राजस्थान में पहली बार छाती के अंदर से ही 4 ग्राफ्ट लेकर की बाइपास हार्ट सर्जरी, डॉक्टरों का दावा ना हड्‌डी काटी ना चीरा लगाया 

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The Sootr CG
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राजस्थान में पहली बार छाती के अंदर से ही 4 ग्राफ्ट लेकर की बाइपास हार्ट सर्जरी, डॉक्टरों का दावा ना हड्‌डी काटी ना चीरा लगाया 

JAIPUR. राजस्थान के जयपुर के एक निजी अस्पताल में प्रदेश में पहली बार दूरबीन से बाइपास हार्ट सर्जरी की गई। इस सर्जरी में न तो कोई बड़ा चीरा लगा और न ही छाती की हड्‌डी काटी गई। दूरबीन के माध्यम से छाती के अंदर से ही 4 ग्राफ्ट लेकर इस तरह की सर्जरी प्रदेश में पहली बार हुई है। दूरबीन के माध्यम से किए गए इस ऑपरेशन में एक साथ 4 मेजर आर्टरी को बदला गया। पंजाब के फाजिल्का के रहने वाले 53 साल के व्यक्ति इलाज करवाने अस्पताल आए थे। जांच में पता चला कि मरीज के हार्ट की 4 मुख्य धमनियां 90% से ज्यादा ब्लॉक है और बाइपास सर्जरी ही एकमात्र रास्ता है।



राज्य में पहली बार हुई ऐसी सर्जरी



सीनियर कार्डियक सर्जन डॉ. ललित का दावा है कि इस तरह की सर्जरी राज्य में पहली बार हुई है। उन्होंने बताया कि दूरबीन के माध्यम से छाती के अंदर ही चारों ग्राफ्ट लेकर सर्जरी पहले कभी नहीं हुई। डॉ. ललित ने बताया कि हम दूरबीन से हार्ट की सर्जरी पहले भी करते आए हैं, लेकिन यह सर्जरी अपने आप में बिल्कुल अलग है। इसमें सर्जरी में हार्ट की 4 मेन आर्टरी के ब्लॉकेज को दूरबीन की सहायता से एक साथ दूर किया गया है। साथ ही इस सर्जरी में चारों ग्राफ्ट (बाइपास के लिए दूसरी नसें) हार्ट के अंदर से ही लिए हैं।  अभी तक 1 या अधिकतम 2 ग्राफ्ट ही छाती से लेकर सर्जरी की जाती है, बाकी के ग्राफ्ट पैर की नसों से लिए जाते हैं।  



बिना हड्डी काटे 2 इंच का छेद करके पूरी की सर्जरी



डॉ. ललित ने बताया कि इस हार्ट सर्जरी में मरीज की किसी भी हड्डी को नहीं काटा गया है। 2 इंच का छेद पसलियों के बीच में करके ये सर्जरी पूरी की गई। उन्होंने बताया कि नार्मल पैरों की नसों से लिए गए ग्राफ्ट की जिदंगी 10 से 12 साल मानी जाती है। वहीं छाती के अंदर से लिए ग्राफ्ट की लाइफ 20 से 25 साल मानी जाती है।


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