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मनीष गोधा @ जयपुर
दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव के बाद राजस्थान विधानसभा का पहला सत्र 19 जनवरी से शुरू हो रहा है और यह सत्र इस महीने में काफी रोचक होने वाला है कि पहले सत्र में ही पता लग जाएगा कि पिछली सरकार की योजनाएं कितनी सफल रही और मौजूदा सरकार इन योजनाओं को लेकर क्या मंतव्य रखती है। विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायकों की ओर से पूछे जाने वाले प्रश्न पिछली सरकार योजनाओं की असलियत और उन योजनाओं को लेकर मौजूदा सरकार की मंशा को बहुत हद तक साफ कर देंगे।
राजस्थान विधानसभा का सत्र 19 जनवरी को राज्यपाल कलराज मिश्र के अभिभाषण से शुरू होगा और सोमवार से सत्र की कार्यवाही शुरू हो जाएगी। नई सरकार की अगली एक वर्ष की तारीख योजना बहुत-बहुत राज्यपाल की अभिभाषण से सामने आ जाएगी सरकार की ओर से सभी विभागों को यह निर्देश दिए गए हैं कि अगले वर्ष में उनके विभाग की क्या कार्य योजना रहने वाली है इसकी संक्षिप्त जानकारी सरकार को भेजें ताकि उसे राज्यपाल के अभिभाषण में शामिल किया जा सके।
लेकिन सबसे रोचक होगा प्रश्नकाल क्योंकि विधायकों के सवाल ही ऐसे हैं। सत्तरूढ भाजपा के विधायकों ने ज्यादातर सवालों में पिछली सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन के बारे में जानकारी मांगी है वहीं विपक्ष में बैठे कांग्रेस के विधायकों ने यह जानना चाहा है कि सरकार पिछली सरकार की योजनाओं को आगे जारी रखना चाहती है या नहीं। इसके साथ ही विधायकों ने अपने क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों के बारे में भी सवाल पूछे हैं।
461 सवाल सूचीबद्ध, ज्यादातर योजनाओं से जुड़े
- राजस्थान विधानसभा की वेबसाइट पर अब तक 461 सवाल सूचीबद्ध हो चुके हैं और इनमें से ज्यादातर पिछली सरकार की योजनाओं से जुड़े हुए हैं।
- पिछली सरकार के समय महिलाओं को निशुल्क मोबाइल फोन देने की योजना के बारे में चार सवाल लग चुके हैं
- पिछली सरकार के समय राज्य कर्मचारियों के लिए लागू की गई पुरानी पेंशन योजना के बारे में भी चार विधायकों ने सवाल लगाए हैं।
- इनके अलावा चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना निशुल्क राशन किट योजना और राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम जिसमें राज्य कर्मचारियों को निशुल्क उपचार की सुविधा उपलब्ध है इसके बारे में भी तीन से चार सवाल लग चुके हैं।
- बीजेपी के कुछ विधायकों ने पिछली सरकार के समय हर पेपर लीक के मामलों के बारे मैं भी जानना चाहा है।
- 450रुपए में सिलेंडर उपलब्ध कराने की योजना को भारतीय जनता पार्टी सरकार लागू कर चुकी है इसलिए उसे लेकर कोई सवाल नही है।
पेट्रोल डीजल की कीमतों पर भी सरकार को बतानी होगी मंशा
कांग्रेस सरकार के समय राजस्थान में पेट्रोल और डीजल पर सबसे ज्यादा वेट वसूले जाने को भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा मुद्दा बना रखा था और प्रधानमंत्री ने इसकी कीमतों की समीक्षा करने का वादा भी किया था। पेट्रोल डीजल पर वैट की दर के संबंध में भी पांच सवाल विधायकों ने पूछ लिए हैं ऐसे में सरकार को इसके बारे में भी अपनी मंशा स्पष्ट करनी पड़ेगी।
लोकसभा चुनाव में प्रचार का हथियार बनेंगे जवाब
सरकार की ओर से विधानसभा में जो भी जवाब दिया जाता है वह पूरी तरह से प्रमाणिक होता है और उसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं हो सकती। ऐसे में सरकार इन योजनाओं को लेकर जो भी जवाब देगी वह लोकसभा चुनाव में प्रचार का हथियार बनेंगे। पिछली सरकार के समय किन योजनाओं में अच्छा काम हुआ होगा उन्हें कांग्रेस प्रचारित करेगी और यदि योजना विफल रही होगी तो बीजेपी प्रचारित करेगी। सबसे अहम यह जानना रहेगा कि पिछली सरकार की योजनाओं को जारी रखने को लेकर मौजूदा सरकार की मंशा क्या है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान यह भरोसा दिलाया था कि जनहित की कोई भी योजना भारतीय जनता पार्टी सरकार बंद नहीं करेगी। पिछली सरकार की योजनाओं पर सरकार ने अभी कोई ब्रेक लगाया भी नहीं है हालंकि इनके नाम जरूर बदले गए हैं।
पूर्व मंत्रियों ने नही पूछे कोई सवाल
विधानसभा में प्रश्नकाल के लिए अभी तक सूचीबद्ध किए गए प्रश्नों में पिछली सरकार के मंत्रियों की ओर से कोई सवाल नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस सरकार के समय के शांति धारीवाल, मुरारी लाल मीणा, बृजेंद्र ओला जैसे कई बड़े मंत्री जीत कर सदन में पहुंचे हैं लेकिन इनकी ओर से कोई सवाल नही है। हालांकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा 20 सवाल लगा चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आमतौर पर सदन में कोई सवाल नहीं पूछते हैं उनका पिछला ट्रैक रिकॉर्ड यही रहा है। इस बार भी अभी तक उनकी ओर से कोई सवाल नही है।
निर्दलीय और छोटी दल काफी सक्रिय
सवाल पूछने के मामले में निर्दलीय और छोटे दलों के विधायक ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं। आरएलपी के विधायक हनुमान बेनीवाल 30 सवाल लगा चुके हैं। भारतीय आदिवासी पार्टी के विधायक राजकुमार रोत भी 10 सवाल लगा चुके हैं। इनके अलावा निर्दलीय चुनकर आए चंद्रभान सिंह और रितु बनावट में भी 10 से ज्यादा सवाल लगाए हैं। निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों ने ज्यादातर अपने क्षेत्र की समस्याओं से जुड़े सवाल ही पूछे हैं।