राजस्थान में मप्र की नदियों पर बनाए जा रहे बांधों से मप्र की नदियों के सूख जाने का खतरा, सिंचाई का पानी भी मिलना होगा मुश्किल

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Puneet Pandey
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राजस्थान में मप्र की नदियों पर बनाए जा रहे बांधों से मप्र की नदियों के सूख जाने का खतरा, सिंचाई का पानी भी मिलना होगा मुश्किल

BHOPAL. राजस्थान के 13 जिलों को पानी की आपूर्ति के लिए बनी योजना ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) को लेकर वहां राजनीति हो रही है। प्रोजेक्ट राजस्थान के कई जिलों के लिए लाइफलाइन साबित हो सकता है। लेकिन मध्य प्रदेश से निकलने वाली नदियों चंबल, कालीसिंध, क्यूल और पार्वती पर बन रहे कैनाल प्रोजेक्ट यहां की नदियों के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। आशंका यह है कि इन नदियों से इतना पानी निकाला जाएगा कि इनका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। इसी आशंका के चलते मध्य प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है। मप्र सरकार जहां इस प्रोजेक्ट को रुकवाना चाहती है, वहीं राजस्थान सरकार ने इसके लिए राशि स्वीकृत कर दी है।



मार्च में जब मप्र सरकार प्रोजेक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी तब राजस्थान सरकार योजना के लिए 15,500 करोड़ रुपए बजट घोषित कर चुकी थी। इसमें से 2500 करोड़ रुपए काम शुरू हो चुके थे जिसमें नवनेरा बैराज और ईसरदा बांध के काम शामिल हैं। कोटा में नवनेरा बैराज का काम आधे से ज्यादा हो गया है, जबकि ईसरदा बांध पर 400 करोड़ से ज्यादा का निर्माण किया गया है। 



क्यों है मप्र को नुकसान



मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि वह राजस्थान के इस प्रोजेक्ट के खिलाफ नहीं है। लेकिन, राजस्थान को अंतरराज्यीय जल समझौते का पालन करना चाहिए। मप्र सरकार का कहना है कि राजस्थान जिस तरह मध्य प्रदेश से निकलने वाली नदियों का पानी डायवर्ट कर रहा है, यह हमारे किसानों का हक छीनने की साजिश है। मनमाने तरीके से पानी डायवर्ट करने से चंबल नदी सूख सकती है। इससे ग्वालियर-चंबल क्षेत्र  में मप्र की प्रस्तावित सिंचाई और जलापूर्ति योजनाओं को बड़ा नुकसान हो सकता है। हम अपने किसानों के अधिकार को किसी को छीनने की अनुमति नहीं दे सकते।



मप्र कौन से प्रोजेक्ट होंगे प्रभावित



इस मामले में मप्र के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा था कि मप्र ईआरसीपी परियोजना के विरोध में नहीं हैं, लकिन हमारे किसानों के हितों की चिंता तो हमें करनी होगी। राजस्थान के ईआरसीपी प्रोजेक्ट से मप्र में मुरैना-ग्वालियर में चंबल से जलापूर्ति योजना प्रभावित होगी। कूनो नदी पर राजस्थान बारां के हनोतिया गांव में बैराज बनाया जा रहा है। इसी तरह शिवपुरी से निकलने वाली क्यूल नदी पर बारां के रामगढ़ गांव में बैराज और पार्वती नदी पर भी राजस्थान के ही बारां जिले के ही महलपुर गांव में और देवास से निकलने वाली कालीसिंध नदी पर राजस्थान कोटा जिले में बैराज बनाए जा रहे हैं। इन बैराज की क्षमता इतनी ज्यादा है कि ये नदियों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। 


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