सोलर प्लांट के लिए खेजड़ी पेड़ों की अवैध कटाई, काट डाले 428 पेड़

बीकानेर के पास स्थित भानीपुरा गांव में खेजड़ी के 428 पेड़ों की अवैध कटाई से स्थानीय समुदाय में गुस्सा है। सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए ग्रामीणों ने इस घटना पर आक्रोश जताया है।

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Nitin Kumar Bhal
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एआई निर्मित चित्र। Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान (Rajasthan) के बीकानेर (Bikaner) शहर से करीब 150 किलोमीटर दूर भानीपुरा गांव में एक और बड़ी पर्यावरणीय घटना घटी है, जहां सोमवार रात को खेजड़ी के 428 पेड़ों की अवैध कटाई की गई। इससे पहले, लाखूसर गांव में भी एक सप्ताह पहले 807 पेड़ों को काटने का मामला सामने आया था। इस घटना के बाद, भानीपुरा गांव के खेतों में दूर-दूर तक खेजड़ी के कटे हुए पेड़ जमीन पर पड़े हुए नजर आ रहे हैं, जो पर्यावरणीय संकट को और भी गंभीर बनाते हैं।

प्रशासन कर रहा कटे पेड़ों की गिनती

स्थानीय पटवारी मूलदान चारण और वन रक्षक कटे हुए पेड़ों की गिनती करने में जुटे थे, ताकि इस अवैध कटाई की सटीक जानकारी एकत्र की जा सके। ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी और इस घटनाक्रम पर गहरी चिंता व्यक्त की। पटवारी ने बताया कि करीब 100 बीघा जमीन पर 428 पेड़ काटे गए हैं, और इन पेड़ों की कटाई विभिन्न खसरे (खातेदारों के नाम) पर की गई है।

ग्रामीणों का आरोप- पर्यावरणीय ​नीतियों का उल्लंघन

इस इलाके में एक और बात जो लोगों को चिंतित कर रही है, वह है 600 मेगावाट का सोलर प्लांट (Solar Plant), जो भानीपुरा गांव में 4000 बीघा जमीन पर लगाया जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस सोलर प्लांट के निर्माण के नाम पर पर्यावरणीय नीतियों की अनदेखी की जा रही है, और खेजड़ी जैसे महत्वपूर्ण पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है।

क्यों महत्वपूर्ण है खेजड़ी पेड़?

खेजड़ी पेड़ (Khejri Tree) रेगिस्तानी क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये पेड़ न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी होते हैं, बल्कि इनकी छांव और लकड़ी भी स्थानीय समुदायों के लिए उपयोगी होती है। खेजड़ी के पेड़ों की कटाई से न केवल पर्यावरणीय संतुलन प्रभावित होता है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के लिए भी एक बड़ी समस्या बन जाती है।

खेजड़ी बचाने 363 लोगों ने दी थी जान

खेजड़ी के पेड़ों को बचाने के लिए खेजड़ली आंदोलन, 12 सितंबर 1730 को, खेजड़ली गांव में हुआ था। जहाँ महाराजा अभय सिंह के आदेश पर महल बनाने के लिए खेजड़ी के पेड़ों को काटा जा रहा था। बिश्नोई समुदाय खेजड़ी के पेड़ को पवित्र मानता है और अमृता देवी बिश्नोई के नेतृत्व में, 363 बिश्नोई लोगों ने पेड़ों को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। इस घटना को खेजड़ली नरसंहार के रूप में जाना जाता है। इस घटना ने पूरे भारत में पर्यावरण संरक्षण के लिए एक आंदोलन को प्रेरित किया, और 12 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। खेजड़ली आंदोलन को दुनिया का पहला अहिंसक वृक्ष-बचाओ आंदोलन माना जाता है।

 


FAQ

1. खेजड़ी पेड़ क्यों महत्वपूर्ण होते हैं?
खेजड़ी पेड़ रेगिस्तानी इलाकों में जीवनदायिनी का काम करते हैं। ये न केवल पर्यावरण को बनाए रखने में मदद करते हैं, बल्कि इनसे प्राप्त लकड़ी और अन्य संसाधन स्थानीय लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी होते हैं।
2. सोलर प्लांट के निर्माण के कारण क्या पर्यावरणीय संकट बढ़ सकता है?
जी हां, सोलर प्लांट के निर्माण के कारण भूमि की आवश्यकता बढ़ी है, जिसके परिणामस्वरूप खेजड़ी जैसे पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है। यह पर्यावरणीय संतुलन को प्रभावित कर सकता है।

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