JAIPUR. राजस्थान में प्रशासनिक सेवा के अतिरिक्त अन्य सेवाओं से प्रमोट होकर अब IAS नहीं बनेंगे। इस प्रोसेस पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस एमएम श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी देते हुए ये फैसला लिया है। इस फैसले के बाद ढेर सारे अफसर मायूस हो जाएंगे जो प्रमोट होकर IAS बनने की राह देख रहे थे।
जस्टिस एमएम श्रीवास्तव की टिप्पणी
राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद की ओर से इस सिस्टम पर ऐतराज जताते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। जस्टिस एमएम श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि विशेष परिस्थितियों में राज्य सरकार ऐसा कर सकती है, लेकिन सरकार ने तो इसे आरक्षित कोटा ही मान लिया, जो कि ठीक नहीं है।
राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद ने लगाई थी याचिका
राजस्थान सरकार कई सालों से अपने चहेते अफसरों को प्रमोट करके IAS बना रही है। मंत्री ममता भूपेश के पति घनश्याम बैरवा पहले डॉक्टर थे। 2 साल पहले गहलोत सरकार ने घनश्याम बैरवा को IAS में प्रमोट कर दिया था। फिलहाल वे श्रम विभाग में कमिश्नर हैं। चहेते अफसरों के नामों का पैनल सरकार केन्द्र सरकार को भेजती है। केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद अन्य सेवाओं के अफसर भी IAS बन जाते हैं। राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद ने इस प्रक्रिया को गलत बताते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई थी।
देश में IAS बनने के 3 तरीके
देश में IAS बनने के 3 तरीके हैं। पहला UPSC परीक्षा। इसका कोटा 66.67 प्रतिशत है। दूसरा राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को प्रमोट करके। इसका कोटा 33.33 प्रतिशत है। तीसरा तरीका विशेष परिस्थितियों में राज्य सेवा के अतिरिक्त अन्य सेवाओं के अफसरों को भी IAS में प्रमोशन। इसका कोटा 33.33 प्रतिशत का 15 प्रतिशत ही है। इस प्रक्रिया से राज्य सरकार 4 या 5 अफसरों को IAS में प्रमोट करती है। RAS परिषद लंबे समय से इसका विरोध कर रही है।
सरकार ने विशेष परिस्थितियों को माना रिजर्व कोटा
एडवोकेट तनवीर अहमद ने बताया कि राज्य सरकार विशेष परिस्थितियों में अन्य सेवाओं से IAS में प्रमोट कर सकती है, लेकिन जब राज्य सेवा के पर्याप्त अफसर हैं। वे सीनियर भी हैं और प्रमोशन पाने के हकदार हैं। इसके बावजूद भी सरकार अन्य सेवाओं के चहेते अफसरों को हर 1 या 2 साल में IAS बनाती रहती है। विशेष परिस्थितियों को राज्य सरकार ने रिजर्व कोटा मान लिया। ऐसा करना राज्य प्रशासनिक सेवाओं के अफसरों के साथ अन्याय है। हाईकोर्ट ने भी इस बात पर सहमति जताई है।
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हाईकोर्ट ने प्रक्रिया पर लगाई अंतिम रोक
एडवोकेट तनवीर अहमद ने बताया कि याचिका लगाने के बाद भी एक तरफ तो सरकार जवाब देने के लिए समय मांग रही है। दूसरी तरफ अलग-अलग विभागों से पात्र अफसरों के नाम मांगे जा रहे हैं जिन्हें प्रमोशन देना है। राजस्थान हाईकोर्ट ने इस प्रक्रिया पर अंतिम रोक लगा दी है।