राजस्थान विधानसभा में हंगामे के बीच चार विधयेक पारित, बर्खास्त मंत्री गुढ़ा की लाल डायरी पर होता रहा शोर

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BP Shrivastava
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राजस्थान विधानसभा में हंगामे के बीच चार विधयेक पारित, बर्खास्त मंत्री गुढ़ा की लाल डायरी पर होता रहा शोर

JAIPUR. गहलोत सरकार से बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा की लाल डायरी के मुद्दे पर हुए हंगामे का असर विधानसभा की बाद की कार्यवाही पर भी नजर आया। सोमवार (24 जुलाई) दोपहर 2:00 बजे सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुई। और फिर हंगामे के बीच सारे विधायी कार्य निपटाए गए। 15 मिनट में 4 विधेयक बिना किसी चर्चा के पारित कर दिए गए। इसके बाद सदन की कार्यवाही फिर एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गई।



लाल डायरी मामले में हंगामा, कार्यवाही स्थगित



राजेंद्र गुढ़ा की लाल डायरी के मुद्दे पर सदन की बैठक करीब सवा 12 बजे स्थगित कर दी गई थी। दोपहर 2:00 बजे जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो सरकार ने आज की कार्यसूची में शामिल सभी एजेंडा तुरंत निपटवा दिया। सदन की पूरी कार्यवाही 23 मिनट में पूरी कर ली गई। सरकार की ओर से 4 नए विधेयक पेश किए गए और जिन चार विधेयकों पर चर्चा होनी थी उन्हें बिना चर्चा के पारित कर दिया गया।



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सदन में 4 विधेयक पारित और 4 पेश किए गए



सरकार की ओर से आज सदन में विद्युत शुल्क विधेयक, कृषक ऋण राहत आयोग विधेयक, महात्मा गांधी दिव्यांग विश्वविद्यालय जोधपुर विधेयक और नाथद्वारा मंदिर संशोधन विधेयक सदन में पेश किए गए। वहीं कोटा और उदयपुर में विकास प्राधिकरण गठित किए जाने के संबंध में जिन दो बिलों पर चर्चा होनी थी। वे बिल बिना चर्चा के पारित कर दिए गए। इसके साथ ही ओला उबर जैसी टैक्सी सर्विस और इसी तरह से ऑनलाइन काम करने वाले गिग वर्कर्स के लिए प्रस्तावित विधेयक भी बिना चर्चा के पारित हो गया। यह बिल इस मायने में बहुत अहम था कि इस बिल के जरिए राजस्थान देश का पहला राज्य बना है जहां गिग वर्कर्स के कल्याण के लिए अलग से कानूनी प्रावधान किए गए हैं। इसके साथ ही विधानसभा में राजस्थान में महात्मा गांधी वाटिका न्यास की स्थापना के लिए लाए गए विधेयक को भी बिना चर्चा के पारित कर दिया। इस बिल के जरिए महात्मा गांधी के संदेशों का प्रचार-प्रसार करने के लिए राजस्थान में एक अलग से ट्रस्ट बनाए जाने का प्रावधान किया गया है।



कोटा विकास प्राधिकरण पर सामने आया कांग्रेस विधायक का विरोध



कोटा विकास प्राधिकरण के गठन को लेकर सदन में ज्यादा चर्चा तो नहीं हुई, लेकिन इस मामले में कांग्रेस के विधायक रामनारायण मीणा पार्टी से अलग चलते दिखाई दिए। उन्होंने इस बिल को विधानसभा की स्टैंडिंग कमेटी को भेजने का प्रस्ताव दिया। हालांकि, उनका प्रस्ताव माना नहीं गया। इसके साथ ही उन्होंने इस बिल की विभिन्न धाराओं में संशोधन के प्रस्ताव भी दिए थे, उन्हें भी स्वीकार नहीं किया गया।



 दरअसल, राम नारायण मीणा बूंदी जिले से आते हैं और कोटा विकास प्राधिकरण का जो बिल पेश किया गया है उसमें है प्रावधान है कि जब कोटा रीजन को डिफाइन किया जाएगा तो उसमें सिर्फ कोटा का नगरीय क्षेत्र ही शामिल नहीं होगा बल्कि बूंदी जिले की तालेड़ा और केशोरायपाटन तहसील के राजस्व गांव भी शामिल कर लिए जाएंगे। विधायक मीणा का कहना था कि इससे जिलों में असंतोष पैदा होगा इसलिए सरकार इस बिल पर फिर से विचार विमर्श करे।


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