राजस्थान पुलिस का दावा- झूठा है दलित पर पेशाब और जूते चटवाने का मामला, इसके लिए पूर्व IPS नवदीप सिंह जिम्मेदार

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Vikram Jain
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राजस्थान पुलिस का दावा- झूठा है दलित पर पेशाब और जूते चटवाने का मामला, इसके लिए पूर्व IPS नवदीप सिंह जिम्मेदार

JAIPUR.  कांग्रेस के विधायक गोपाल मीणा पर जयपुर जिले के जमवारामगढ़ इलाके में दलित के अपहरण कर पीटने, पेशाब करने और जूते चटवाने जैसे आरोपों को पुलिस ने झूठा बताया है। पुलिस का कहना है कि इस्तगासा की जरिए दर्ज करवाए गए मामले की अब तक की तफ्तीश में अपहरण कर मारपीट करने, पेशाब करने व जूते चटवाने जैसी घटना पूरी तरह निराधार और झूठी पाई गई है। पूर्व DG नवदीप सिंह ने पुलिस पर नाजायज दबाव बनाने के लिए प्लानिंग के तहत यह मामला दर्ज करवाया था।



मामले में PHQ ने जारी किया बयान



राजस्थान पुलिस की ओर से जारी बयान में इसके लिए पूर्व आईपीएस अधिकारी नवदीप सिंह को जिम्मेदार माना गया है। राजस्थान PHQ की ओर से शुक्रवार को प्रेस नोट जारी किया। पुलिस प्रारम्भिक जांच में सामने आया है कि मामला सेवानिवृत्त DG नवदीप सिंह की शह पर दर्ज करवाया गया है।



जमीन को लेकर चल रहा है नवदीप सिंह का विवाद



नवदीप सिंह का कई सालों से जमवारामगढ़ इलाके के गांव टोडालडी आंधी में इस जमीन पर निवास कर रहे स्थानीय कब्जाधारी आदिवासी व दलित समुदाय के लोगों से विवाद चल रहा है। नवदीप सिंह ने इन कब्जो का हटाने के लिए अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल करते हुए दूसरे हलके के पटवारी को बुलाकर पत्थरगढ़ी करवानी चाही। इन्होंने पुलिस अधिकारियों पर भी दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन संभावित अवैधानिकता व कानून व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए पुलिस इनके नाजायज दबाव में नहीं आई। पुलिस के अनुसार भूमि पर नवदीप सिंह  द्वारा किये गये कृत्यों के संबंध में स्थानीय निवासियों द्वारा अनूसूचित जाति/जनजाति एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करवाया। इस मामले का अनुसंधान पुलिस उप अधीक्षक शिव कुमार भारद्वाज द्वारा किया जा रहा था। नवदीप सिंह ने इस मामले में शीघ्र एफआर देकर मामले को तत्काल बंद करने के लिए अनुचित दबाव डालना प्रारम्भ कर दिया और सोची समझी साजिश के तहत अपने व्यक्ति से 156/3 में इस्तगासा करके यह मुकदमा दर्ज करवाया।



एक माह बाद रिपोर्ट करना षड्यंत्र



राजस्थान पुलिस ने कहा कि प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा फ्री एफआईआर रजिस्ट्रेशन की नीति लागू है और यदि यह घटना वास्तव में हुई होती तो परिवादी उसी दिन पुलिस थाने में मामला दर्ज करवा सकता था या थाने में मामला दर्ज नहीं होने पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जाकर मुकदमा दर्ज करवा सकता था। करीब एक महीने के अन्तराल के बाद मीडिया का ध्यान आकर्षित करने और पुलिस पर दबाव बनाने के साथ ही विवादास्पद भूमि पर पुनः कब्जा करने के लिए यह षडयंत्र रचा गया। गैर हलके में जाकर गैर कानून तरीके से पत्थरगढ़ी करने के मामले जिला कलेक्टर द्वारा संबंधित पटवारी को निलम्बित किया जा चुका है।



नवदीप सिंह पर लग चुके हैं कई आरोप



उल्लेखनीय है कि पूर्व में नवदीप सिंह को उनके द्वारा गैरकानूनी कार्य करने पर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है। इनके पुलिस मुख्यालय में पोस्टिंग के समय राजकीय यात्रा के दौरान वाहन चालक से मारपीट करने के मामले में वाहन चालक ने SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज कराया था। इसी प्रकार नवदीप सिंह ने आर्मी एरिया में कानून हाथ में लेकर जवान के साथ मारपीट की थी इस मामले में सेना द्वारा नवदीप सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया। बीकानेर पुलिस अधीक्षक व भरतपुर डीआईजी का इनका कार्यकाल अत्यंत विवादास्पद रहा है और इनके विरुद्ध अनेक आरोप लगे थे।



नवदीप सिंह के खिलाफ दर्ज हैं कई आपराधिक मामले



नवदीप सिंह पर कई आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। उन पर अभियोग संख्या 160/2023 धारा 143, 447, 506 भा.द.सं. व 3 एससी/एसटी एक्ट पुलिस थाना जमवारामगढ़, अभियोग संख्या 06/2022 धारा 147, 148, 149, 427, 454 भा.द.सं. पुलिस थाना सामोद, अभियोग संख्या 167/2022 धारा 352, 452, 384 भा.द.स .पुलिस थाना वैशाली नगर (एफआर गलतफहमी वाका), धारा 151 सीआरपीसी की कार्यवाही थाना वैशाली नगर, अभियोग संख्या 531/2012 धारा 279, 304ए भा.द.सं. पुलिस थाना हनुमागढ़ (एफआर) दर्ज हुए हैं।



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पुलिस पर बनाना चाहते थे दबाव



मामले में पुलिस का कहना है कि नवदीप सिंह की छवि के बारे में स्थानीय लोग भली भांति परिचित हैं। संभवतः इसी कारण उन्होंने स्थानीय मीडिया से मुखातिब होने के बजाय दिल्ली में जाकर प्रेस कॉन्फ्रेन्स करवाना उचित समझा। प्रतीत होता है कि उन्होंने यह प्रेस कॉन्फ्रेन्स विवादास्पद भूमि पर कब्जा करने, पुलिस पर दबाव डालने एवं प्रदेश की छवि खराब करने के लिए की है।


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