JAIPUR. इन दिनों राजस्थान कांग्रेस में ब्लॉक स्तर पर विधानसभा चुनाव के लिए दावेदारों से आवेदन मांगे जा रहे हैं। हर जगह जोरों से उम्मीदवारी जताई जा रही है। इन दावेदारों की अंतिम स्थिति तो 27 अगस्त के बाद ही स्पष्ट होगी, मगर दिग्गजों के क्षेत्र में क्या हाल हैं? आइए जानते हैं…
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्वाचन क्षेत्र सरदारपुरा, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के लक्ष्मणगढ़ और पूर्व कांग्रेस विधायक दल के नेता रहे रामेश्वर डूडी के नोखा (बीकानेर) से किसी भी कांग्रेसी ने टिकट की मांग नहीं की है। यानि गहलोत, डोटासरा और डूडी का फिर से कांग्रेस उम्मीदवार बनना तय है।
पायलट की सीट से 18 दावेदार
दूसरी ओर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के टोंक निर्वाचन क्षेत्र से 18 कांग्रेसियों ने टिकट के लिए आवेदन किया है। हालांकि अभी पायलट ने टोंक से टिकट की मांग नहीं की है, लेकिन पायलट के सामने 18 दावेदारों को तैयार करने से कांग्रेस की रणनीति के पीछे खासकर गहलोत और डोटासरा की रणनीति को माना जा रहा है। बता दें कि 23 अगस्त को जब अजमेर के मसूदा विधानसभा क्षेत्र के विजयनगर में पायलट के समर्थकों ने किसान सम्मेलन किया, तब मसूदा के मौजूदा विधायक राकेश पारीक ने मंच से पायलट से आग्रह किया कि वे मसूदा से चुनाव लड़ें। मसूदा में भी गुर्जर समुदाय के वोट अच्छी संख्या में हैं। पायलट अजमेर से सांसद भी रह चुके हैं, लेकिन पायलट ने अभी तक भी चुनाव लड़ने के बारे में कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की है। पायलट मौजूदा निर्वाचन क्षेत्र टोंक से लड़ेंगे या फिर अपने पूर्व संसदीय क्षेत्र अजमेर या फिर दौसा से..! पायलट दौसा से सांसद रह चुके हैं। 2018 के चुनाव में पायलट मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। यह बात अलग है कि तब कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया, लेकिन अब पांच वर्ष बाद गहलोत डोटासरा डूडी के टिकट तो पक्के हो गए हैं, लेकिन सचिन पायलट का नहीं।
समर्थकों में असमंजस
पायलट द्वारा अभी तक भी टिकट के लिए आवेदन नहीं किए जाने को लेकर उनके समर्थकों में भी असमंजस है। सवाल उठता है कि क्या पायलट इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे? यदि पायलट चुनाव नहीं लड़ते हैं तो उनके समर्थकों खासकर गुर्जर समुदाय में निराशा का भाव उत्पन्न होगा। यहां यह खास तौर से उल्लेखनीय है कि चुनावों में पायलट के ही मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद थी। इसलिए गुर्जर बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का एक भी गुर्जर उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका। यानि गुर्जर समुदाय ने कांग्रेस के पक्ष में एकतरफा मतदान किया। एक ओर सीएम गहलोत अपनी सरकार के रिपीट होने का दावा कर रहे हैं, तब सचिन पायलट के चुनाव लडऩे पर कोई निर्णय न होना कार्यकर्ताओं में निराशा के भाव को और बढ़ाएगा।
इधर केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के मौजूदा विधायक रघु शर्मा को ही टिकट मिलना तय है। रघु के सामने सिर्फ एक कांग्रेसी सुमेर सिंह चारण ने ही टिकट मांगा है। चारण केकड़ी कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष रहे हैं। केकड़ी और सरवाड़ ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर रघु शर्मा को ही उम्मीदवार बनाने के लिए कहा है। उम्मीद थी कि इस बार रघु शर्मा अपने पुत्र सागर शर्मा को उम्मीदवार बनवाएंगे, लेकिन पिछले दिनों केकड़ी का जो माहौल देखने को मिला, उसमें रघु ने अपने पुत्र को उम्मीदवार बनवाने का जोखिम नहीं लिया। हालांकि पिछले तीन चार वर्षों से सागर शर्मा ही अपने पिता की विधायकी का काम कर रहे थे। तमाम प्रचार सामग्रियों में भी सागर शर्मा के फोटो ही लगाए जाते रहे हैं। रघु शर्मा जब गुजरात के प्रभारी थे, तब तो यह तक कहा गया कि रघु शर्मा अब राज्यसभा में जाएंगे और उनके पुत्र केकड़ी से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन जब गुजरात में कांग्रेस का भट्टा बैठ गया तो रघु ने तत्काल प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया।
इधर हार के बाद हरीश चौधरी ने भी पंजाब के प्रभारी पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने रघु शर्मा का इस्तीफा तो स्वीकार कर लिया है, लेकिन हरीश चौधरी को पंजाब के प्रभारी के पद पर बनाए रखा। रघु की अब कांग्रेस हाईकमान में पहले वाली स्थिति नहीं है। इधर केकड़ी में भी रघु को लगातार विरोध का सामना करना पड़ रहा है। भले ही रघु के सामने किसी कांग्रेसी ने दावेदारी न की हो, लेकिन कांग्रेस का आम कार्यकर्ता भी रघु के व्यवहार से खुश नहीं हैं। अपने ससुर की बेइज्जती होने पर केकड़ी की एक महिला पार्षद ने तो कांग्रेस से इस्तीफा तक दे दिया। कांग्रेस के पार्षदों ने ही नगर पालिका में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।