कूनो से राजस्थान पहुंची मादा चीता ज्वाला ये कहां घुस गई, किया रेस्क्यू, जानें पूरा मामला

मध्यप्रदेश के कूनो से मादा चीता 'ज्वाला' राजस्थान पहुंची। वन विभाग ने उसे रेस्क्यू किया है। राजस्थान के रणथंभौर में चीते का मूवमेंट बढ़ रहा है।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से एक मादा चीता, 'ज्वाला', 130 किलोमीटर दूर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बालेर गांव पहुंच गई। यह घटना वन्यजीव संरक्षण और चीता प्रोजेक्ट के संदर्भ में एक नया मोड़ है, क्योंकि कूनो से चीते का राजस्थान में आना नई उम्मीदों और योजनाओं का हिस्सा है।

'ज्वाला' की कूनो से राजस्थान की यात्रा

मादा चीता 'ज्वाला' ने श्योपुर जिले से बालेर गांव तक का सफर तय किया। यह स्थान एमपी और राजस्थान की सीमा के करीब स्थित है। ग्रामीणों ने सुबह-सुबह बकरी के बाड़े में चीता देखा और इसकी सूचना तुरंत टाइगर रिजर्व टीम को दी। यह चीता पहले भी श्योपुर जिले के मानपुर क्षेत्र में एक शावक के साथ नजर आ चुकी थी और सोमवार को वह अपने शावक से अलग हो गई थी। इसके बाद उसने चंबल के किनारे से होते हुए बालेर गांव तक का सफर तय किया।

 

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मादा चीता ज्वाला अपने शावकों के साथ। Photograph: (The Sootr)

 

बकरी के बाड़े में मादा चीता, ग्रामीणों का हड़कंप

ग्रामीणों को बकरी के बाड़े में मादा चीता देखकर पहले तो समझ में ही नहीं आया कि यह एक चीता है। जब यह जानकारी गांव में फैली, तो लोग इसे देखने के लिए इकट्ठा हो गए। वन विभाग की टीम को सूचित किया गया, और रेस्क्यू टीम ने स्थिति को संभालने की कोशिश की। लेकिन इस दौरान मादा चीता कुछ अधिक आक्रामक हो गई, जिससे रेस्क्यू में देरी हुई।

रेस्क्यू कर सुरक्षित कूनो नेशनल पार्क भेजा

कूनो अभयारण्य से रेस्क्यू टीम बालेर गांव पहुंची और ज्वाला को सुरक्षित ढंग से पकड़ने के लिए एक ऑपरेशन शुरू किया। 11 बजे के आसपास रेस्क्यू प्रक्रिया शुरू हुई और करीब 15 मिनट में उसे सुरक्षित कूनो नेशनल पार्क के लिए भेज दिया गया। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, ज्वाला के गले में एक रेडियो कॉलर लगा हुआ है, जो उसे ट्रैक करने में मदद करता है।

29 दिन पहले शावकों के साथ विजयपुर क्षेत्र में पहुंच गई थी ज्वाला

ज्वाला पहले भी कूनो की सीमा को पार कर चुकी है। 29 दिन पहले, ज्वाला अपने शावकों के साथ कूनो से बाहर आकर एमपी के विजयपुर क्षेत्र में पहुंच गई थी। इस दौरान, उसने एक गाय का शिकार भी किया था, और गांव में इसकी मौजूदगी को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी।

राजस्थान में चीता प्रोजेक्ट का विस्तार

भारत में चीता प्रोजेक्ट के तहत कूनो नेशनल पार्क से चीते को राजस्थान में लाने के प्रयासों को और भी मजबूती मिली है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भारत में चीता की संख्या को बढ़ाना और प्राकृतिक आवास में उनके प्रजनन को बढ़ावा देना है।

राजस्थान के सात जिलों को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है, और इन क्षेत्रों में 17,000 वर्ग किलोमीटर का एक चीता कॉरिडोर बनाने की योजना है, जिससे चीते खुली जगहों पर सुरक्षित रूप से घूम सकेंगे। यह कॉरिडोर कूनो नेशनल पार्क से राजस्थान के मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व और गांधी सागर सेंचुरी तक फैला होगा।

चीता प्रोजेक्ट में कूनो-गांधीसागर लैंडस्केप का महत्व

भारत सरकार और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के द्वारा तैयार किए गए एक्शन प्लान के तहत, कूनो-गांधीसागर लैंडस्केप का निर्धारण किया गया है। यह लैंडस्केप मध्यप्रदेश और राजस्थान के विशाल क्षेत्रों को कवर करता है, जिसमें मध्यप्रदेश का 10,500 वर्ग किलोमीटर और राजस्थान का 6,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल है। इस कॉरिडोर में चीते अपनी प्राकृतिक गति से मूव कर सकेंगे।

कूनो चीता प्रोजेक्ट के बारे में जानें

  • कूनो चीता प्रोजेक्ट का उद्देश्य

    • भारत में चीतों की आबादी को फिर से स्थापित करना और उन्हें विलुप्त होने से बचाना।

