मनीष गोधा, JAIPUR. चुनाव की आचार संहिता लगने में करीब दो माह का समय बचा है और अब राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने जयपुर की लाइफलाइन रहे रामगढ़ बांध को भरने का सपना दिखाया है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सीएम ने घोषणा की है कि जयपुर के रामगढ़ बांध को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के तहत ईसरदा बांध से भरा जाएगा। लेकिन इस घोषणा के पूरे होने में इतने ''इफ एंड बट'' यानी अगर और मगर हैं कि यह घोषणा फिलहाल तो एक कभी ना पूरे होने वाले सपने जैसी ही लग रही है।
लोगों की प्यास बुझाने वाला बांध हुआ प्यासा
रामगढ़ बांध सवा 100 साल पुराना बांध है और अब अपनी बेनूरी पर आंसू बहा रहा है। करीब 75 साल तक जयपुर के लोगों की प्यास बुझा चुका यह बांध आज खुद प्यासा है। इस बांध को पानी पहुंचाने वाले रास्तों में चैकडेम्स, एनीकट और अतिक्रमणों की भरमार है और इन्होंने इस बांध तक पानी पहुंचाने वाले रास्ते रोक दिए हैं। अतिक्रमणों के 500 से ज्यादा केस तो राजस्व मण्डल में थे, जिन्हें हटाने का फैसला आए 8 साल से ज्यादा हो गया है, लेकिन अतिक्रमण नहीं हट रहे। यही कारण है कि बांध के कैचमेट एरिया में कितनी भी बारिश हो जाए, बांध का सूखा ही रह जाता है।
योजनाएं बनने के बाद भी बांध पड़ा सूखा
बांध को भरने के कई वादे, योजनाएं, डीपीआर आदि बन चुके हैं। इसके नाम पर अफसरों और कंसेल्टेंसी एजेंसियों की जेबें तो भर रही हैं, लेकिन बांध नहीं भर पा रहा है। अब सीएम अशोक गहलोत ने चुनाव से दो माह पहले रामगढ़ बांध को भरने के लिए जयपुर के लिहाज से एक बड़ी और अहम घोषणा की है, लेकिन यह पूरी घोषणा कई तरह की परिस्थितियों पर निर्भर करती है। यानी वे परिस्थितियां बनीं तो यह घोषणा पूरी हो पाएगी।
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जानिए कैसी है ये सीएम की घोषणा
जयपुर के रामगढ़ बांध को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के तहत ईसरदा बांध से भरा जाएगा। इस पर 1250 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इससे आंधी, जमवारामगढ़, आमेर, जालसू, गोविंदगढ़, शाहपुरा, विराटनगर, पावटा, कोटपूतली, थानागाजी और बानसूर के लिए पेयजल योजना बनाई जा सकेगी।
घोषणा अच्छी है, लेकिन पूरी होने में कई ''इफ एंड बट''
यह घोषणा अच्छी है और रामगढ़ बांध में पानी आता है तो निश्चित रूप से जयपुर शहर ही नहीं पूरे जयपुर जिले के लिए बड़ा काम होगा, लेकिन इस घोषणा के पूरे होने में कई अगर-मगर हैं जैसे पानी लाने की बात ईआरसीपी के तहत की जा रही है। ईआरसीपी यानी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना खुद ही अभी राजनीति में उलझी हुई है। केंद्र से इसे मंजूरी नहीं मिल रही है और राज्य सरकार यदि अपने पैसे से इसे पूरा करती है तो इसे पूरा होने में ही काफी समय लग जाएगा। सबसे बड़ा 'अगर' तो यही है कि आचार संहिता लगने से दो माह पहले घोषणा की गई है। यानी काम तो तभी शुरू होगा जब नई सरकार बन जाएगी और नई सरकार किसकी बनेगी यह अभी कोई नहीं जानता।
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रामगढ़ बांध को ईसरदा बांध से भरने की योजना
जिस ईसरदा बांध से इसे भरने की बात कही जा रही है, वह पिछले 10 वर्ष से बन रहा है और 10 साल में अभी तक ईसरदा बांध का निर्माण कार्य 65 प्रतिशत ही पूरा हुआ है। इस बांध की पहली डेडलाइन 2021 थी। दूसरी अक्टूबर 2023 और अब तीसरी डेडलाइन अगस्त 2024 तय की गई है। यानी अभी भी इस बांध को पूरा बनने में एक साल तो लगेगा ही।
ईसरदा बांध क्यों बनाया गया ?
