मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान सरकार की कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत सोमवार (1 जनवरी) को पदभार ग्रहण करते ही तस्वीर विवाद में फंस गए। सचिवालय में उनके चेंबर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापकों के फोटो तो नजर आए, लेकिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर गायब थी। इसे लेकर अविनाश गहलोत कांग्रेस के निशाने पर हैं। वहीं सोशल मीडिया पर इसे लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दिख रही है।
गांधी और अंबेडकर की तस्वीर गायब
राजस्थान के भजन लाल सरकार के सबसे युवा मंत्रियों में शामिल अविनाश गहलोत ने सोमवार को कार्यभार संभाला था। उनके चेंबर में लगी तस्वीरों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और अंबेडकर की तस्वीर नहीं थी। हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक सरसंघचालक डॉ. केशव राव बलिराम हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की तस्वीरें लगाई हैं। हेडगेवार और गोलवलकर के बीच भारत माता की तस्वीर लगाई है। नीचे पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम भजनलाल शर्मा की तस्वीरें लगाई हैं।
कांग्रेस के निशाने पर अविनाश गहलोत
राजस्थान में पिछली भाजपा सरकारों के समय मंत्रियों के कमरों में भारत माता की फोटो और महात्मा गांधी और अंबेडकर की फोटो तो दिखती रही है, लेकिन आरएसएस संस्थापकों की फोटो कम ही नजर आई है। अविनाश गहलोत छात्र जीवन से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और संघ परिवार से जुड़े रहे हैं। ऐसे में उनके चेंबर में आरएसएस संस्थापकों की तस्वीरों ने सबका ध्यान खींचा है। वहीं गांधी और अंबेडकर की तस्वीर गायब होने से मामला सियासी रूप से गर्मा भी गया है क्योंकि कांग्रेस ने इसको लेकर सोशल मीडिया पर अविनाश गहलोत पर निशाना साधा है।
अविनाश गहलोत ने दी सफाई
कांग्रेस ने कहा है कि संविधान की शपथ लेकर मंत्री बने, लेकिन कुर्सी पर बैठते ही संविधान निर्माता को हटाकर RSS संस्थापक को ले आए। भाजपा सरकार के मंत्री अविनाश गहलोत ने पदभार ग्रहण करते ही बाबा साहेब अंबेडकर और महात्मा गांधी की तस्वीर हटा दी। वहीं मंत्री अविनाश गहलोत का कहना है कि सोमवार को पहला दिन था। चैंबर तैयार हो रहा था। मुहूर्त के हिसाब से समय कम था। सब महापुरुषों की तस्वीरें लग रही हैं। आगे महात्मा गांधी, अंबेडकर,कलाम समेत सभी महापुरुषों की तस्वीरें लगाएंगे। अभी तो बहुत कुछ काम होना बाकी है। महापुरुषों के प्रति हमारा पूरा सम्मान हैं।
भाजपा राज में सावरकर को लेकर सामने आते रहे हैं विवाद
राजस्थान में भाजपा की सरकार आने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं को महत्व दिए जाने को लेकर विवाद सामने आते रहे हैं। भाजपा की पिछली सरकार में पाठ्यक्रम में बदलाव किए गए थे और महापुरुषों के अध्याय में से देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को हटा दिया था और वीर सावरकर को लेकर एक अध्याय जोड़ा गया था। इसमें उन्हें स्वतंत्रता संग्राम का महान योद्धा बताया गया था। वीर सावरकर के जीवन को महान क्रांतिकारी के तौर पर लिखा गया था। फिर कांग्रेस सरकार आई तो उसने फिर से पाठ्यक्रम में बदलाव कर दिया और लिखा कि अंग्रेजों की यातनाओं से तंग आकर वीर सावरकर चार बार माफी मांगकर जेल से बाहर आए थे। इसके साथ ही अकबर को महाराणा प्रताप से ज्यादा महत्व देने को लेकर भी राजस्थान में लंबा विवाद चला था।