मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में नई सरकार के गठन के बाद विधानसभा का पहला औपचारिक सत्र आज राज्यपाल कलराज मिश्र के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ। राजस्थान विधानसभा के स्पीकर वासुदेव देवनानी ने हालांकि सदन की शुरुआत से पहले गुरुवार को सर्वदलीय बैठक कर सदन को शांतिपूर्ण और सुचारू ढंग से चलाने के लिए विपक्ष का सहयोग मांगा है। लेकिन माना जा रहा है कि सदन की शुरुआत के साथ ही हंगामा हो सकता है और विपक्ष के सदस्य हाल में हुई अपराधिक घटनाओं और पिछली सरकार के समय निकल गई भर्तियों को रद्द किए जाने के विरोध में हंगामा कर सकते हैं।
राजस्थान विधानसभा की इस पहले सत्र में राज्यपाल कलराज मिश्रा सरकार की आगामी 1 साल की कार्य योजना की जानकारी देंगे। राज्यपाल के अभी भाषण के बाद विधानसभा की कार्य सलाहकार समिति की बैठक होगी, जिसमें विधानसभा की आगे की कार्यवाही किस तरह चलानी है इस पर निर्णय किया जाएगा। हालांकि बताया जा रहा है कि राज्यपाल की अभिभाषण पर चर्चा सोमवार से शुरू होगी और 25 जनवरी तक चलेगी। इसके बाद फरवरी के दूसरे सप्ताह में राजस्थान सरकार लेखा अनुदान पेश करेगी ताकि लोकसभा चुनाव तक के खर्च के लिए सरकार को पैसा मिल सके। नई सरकार का पूर्ण बजट लोकसभा चुनाव के बाद जून या जुलाई में होने वाले सत्र में ही पेश किया जाएगा।
से देंगे जवाब
सत्र से पहले भारतीय जनता पार्टी विधायक दल की गुरुवार (18 जनवरी) देर शाम बैठक हुई। बैठक में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सभी मंत्रियों को सदन में पूरी तैयारी के साथ आने के निर्देश दिए और यह तय किया गया कि विपक्ष की ओर से पूछे जाने वाले सवालों पूरी आक्रामकता के साथ जवाब दिया जाएगा, इसके साथ ही विपक्ष को उनकी सरकार के समय हर गलत कामों की याद भी दिलाई जाएगी। वहीं नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का कहना था कि विपक्ष पुरजोर ढंग से जनता के मुद्दे उठाएगा और सरकार को हर मुद्दे का जवाब देने को बाध्य करेगा।
राठौड़, पूनिया जैसे नेताओं की कमी खलेगी
राजस्थान की नई सरकार में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सहित 24 में से 20 मंत्री पहली बार मंत्री के रूप में सदन में विपक्ष के सवालों का जवाब देंगे। इनमें खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और एक कैबिनेट मंत्री हेमंत मीना तो पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं। वही पार्टी के अनुभवी और वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ और सतीश पूनिया जैसे नेता अबकी बार विधायक नहीं बन पाए हैं, ऐसे में सदन के फ्लोर मैनेजमेंट में उनकी कमी नजर आ सकती है।
कांग्रेस के पास है अनुभवी विधायकों की अच्छी संख्या
उधर कांग्रेस की बात करें तो इस बार विपक्ष के रूप में पार्टी के पास सदस्यों की अच्छी संख्या है और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पूर्व मंत्री शांति धारीवाल और नेता प्रतिपक्ष के रूप में टीकाराम जूली जैसे अनुभवी विधायक सदन में मौजूद रहेंगे। ऐसे में सत्ता पक्ष के लिए चुनौती कड़ी मानी जा रही है।