ईसरदा बांध इसलिए बनाया गया है ताकि बीसलपुर बांध ओवरफ्लो होता है तो इसकी डाउन स्ट्रीम में बर्बाद पानी को बचाया जा सके। यानी ईसरदा बांध में पानी बीसलपुर बांध के ओवरफ्लो होने पर जाएगा। यदि बीसलपुर ओवरफ्लो नहीं होता तो ना ईसरदा को पानी मिलेगा और ना ही रामगढ़ को। यानी सब कुछ अच्छी बारिश और इसके बाद बीसलपुर बांध के ओवरफ्लो होने पर निर्भर करेगा।
वहीं विधानसभा में ही एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि जमवारामगढ़ जहां रामगढ़ बांध स्थित है, उसे ईसरदा बांध की द्वितीय चरण की पेयजल योजना के तहत पानी दिया जाएगा और वह भी तब जबकि ईसरदा बांध में अतिरिक्त पानी होगा, क्योंकि ईसरदा बांध के पहले चरण में तो दौसा के 1079 गांव, 5 शहरों और सवाई माधोपुर के 177 गांव और 1 शहर को पीने को पानी दिया जाना है।
अतिक्रमणकारियों की मौज
सीएम अशोक गहलोत की इस घोषणा ने 500 से ज्यादा अतिक्रमणकारियों की मौज करा दी है, जिन्होंने इस बांध का रास्ता रोक कर अपने फार्महाउस बना रखे हैं। रामगढ़ बांध में पानी नहीं आने का प्रमुख कारण बाणगंगा, माधोबेणी, अचरोल, ताला, रोड़ा, रणिया, दायरा और सालावास जैसी नदियों पर बन चुके चेकडेम, एनीकट और फार्म हाउस और दूसरे अतिक्रमण हैं। जयपुर जिले की 4 पंचायत समितियों में फैले रामगढ़ बांध के कैचमेंट एरिया में कई जगह तक कॉलोनियां और बड़े-बड़े फार्म हाउस तक बन चुके हैं। बांध के बीचों बीच कच्चे-पक्के मकान बन गए बल्कि भराव क्षेत्र में खेती भी होने लगी है। बांध क्षेत्र की सरकारी जमीनों पर कब्जे हो गए।
कई लोगों ने फार्म हाउस और कॉलोनियां बसा दी है। जबकि अब्दुल रहमान बनाम सरकार मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि नदी-नालों का बहाव किसी भी स्थिति में रोका नहीं जा सकता। ऐसे 500 से ज्यादा मामले राजस्व मण्डल में गए थे, जिन पर अतिक्रमण हटाने का फैसला आए हुए भी आठ साल का समय हो चुका है, लेकिन छोटी-मोटी कार्रवाईयों को छोड़ दें तो कुछ नहीं हुआ है। रामगढ़ बांध पर विस्तार से काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता जितेन्द्र सिंह शेखावत कहते हैं कि सीएम ने ईसरदा से पानी लाने की बात कह कर अतिक्रमणकारियो की मौज करा दी है, क्योंकि अब उन्हें अतिक्रमण हटाने की जरुरत ही नही पड़ेगी। सरकार पानी तो दूसरे रास्ते से लाएगी। ऐसे में इन अतिक्रमणकारियों को और पैर पसारने का मौका मिल जाएगा।
सबंधित लोग भी उठा रहे हैं सवाल
सरकार की इस घोषणा पर रामगढ़ बांध से जुड़े लोगों को भी भरोसा नहीं है। रामगढ़ बांध बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े सामजिक कार्यकर्ता सूरज सोनी कहते हैं कि रामगढ़ बांध में पानी आता है उत्तर दिशा से और सरकार लाना चाह रही है दक्षिण दिशा से तो यह कैसे सम्भव होगा। सरकारें परियोजनाएं तो बनाती हैं, लेकिन ये सिर्फ कागजों में बन कर रह जाती हैं। इतना पैसा खर्च करने के बजाए यदि सरकार बांध के आसपास के गांवों के अतिक्रमण हटा दे और चैक डैम्स आदि बंद कर पानी आने का रास्ता खोल दे तो भी बारिश अच्छी होने पर बांध में पानी आ सकता है।
यह है रामगढ़ बांध
- रामगढ़ बांध की स्थापना जयपुर महाराजा माधोसिंह ने की थी।