/sootr/media/media_files/2025/08/07/aiims-2025-08-07-11-16-24.jpg)
Photograph: (The Sootr)
भारत के प्रमुख मेडिकल संस्थानों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा, जो छात्रों और शिक्षकों दोनों को प्रभावित कर रहा है, वह है शिक्षकों की भारी कमी। एम्स (AIIMS - All India Institute of Medical Sciences) जैसे शीर्ष चिकित्सा संस्थानों में भी यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। इस समय राजस्थान (Rajasthan) के जोधपुर एम्स (AIIMS Jodhpur) समेत देशभर के 23 एम्स संस्थानों में 36 प्रतिशत फैकल्टी के पद खाली हैं, जो भारतीय मेडिकल शिक्षा प्रणाली के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। यह स्थिति मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता पर असर डाल रही है और छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा देने में समस्या उत्पन्न कर रही है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से राज्यसभा में प्रस्तुत आंकड़ों में यह कड़वा सच सामने आया है।
एम्स में खाली फैकल्टी पदों की स्थिति
इन 23 एम्स संस्थानों में प्रोफेसर (Professor), एसोसिएट प्रोफेसर (Associate Professor) और असिस्टेंट प्रोफेसर (Assistant Professor) के पदों में 24% से 73% तक की कमी पाई गई है। कुल मिलाकर, 22 हजार से ज्यादा फैकल्टी और नॉन-फैकल्टी (Non-faculty) के पद खाली हैं। मेडिकल शिक्षा के लिए प्रतिष्ठित एम्स दिल्ली में भी केवल 65% फैकल्टी पद भरे हुए हैं, जबकि यहां 462 पद अभी भी खाली हैं।
एम्स दिल्ली को छोड़ कर अन्य एम्स संस्थानों में स्थिति और भी गंभीर है। कहीं भी 80% से अधिक फैकल्टी पद भरे नहीं गए हैं। राजस्थान के एम्स जोधपुर में 46% पद खाली हैं, जहां 405 पदों में से केवल 219 पद भरे गए।
यह खबर भी देखें ...
एम्स (AIIMS) के बारे में जानें
|
|
यह खबर भी देखें ...
नए एम्स संस्थानों की स्थिति और चुनौतियां
2022 में स्थापित एम्स मदुरै में स्थिति और भी चिंताजनक है, जहां 183 फैकल्टी पदों में से केवल 49 भरे गए और 911 नॉन-फैकल्टी पदों में से केवल 43।
2020 में शुरू हुए एम्स राजकोट में भी फैकल्टी की संख्या सिर्फ 42% है। कई बार एम्स में रिटायर्ड शिक्षकों और विजिटिंग फैकल्टी (Visiting Faculty) को बुलाकर कमी को पूरा करने का प्रयास किया जाता है, लेकिन फिर भी समस्या बनी हुई है।
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/08/07/aiims-2025-08-07-11-03-47.jpg)
एम्स में फैकल्टी कमी के कारण और प्रभाव
कारण
-
नए एम्स संस्थानों का तेजी से विस्तार, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण पदों पर नियुक्ति अधूरी।
-
अनुभवी शिक्षकों का रिटायर होना और प्रतिस्थापन की कमी।
-
अपर्याप्त प्रेरणा और प्रशिक्षण के कारण शिक्षकों का कम आना।
-
उच्च पदों के लिए मेधावी शिक्षकों की कमी।
प्रभाव
-
मेडिकल छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी।
-
शोध कार्य और क्लिनिकल प्रैक्टिस पर नकारात्मक असर।
-
नए मेडिकल हाई-टेक अभ्यासों और तकनीकों का प्रसार धीमा होना।
-
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के भविष्य पर खतरा।
यह खबर भी देखें ...
राजस्थान: जून की बारिश का असर, नावां में आधा रह गया नमक का उत्पादन
एम्स में शिक्षकों की कमी दूर करने के उपाय
1. शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाना
एम्स को चाहिए कि वे फैकल्टी भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाएं और अधिक पारदर्शी उपाय अपनाएं।
2. अनुभवी शिक्षकों के लिए प्रोत्साहन
रिटायर टीचर्स को विजिटिंग फैकल्टी के रूप में नियुक्त कर अनुभव का लाभ लेना और नए शिक्षकों को उत्कृष्ट सुविधाएं देना।
3. शिक्षा एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम
नए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम और स्कॉलरशिप चालू करें।
4. तकनीकी और मौजूदा संसाधनों का उपयोग
ऑनलाइन शिक्षण और ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म्स से शिक्षण का दायरा बढ़ाएं।
एम्स फैकल्टी कमी की समस्या और समाधान का निष्कर्ष
मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए एम्स में फैकल्टी की कमी को प्राथमिकता देनी होगी। सरकार और संस्थान दोनों को मिलकर इस समस्या को हल करना अनिवार्य है, ताकि भारत को कुशल और प्रशिक्षित डॉक्टर मिल सकें।
FAQ
thesootr links
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स और एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧
जोधपुर एम्स में फैकल्टी कमी | भारत में एम्स फैकल्टी पदों की कमी | स्वास्थ्य मंत्रालय एम्स फैकल्टी आंकड़े 2025 | भारत के नए एम्स संस्थानों में शिक्षकों की स्थिति | भारत में मेडिकल शिक्षा में समस्याएं