    • चीतों के लिए सुरक्षित और उपयुक्त आवास प्रदान करना।

    • पारिस्थितिकी तंत्र में चीतों की भूमिका को पुनः स्थापित करना।

  • परियोजना के प्रमुख पहलू

    • स्थानांतरण:

      • दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से चीतों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाया गया है।

    • पुनर्वास:

      • चीतों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में विशेष रूप से बनाए गए बाड़ों में रखा गया है, जहां वे शिकार कर सकते हैं और प्राकृतिक वातावरण में समायोजित हो सकते हैं।

    • वन्यजीव गलियारा:

      • मध्य प्रदेश और राजस्थान में एक अंतर-राज्यीय वन्यजीव गलियारा विकसित किया जा रहा है, ताकि चीते स्वतंत्र रूप से घूम सकें।

    • समुदाय भागीदारी:

      • स्थानीय समुदायों को चीता संरक्षण के बारे में शिक्षित किया जा रहा है और उन्हें इस परियोजना का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

  • वर्तमान स्थिति

    • कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की संख्या 29 हो चुकी है, जिसमें 14 शावक भी शामिल हैं।

    • मादा चीता निरवा ने हाल ही में पांच स्वस्थ शावकों को जन्म दिया है।

    • कुछ चीतों को कूनो से गांधी सागर अभयारण्य में स्थानांतरित किया गया है।

    • अब तक इस परियोजना पर 112 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं।

    • चीता मित्रों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे परियोजना को सफल बनाने में मदद कर सकें।

  • चुनौतियां

    • चीतों की मौतें: कूनो राष्ट्रीय उद्यान में कुछ चीतों की मौत हो गई है, जिससे परियोजना को बड़ा झटका लगा है।

    • शिकार की उपलब्धता: चीतों को शिकार करने में कुछ मुश्किलें आ रही हैं, जो उनकी जीवनशैली के लिए चुनौतीपूर्ण है।

    • मानव-वन्यजीव संघर्ष: चीतों के आसपास के क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष की संभावना बढ़ सकती है, जो उनके संरक्षण में बाधा डाल सकता है।

  • भविष्य की योजनाएं

    • अधिक चीतों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाया जाएगा ताकि प्रजनन की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जा सके।

    • वन्यजीव गलियारे को और विकसित किया जाएगा ताकि चीते अधिक स्वतंत्र रूप से घूम सकें।

    • स्थानीय समुदायों को और अधिक जागरूक किया जाएगा और उन्हें इस परियोजना में शामिल किया जाएगा।

पहले भी कूनो से राजस्थान आए चीता

यह पहली बार नहीं है कि कूनो से चीता राजस्थान पहुंचा है। पिछले साल, 'पवन' नामक चीता भी कूनो से लगभग 50 किलोमीटर दूर राजस्थान के करौली जिले में पहुंच गया था। इस दौरान, उसे ट्रैंकुलाइज कर सुरक्षित रूप से वापस कूनो भेजा गया था।

कूनो और राजस्थान के बीच सहयोग

भारत में चल रहे चीता प्रोजेक्ट में मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों राज्य सक्रिय रूप से शामिल हैं। इन दोनों राज्यों के वन विभाग और वन्यजीव संरक्षण एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं ताकि चीते के प्राकृतिक आवास को संरक्षित किया जा सके। इस प्रोजेक्ट के सफल होने से भारतीय उपमहाद्वीप में चीते की आबादी में वृद्धि होने की उम्मीद है।

FAQ

1. कूनो नेशनल पार्क से राजस्थान तक चीते का क्यों जाना महत्वपूर्ण है?
कूनो से राजस्थान तक चीते का जाना भारतीय चीता प्रोजेक्ट के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चीते के आवास क्षेत्र का विस्तार करता है और उन्हें खुले में घूमने के लिए सुरक्षित जगह प्रदान करता है।
2. मादा चीता 'ज्वाला' के साथ क्या हुआ था?
मादा चीता 'ज्वाला' ने कूनो से बाहर जाकर श्योपुर जिले से राजस्थान के बालेर गांव तक का सफर तय किया था। वहां वह एक बकरी का शिकार भी कर चुकी थी और उसे रेस्क्यू कर वापस कूनो भेज दिया गया।
3. भारत का चीता प्रोजेक्ट क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?
चीता प्रोजेक्ट का उद्देश्य भारत में चीता की आबादी को बढ़ाना और उनके प्राकृतिक आवास में प्रजनन को बढ़ावा देना है। इस प्रोजेक्ट के तहत कूनो और राजस्थान में चीता कॉरिडोर बनाया जा रहा है।
4. कूनो नेशनल पार्क में कितने चीते हैं?
कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान में कई चीते हैं, जिन्हें नामीबिया से भारत लाया गया था। इन चीते के प्रजनन और प्राकृतिक आवास की स्थिति पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
5. कूनो और राजस्थान के बीच चीता कॉरिडोर बनाने का क्या फायदा है?
चीता कॉरिडोर बनने से चीते को अधिक स्थान मिलेगा, जहां वे सुरक्षित रूप से घूम सकते हैं। इससे उनकी प्रजनन क्षमता भी बढ़ेगी और भारत में चीता की आबादी को फिर से स्थापित किया जा सकेगा।

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