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Photograph: (the sootr)
मुकेश शर्मा @ जयपुर
राजस्थान में ग्राउंड वाटर (Ground Water) की खराब स्थिति किसी से छिपी नहीं है। प्रदेश के अधिकांश इलाके डार्क जोन की खतरनाक स्थिति में हैं, लेकिन राजस्थान सरकार ने कुछ मामलों में छह महीने पहले ग्राउंड वाटर निकालने के लिए बोरिंग करने की छूट दे दी थी। अब सरकार ने कानूनी पचड़े से बचने के लिए इस छूट को फिलहाल स्थगित कर दिया है यानी बोरिंग के लिए केंद्र के नियमों की पालना करना होगी।
दरअसल, डार्क जोन के कारण प्रदेश के अधिकांश शहरों में ग्राउंड वाटर निकालने के लिए बोरिंग आदि करने पर रोक थी। इंडस्ट्री हो या सरकारी निर्माण के लिए ग्राउंड वाटर निकालने के वास्ते केंद्र से एनओसी लेना जरूरी था, लेकिन राजस्थान के भूजल विभाग ने पांच फरवरी, 2025 को एक नोटिफिकेशन जारी करके छह कैटेगरी में ग्राउंड वाटर निकालने को बोरिंग से पूर्व एनओसी लेने की छूट दे दी थी।
इससे पहले मई, 2023 में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की संशोधित गाइडलाइंस स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में पानी सप्लाई की सरकारी योजनाओं के लिए भी सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी से एनओसी लेना आवश्यक है।
नोटिस होते ही सरकार ने पीछे खींचे कदम
हाल ही में याचिकाकर्ता ताहिर हुसैन ने सरकार की अधिसूचना और इसके आधार पर जारी छूट के आदेश को निरस्त करने की गुहार की। इस पर एनजीटी से मार्च में राजस्थान और केंद्र को नोटिस जारी किया। इस बीच, राजस्थान सरकार ने पलटी खाते हुए 7 अगस्त को एनजीटी को बताया कि सरकार मामले पर विचार कर रही है। फिलहाल 5 फरवरी की अधिसूचना को स्थगित रखा गया है। मामले में अंतिम सुनवाई अब 13 अक्टूबर को होगी।
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सरकार ने इन्हें दे दी थी बोरिंग की छूट
- व्यक्तिगत उपभोग, रेजिडेंशियल अपार्टमेंट, ग्रुप हाउसिंग सोसायटी और आर्थिक रूप से कमजोर
- श्रेणी वालों के घरों में पीने के पानी व घरेलू जरूरत पर
- पीने का पानी सप्लाई करने वाली सरकारी स्कीम
- आर्मी व केंद्रीय सुरक्षा बल
- खेती के लिए
- प्रतिदिन 10 हजार लीटर से कम पानी निकालने वाली एमएसएमई इंडस्ट्रीज
- ऐसा कोई प्रोजेक्ट या काम, जिसमें 10 हजार लीटर तक प्रतिदिन पानी की जरूरत हो
केंद्र की गाइडलाइंस के विपरीत है यह
याचिकाकर्ता ताहिर हुसैन ने सरकार के नोटिफिकेशन को एनजीटी में यह कहकर चुनौती दी कि राजस्थान सरकार की गाइडलाइंस सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी की एसओपी के विपरीत हैं। राज्यों की ग्राउंड वाटर दोहन करने की गाइडलाइंस सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी की एसओपी के अनुरुप होनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं है, तो वहां सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी की एसओपी प्रभावी रहेगी, ना कि राज्य की। पर राजस्थान सरकार के नोटिफिकेशन ने ग्राउंड वाटर निकालने के लिए लागू केंद्रीय एसओपी में ढिलाई दे दी है।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी गाइडलाइंस
अत्यधिक दोहन के कारण नीचे जा रहे ग्राउंड वाटर लेवल को बचाने और इसके सावधानी से उपयोग के लिए ही सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर, 1996 में आए आदेश के बाद सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी ने गाइडलाइंस बनाई थी। बाद में मई, 2023 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की संशोधित गाइडलाइंस की पालना में एसओपी जारी की गई। इसमें शहरी क्षेत्रों में पानी सप्लाई की सरकारी योजनाओं के लिए भी सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी से एनओसी लेना आवश्यक है।
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प्रदेश में 219 ब्लॉक अति दोहन श्रेणी में
वर्ष 2023 में राजस्थान विधानसभा में एक सवाल के जवाब में बताया गया कि प्रदेश में 302 में से 219 ब्लॉक डार्क जोन में पहुंच गए हैं। इसका अर्थ है कि राजस्थान का 70 फीसदी हिस्सा अति दोहित श्रेणी में आ चुका है। इसमें 22 ब्लॉक क्रिटिकल और 20 सेमी-क्रिटिकल कैटेगरी में बताए गए। डार्क जोन घोषित इलाकों में ग्राउंड वाटर निकालने के लिए बोरिंग करने पर पाबंदी थी।
जयपुर के 16 ब्लॉक अति दोहन के शिकार
राजधानी जयपुर के 16, जोधपुर में 15, नागौर में 14 और बाड़मेर में 14 ब्लॉक अति दोहन के शिकार हैं। वहीं श्रीगंगानगर में 9, हनुमानगढ़ में 8 तथा बांसवाड़ा और नागौर में छह-छह ब्लॉक सेफ कैटेगरी में हैं। भूजल विभाग की रिपोर्ट में बताया गया कि सिर्फ पानी बचाना या एकत्रित करना ही काफी नहीं है, बल्कि लगातार गिरते ग्राउंड वाटर लेवल को बचाने के लिए ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करने की व्यवस्था करना भी जरूरी है। अन्यथा प्रदेश में भविष्य में जल संकट विकराल रूप धारण कर सकता है।
मानसून तो मेहरबान, लेकिन...
पिछले दो साल से राजस्थान में मानसून मेहरबान है, लेकिन ग्राउंड वाटर रिचार्ज होने की स्थिति में सुधार नहीं है। शहरों में तो स्थिति विकट है, लेकिन अब ग्रामीण इलाकों में भी पक्के मकान व डामर तथा सीमेंट की सड़कें बनने से ग्राउंड वाटर रिचार्ज करने में समस्या हो रही है। दूसरा बड़ा कारण खेती का रकबा भी बढ़ गया है। इस कारण पानी अब खेतों में ही रोक लिया जाता है और बहता नहीं है। इस कारण एक ही ब्लॉक में ग्राउंड वाटर लेवल अलग-अलग है।
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