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Photograph: (The Sootr)
मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से एक मादा चीता, 'ज्वाला', 130 किलोमीटर दूर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बालेर गांव पहुंच गई। यह घटना वन्यजीव संरक्षण और चीता प्रोजेक्ट के संदर्भ में एक नया मोड़ है, क्योंकि कूनो से चीते का राजस्थान में आना नई उम्मीदों और योजनाओं का हिस्सा है।
'ज्वाला' की कूनो से राजस्थान की यात्रा
मादा चीता 'ज्वाला' ने श्योपुर जिले से बालेर गांव तक का सफर तय किया। यह स्थान एमपी और राजस्थान की सीमा के करीब स्थित है। ग्रामीणों ने सुबह-सुबह बकरी के बाड़े में चीता देखा और इसकी सूचना तुरंत टाइगर रिजर्व टीम को दी। यह चीता पहले भी श्योपुर जिले के मानपुर क्षेत्र में एक शावक के साथ नजर आ चुकी थी और सोमवार को वह अपने शावक से अलग हो गई थी। इसके बाद उसने चंबल के किनारे से होते हुए बालेर गांव तक का सफर तय किया।
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बकरी के बाड़े में मादा चीता, ग्रामीणों का हड़कंप
ग्रामीणों को बकरी के बाड़े में मादा चीता देखकर पहले तो समझ में ही नहीं आया कि यह एक चीता है। जब यह जानकारी गांव में फैली, तो लोग इसे देखने के लिए इकट्ठा हो गए। वन विभाग की टीम को सूचित किया गया, और रेस्क्यू टीम ने स्थिति को संभालने की कोशिश की। लेकिन इस दौरान मादा चीता कुछ अधिक आक्रामक हो गई, जिससे रेस्क्यू में देरी हुई।
रेस्क्यू कर सुरक्षित कूनो नेशनल पार्क भेजा
कूनो अभयारण्य से रेस्क्यू टीम बालेर गांव पहुंची और ज्वाला को सुरक्षित ढंग से पकड़ने के लिए एक ऑपरेशन शुरू किया। 11 बजे के आसपास रेस्क्यू प्रक्रिया शुरू हुई और करीब 15 मिनट में उसे सुरक्षित कूनो नेशनल पार्क के लिए भेज दिया गया। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, ज्वाला के गले में एक रेडियो कॉलर लगा हुआ है, जो उसे ट्रैक करने में मदद करता है।
29 दिन पहले शावकों के साथ विजयपुर क्षेत्र में पहुंच गई थी ज्वाला
ज्वाला पहले भी कूनो की सीमा को पार कर चुकी है। 29 दिन पहले, ज्वाला अपने शावकों के साथ कूनो से बाहर आकर एमपी के विजयपुर क्षेत्र में पहुंच गई थी। इस दौरान, उसने एक गाय का शिकार भी किया था, और गांव में इसकी मौजूदगी को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी।
राजस्थान में चीता प्रोजेक्ट का विस्तार
भारत में चीता प्रोजेक्ट के तहत कूनो नेशनल पार्क से चीते को राजस्थान में लाने के प्रयासों को और भी मजबूती मिली है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भारत में चीता की संख्या को बढ़ाना और प्राकृतिक आवास में उनके प्रजनन को बढ़ावा देना है।
राजस्थान के सात जिलों को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है, और इन क्षेत्रों में 17,000 वर्ग किलोमीटर का एक चीता कॉरिडोर बनाने की योजना है, जिससे चीते खुली जगहों पर सुरक्षित रूप से घूम सकेंगे। यह कॉरिडोर कूनो नेशनल पार्क से राजस्थान के मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व और गांधी सागर सेंचुरी तक फैला होगा।
चीता प्रोजेक्ट में कूनो-गांधीसागर लैंडस्केप का महत्व
भारत सरकार और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के द्वारा तैयार किए गए एक्शन प्लान के तहत, कूनो-गांधीसागर लैंडस्केप का निर्धारण किया गया है। यह लैंडस्केप मध्यप्रदेश और राजस्थान के विशाल क्षेत्रों को कवर करता है, जिसमें मध्यप्रदेश का 10,500 वर्ग किलोमीटर और राजस्थान का 6,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल है। इस कॉरिडोर में चीते अपनी प्राकृतिक गति से मूव कर सकेंगे।
कूनो चीता प्रोजेक्ट के बारे में जानें
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पहले भी कूनो से राजस्थान आए चीता
यह पहली बार नहीं है कि कूनो से चीता राजस्थान पहुंचा है। पिछले साल, 'पवन' नामक चीता भी कूनो से लगभग 50 किलोमीटर दूर राजस्थान के करौली जिले में पहुंच गया था। इस दौरान, उसे ट्रैंकुलाइज कर सुरक्षित रूप से वापस कूनो भेजा गया था।
कूनो और राजस्थान के बीच सहयोग
भारत में चल रहे चीता प्रोजेक्ट में मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों राज्य सक्रिय रूप से शामिल हैं। इन दोनों राज्यों के वन विभाग और वन्यजीव संरक्षण एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं ताकि चीते के प्राकृतिक आवास को संरक्षित किया जा सके। इस प्रोजेक्ट के सफल होने से भारतीय उपमहाद्वीप में चीते की आबादी में वृद्धि होने की उम्मीद है।
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