वन्य जीव बोर्ड की 9 वीं बैठक में भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने की स्वीकृति प्रदान की थी। 14 नवंबर 2017 को 10 वीं बैठक में अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने की अनुशंसा की थी।